नर्मदा नदी के सूखने से गुजरात में गहराया जल संकट

सीएम रूपाणी ने ऐलान भी कर दिया है कि लोगों को पेयजल देना उनकी पहली प्राथमिकता है इसलिए किसान व उद्यमियों को नर्मदा का पानी नहीं मिलेगा।

By BabitaEdited By: Publish:Tue, 06 Feb 2018 03:39 PM (IST) Updated:Thu, 08 Feb 2018 01:10 PM (IST)
नर्मदा नदी के सूखने से गुजरात में गहराया जल संकट
नर्मदा नदी के सूखने से गुजरात में गहराया जल संकट
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अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। गुजरात की जीवन डोर समान नर्मदा नदी पानी की आवक घटने से जगह जगह सूखने लगी है। नर्मदा बांध में पीने योग्य पानी की कमी को देखते हुए सरकार ने किसानों से ग्रीष्म ऋतु में फसल नहीं बोने की अपील की है, सीएम रूपाणी ने ऐलान भी कर दिया है कि लोगों को पेयजल देना उनकी पहली प्राथमिकता है इसलिए किसान व उद्यमियों को नर्मदा का पानी नहीं मिलेगा। 
 
गत मानसून में सरदार सरोवर नर्मदा बांध लबालब भर गया था, बांध का जलस्तर करीब 131 मीटर के स्तर को छू रहा था लेकिन अब बांध में 112 मीटर का जलस्तर बचा है इसमें केवल दो मीटर ही पीने योग्य पानी है। मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने पेयजल को सरकार की प्राथमिकता बताते हुए किसानों से कहा है कि वे ग्रीष्म ऋतु की फसलों की बुवाई नहीं करें, सरकार सिंचाई का पानी उपलब्ध नहीं कराएगी। नर्मदा कंट्रोल ऑथोरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक सरदार सरोवर बांध में मध्यप्रदेश की ओर से पानी की आवक 5611 क्यूसेक है जबकि यहां से लगातार 8800 क्यूसेक पानी छोडा जा रहा है।
 
नर्मदा बांध का न्यूनतम जलस्तर 110 मीटर है जिसके चलते राज्य पर जलसंकट मंडरा रहा है। मुख्यमंत्री की चेतावनी के बाद किसानों में भी चिंता है। उत्तर गुजरात के कुछ जिलों में नर्मदा नहर पर पानी चोरी करने वाले किसानों के खिलाफ जिला प्रशासन अभियान चला रहा है, अब तक सैकडों किसानों के कनेक्शन काटकर नर्मदा से पानी चोरी रोक दी गई है। उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल बताते हैं कि नर्मदा बांध से राज्य के 4 करोड लोगों को सरकार पेयजल उपलब्ध करा सकती है, इसलिए सिंचाई के लिए पानी देना संभव नहीं है। वे बताते हैं कि नर्मदा बारह मासी नदी है लेकिन मध्यप्रदेश में कमजोर मानसून ने सारा गणित बिगाड़ दिया। 
 
राज्य के मुख्य सचिव डॉ जे एन सिंह ने भी राज्य के औद्योंगिक समूहों से कहा है कि इस हालात में उन्हें नर्मदा का पानी नहीं दिया जा सकता साथ ही उन्होंने स्थानीय नगर पालिका, महानगर पालिकाओं को भी चेताया है कि वे पीने के पानी की वैकल्पिक व्यवस्था रखें। जबकि मुख्यमंत्री के जलसलाहकार बी एन नवलावाला ने राज्य की जनता को ही नर्मदा के पानी का भरोसा छोड देे की सलाह दी है। उनका कहना है कि किसान व जनता को पानी के वैकल्पिक व पारंपरिक स्रोत तैयार करने होंगे नर्मदा ही सबकी जरूरत पूरा करेगी ऐसा नहीं मान लेना चाहिए। राज्यों के जल प्रबंधन के संबंध में जल गुरु के नाम से विख्यात डॉ राजेंद्रसिंह कहते हैं कि राज्य सरकारें जनता को पानी के स्रोत व संसाधन तैयार करने पर बल देने के बजाए खुद सब व्यवस्था करने का वादा कर पंगू बना रही हैं। जल प्रबंधन पर अहमदाबाद मैनेजमेंट एसोसिएशन पर आयोजित कार्यशाला में यह बात कही थी। अब समय आ गया है कि सभी राज्य सरकारें जनता को पानी देने का वादा करने के बजाए उन्हें पारंपरिक जल स्रोत को बचाने व जल स्रोत बढाने पर जोर देने में मदद करनी चाहिए।
 
डॉ राजेद्र सिंह 
जल गुरु व कुशल जलप्रबंधक 
 
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