मेरी यादगार होली

बचपन की होली याद है। पापा के दफ्तर के सभी लोग घर आते थे। मां सबके लिए पकवान बनाती थी। तब हम इलाहाबाद में रहते थे। कालोनी में केवल हमारा परिवार मुस्लिम था, लेकिन होली का धमाल हमारे घर पर ही दिखता था। कभी ऐसा नहीं लगता था कि यह

By Babita kashyapEdited By: Publish:Sat, 28 Feb 2015 10:21 AM (IST) Updated:Sat, 28 Feb 2015 10:49 AM (IST)
मेरी यादगार होली

घर पर मचता था धमाल

गेती खान किदवई, फैशन डिजाइनर

बचपन की होली याद है। पापा के दफ्तर के सभी लोग घर आते थे। मां सबके लिए पकवान बनाती थी। तब हम इलाहाबाद में रहते थे। कालोनी में केवल हमारा परिवार मुस्लिम था, लेकिन होली का धमाल हमारे घर पर ही दिखता था। कभी ऐसा नहीं लगता था कि यह हमारा त्योहार नहीं है।

चुनाव के दौरान

खेली होली

हरसिमरत कौर बादल, राजनीतिज्ञ

पिछले साल की होली जीवन की सबसे यादगार होली है। गत वर्ष चुनाव प्रचार के दौरान उभा गांव के दुर्गा मंदिर में माथा टेकने गई थी। वहां छोटी-छोटी बच्चियों के साथ जमकर होली खेली थी। वहां कुछ देर होली खेलने की सोची थी, लेकिन उन मासूमों के साथ मन झूम उठा और उस दिन सभी कार्यक्रम कैैंसिल करके वहीं होली खेलती रही।

खूब खेली होली

मधु कुमारी, फुटबाल प्लेयर

एक बार नेशनल खेलने के बाद होली में पूरे परिवार के साथ थी। भाभी और जीजाजी को हम दोनों बहनों ने रंगों से सराबोर कर दिया। होली पर सबने मेरे हाथ के बने पकवान खाए और जमकर होली खेले।

वह चुपचाप आए

और रंग गए

शारदा सिन्हा, लोक गायिका

ससुराल में मेरी पहली होली थी। नई दुल्हन होने की वजह से सुबह से घर के कार्यों में लगी थी। तभी पति दबे पांव आए और बाल्टी में घोले रंग से सराबोर कर दिया, जी भरकर गुलाल भी लगाया। कमरा अस्त-व्यस्त होने से मैं तनाव में थी, परंतु यह बोले कि बाहर सभी लोग रंग खेलने के लिए तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं। मैंने सबके साथ जमकर होली खेली।

जब एंजिल बन गए एविल

आश्मीन मुंजाल, मेकअप आर्टिस्ट

मेरे भाई की शादी के बाद पहली होली थी। हम हर्बल रंगों से होली खेल रहे थे, लेकिन यह खुशनुमा माहौल कुछ देर ही रहा। हमारे एक फ्रेंड अंडे और काला रंग लेकर आ गए। आते ही उन्होंने सबके सिर पर अंडे फोड़ना शुरू कर दिया। एक मिनट में पूरा माहौल बदल गया। हमारे सूट जो हरे, पीले, गुलाबी हो रहे थे, वे काले हो गए।

बेटा रंगों में डुबो देता है

नुपूर कुंडू, पेंटर

पहले संयुक्त परिवार में जो हुड़दंग मचता था, वह आज नहीं रहा। जैसे-जैसे हम शहरी जीवन से जुड़ते गए, होली का रंग फीका होता गया। अब तो होली केमिकल रंगों से खेली जाती है। इससे बहुत डर लगता है, पर जितना डरती हूं, उतना ही पकड़ी जाती हूं। हर बार होली पर कोई और नहीं, मेरा बेटा ही मुझे रंगों से डुबो देता है।

मस्त थी कैंप की होली

दीपिका कुमारी, तीरंदाज

मैं कोलकाता के एक कैंप में थी। उसी दरम्यान होली आई, जो आज तक नहीं भूली हूं। इससे पहले मैंने ऐसी शरारत नहीं की थी। हम कैंप में मौजूद लोगों को रंगने की तैयारी कर रहे थे। साथियों के साथ हमने सीनियर्स और अन्य लोगों को ग्राउंड में बुलाया। वहां गड्ढा बनाया गया, जिसमें रंग मिला पानी था। एक-एक कर हम लोगों को उसमें भिगोते गए।

बचपन की होली याद है

साइना नेहवाल, बैडमिंटन प्लेयर

बचपन में मैं सुबह से हाथों में पिचकारी लेकर आने-जाने वाले हर शख्स को भिगो देती थी। गुब्बारों में रंग भरकर ऐसे इठलाती मानो कोई हाथों में कोई बड़ा हथियार आ गया हो। वे दिन ही कुछ और थे।

वंदना वालिया बाली, शुभ्रा कुमारी, अंशु सिंह, यशा माथुर, सीमा झा

हाय वो होली हवा हुई

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