Interview: उम्मीद है, नेगेटिव माहौल में 'सनफ्लॉवर' वेब सीरीज़ लोगों में ख़ुशियां बांटेगी- आशीष विद्यार्थी

आशीष विद्यार्थी अब ज़ी5 की सीरीज़ सनफ्लॉवर में मिस्टर अयंगर के किरदार में नज़र आएंगे जो अपनी सोसाइटी की नैतिक इमारत भारतीय संस्कृति और परम्पराओं पर खड़ी करना चाहता है। इस सीरीज़ के क्रिएटर विकास बहल और निर्देशक राहुल सेनगुप्ता हैं। उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश।

By Manoj VashisthEdited By: Publish:Tue, 08 Jun 2021 05:39 PM (IST) Updated:Tue, 08 Jun 2021 05:45 PM (IST)
Interview: उम्मीद है, नेगेटिव माहौल में 'सनफ्लॉवर' वेब सीरीज़ लोगों में ख़ुशियां बांटेगी- आशीष विद्यार्थी
Ashish Vidyarthi and in Sunflower series. Photo- PR

मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली। आशीष विद्यार्थी ने अपने तीन दशक से अधिक के फ़िल्म करियर में अलग-अलग तरह की भूमिकाएं निभायी हैं। विशुद्ध मसाला फ़िल्मों में कैरिकेचरिश विलेन और चरित्र भूमिकाओं से लेकर संजीदा किरदारों को कामयाबी के साथ निभाया है। उनके करियर की शुरुआत 1942- अ लव स्टोरी, द्रोहकाल और सरदार जैसी फ़िल्मों से हुई।

नाजायज़, इस रात की सुबह नहीं जैसी फ़िल्मों से कारवां आगे बढ़ा और 11 भाषाओं में 230 से अधिक फ़िल्में जुड़ीं। करियर में एक दौर ऐसा भी आया, जब आशीष ने दक्षिण भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री का रुख़ किया। आशीष विद्यार्थी अब ज़ी5 की सीरीज़ सनफ्लॉवर में मिस्टर अयंगर के किरदार में नज़र आएंगे, जो अपनी सोसाइटी की नैतिक इमारत भारतीय संस्कृति और परम्पराओं पर खड़ी करना चाहता है। 11 जून को आ रही इस सीरीज़ के क्रिएटर विकास बहल और निर्देशक राहुल सेनगुप्ता हैं। उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश।

सनफ्लॉवर में अपना किरदार निभाने के लिए आपने वास्तविक लोगों का रेफरेंस लिया है?

हर कैरेक्टर, जो भी हम करते हैं, अलग-अलग कैरेक्टर से कुछ-कुछ चीज़ें निकालते रहते हैं। फिर सब चीजें जोड़कर उसे अपने हिसाब से नया रूप दे देते हैं। जब आप इस किरदार को देखेंगे तो कहेंगे यार मेरी बिल्डिंग सोसाइटी में भी एक ऐसा शख़्स है। स्लाइस ऑफ़ लाइफ़ कैरेक्टर है। यह कैरेक्टर आपने देखा है। यह कैरेक्टर आपने सुना है। इसमें हरेक कैरेक्टर ऐसा है, जो साधारण है, मगर असाधारण घटना होती है और उसे किस तरह से इसमें बुना गया है, वो इसकी ख़ासियत है। यह सिर्फ़ कॉमेडी नहीं है, थ्रिलर है। आपको पकड़कर रखेगी।

आप कॉमेडी कर रहे हैं, मगर ट्रेलर में आपका चेहरा काफ़ी गंभीर रहता है?

ईमानदारी से कहूं तो मुझे बहुत मज़ा आया। आपने सही पकड़ा। पोकर फेस रखकर हम कॉमेडी कर रहे हैं। उसके एटीट्यूड से लोगों को हंसी आए। वो सोचें यह कर क्या रहा है। ऐसा लगे, जैसे मैंने इस बंदे को देखा है। बहुत ज़्यादा प्रकट ना करते हुए हम कॉमेडी करके निकल जाएं। यही कोशिश रही है।

पिछले कुछ सालों में दर्शकों की रुचि काफ़ी बदली है। कलाकार के तौर पर आपको क्या बदलाव करने पड़े? 

एक्टिंग का हर युग में एक अलग स्तर होता है। आप किस तरह से एक्टिंग करते हैं। वो आपको चुनना पड़ता है। आपने पिछले दशकों में मेरी जो परफॉर्मेंस देखी होंगी। वो उस समय के हिसाब से होता था। मैं रोल के अनुसार, वक़्त के अनुसार और प्लेटफॉर्म के अनुसार परफॉर्म करता हूं। इस सीरीज़ में मेरा परफॉर्मेंस का अंदाज़ बिल्कुल अलग है। हम लोगों को अपने काम में ऑडिएंस की सेंसिबिलिटी के हिसाब से निपुणता लानी पड़ती है। मैं मोटिवेशनल टॉक्स भी देता हूं। इन सब जगहों पर मैं यह मानता हूं कि मैं एक अभिनेता हूं और जब मैं देखता हूं कि मैं अभिनेता भी हूं। श्रोताओं में भी मैं वही लाता हूं कि ज़रूरत के हिसाब से हम ख़ुद को ढालना सीखें। यह बहुत ज़रूरी है।

आपके करियर में एक दौर ऐसा आया, जब आप दक्षिण भारत चले गये। उसके पीछे क्या वजह रही? 

मैंने 2000 से 2014 तक साउथ में जमकर काम किया। 11 भाषाओं में 230 से अधिक फ़िल्में की हैं। एक अभिनेता निरंतर मूव करता रहता है। वो कैसे काम करेगा, यह उसके ऊपर है। उसे अपना घर भी चलाना होता है। उसकी जर्नी स्वतंत्र रूप से चलती रहती है। वो मेरी बहुत ही रिच जर्नी थी। वहां फ़िल्में करने से मेरा रियाज़ चलता रहा। रियाज़ बहुत ज़रूरी होता है। अगर एक्टर रियाज़ ना करे तो एक गर्द जम जाता है। मैं खुशनसीब रहा कि इस दौरान मुझे काम मिलता रहा। यह पीरियड मेरे लिए बहुत दिलचस्प रहा। उसकी वजह से मैं ख़ुद को प्रासंगिक पाता हूं और अलग-अलग तरह के रोल करता हूं। 

अपने शुरुआती दौर के किन फ़िल्मकारों या किरदारों को मिस करते हैं? 

भूतकाल में ज़्यादा विश्वास नहीं करता हूं। भूत का हमारे ऊपर कोई नियंत्रण नहीं है। वो बस एक विचार है। ऐसा होता था, वैसा होता था। मुझे हमेशा वो लोग पसंद आये, जो पैशन के साथ काम करते थे। मैं बहुत लकी रहा हूं कि उस समय भी पैशनेट लोगों के साथ काम कर पाया और इस समय भी वैसे ही लोगों के साथ काम कर रहा हूं। यह मेरी उपलब्धि रही है। सनफ्लॉवर को लॉकडाउन में बनाया है, जब प्रोडक्शन के ऊपर चैलेंज थे। उसके बीच में यह फ़िल्म बनाना आसान नहीं था। बहुत सम्भलकर सहजकर हम लोगों ने साथ काम किया।

सुनील ग्रोवर कमाल के कॉमिक एक्टर हैं। उनके साथ दृश्य करने का अनुभव कैसा रहा?

सुनील ग्रोवर को कॉमेडी में देखा है, वो उनका एक अंश है। बहुत ही गजब के एक्टर हैं। बहुत मेहनती एक्टर हैं। ऐसे एक्टर हैं, जो सामने वाले के साथ खेलते हैं। उनके साथ काम करना ख़ुद को समृद्ध करने वाला रहा। सनफ्लॉवर की उपलब्धि रही कि मैं अच्छे एक्टर्स के साथ काम कर सका।

गुड बाय फ़िल्म में आप अमिताभ बच्चन के साथ काम कर रहे हैं। उनके साथ काम करने के अनुभव कैसा रहा?

बच्चन साहब के साथ काम करना तो अलग ही किस्सा है। ऐसा नहीं है, जब आप बच्चन साहब की तारीफ़ करते हैं तो 'बच्चन साहब' की तारीफ़ कर रहे हैं, बच्चन साहब एक्टर की तारीफ़ कर रहे हैं। हम लोग उनके फैन हैं, यह अलग बात है। उनके साथ काम करते हुए उनके कमिटमेंट को देखते हुए उनका फोकस, उसके बारे में बात नहीं की जा सकती, वो एक अनुभूति है। उनके साथ कई सालों बाद काम किया। ऐसे एक्टर्स रहते हैं तो अपने काम के प्रति और आस्था हो जाती है। ऐसा नहीं है कि आप बच्चन साहब से प्रभावित हो जाते हैं, अपने काम के प्रति समर्पित हो जाते हैं कि और लगन से करना है। उनके साथ काम करने से मैं अपने काम की ओर प्रभावित रहा कि काम अच्छे से करना है। दोबारा इतने सालों बाद काम करना शानदार अनुभव रहा।

आज माहौल में नेगेटिविटी बहुत है। ऐसे में सकारात्मक रुख़ बनाये रखने के लिए फैंस को क्या संदेश देंगे?

देखिए, उम्मीद बहुत बड़ी चीज़ है। उम्मीद के बगैर आदमी नहीं जी सकता। हर जगह नेगेटिव बात हो रही है। हर जगह यही बातें हो रही हैं कि ज़िंदगी आगे कैसी चलेगी। ज़रूरी है कि हम इन बातों में ना जीकर उम्मीद में जिएं। जैसे, सनफ्लॉवर की बात हो रही है कि एक उम्मीद है कि लोग सराहेंगे। उम्मीद है कि हम इस सीरीज़ से ख़ुशी बांटेंगे। पूरी दुनिया उम्मीद पर टिकी है। जहां पर भी हम हैं। हमारे सामने जितना भी डिस्ट्रेक्शन हो। बहुत कुछ आस-पास हो रहा होगा। मगर, हमें उम्मीद नहीं छोड़नी है। सनफ्लॉवर भी लॉकडाउन के दौरान बनायी है। सिचुएशन ठीक नहीं थी, मगर हमें उम्मीद थी कि हम अच्छी चीज़ बना रहे हैं। इसके लिए हमने मेहनत की।

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