Abhishek Bachchan On Stardom: एक्टर की पहचान उसकी कला से होती है स्टारडम से नहीं- अभिषेक बच्चन

Abhishek Bachchan On Stardom डिजिटल पर फिल्में आने से स्टारडम पर प्रभाव को लेकर अभिषेक कहते हैं कि स्टारडम की तुलना करना ही गलत है। आप एक्टिंग ठीक से कर पाते हैं या नहीं यह ज्यादा जरूरी है।

By Rajat SinghEdited By: Publish:Fri, 13 Nov 2020 12:38 PM (IST) Updated:Fri, 13 Nov 2020 12:38 PM (IST)
Abhishek Bachchan On Stardom:  एक्टर की पहचान उसकी कला से होती है स्टारडम से नहीं- अभिषेक बच्चन
अभिषेक बच्चन लूडो में वह बिट्टू के किरदार में नजर आए हैं।

नई दिल्ली, जेएनएन। Abhishek Bachchan On Stardom: वेब सीरीज 'ब्रीद- इन टू द शेडोज' से अभिषेक बच्चन ने डिजिटल डेब्यू किया था। कोरोना संक्रमण की वजह से सिनेमाघरों में रिलीज के लिए बनी उनकी फिल्म 'लूडो' 12 नवंबर को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है। इस फिल्म में वह बिट्टू के किरदार में नजर आए हैं। 'लूडो 'एंथोलॉजी फिल्म है। अनुराग बासु निर्देशित इस फिल्म में चार कहानियों को एकसाथ गूंथा गया है। इसकी एक कहानी में अभिषेक बच्चन के साथ बाल कलाकार इनायत वर्मा हैं।'ब्रीद' और 'लूडो' के बाद आने वाली फिल्म 'बॉब बिस्वास' में भी अभिषेक का धीर-गंभीर किरदार है। ऐसे किरदार में परफार्मेंस को लेकर ज्यादा अवसर होते हैं। इससे अभिषेक असहमति जताते हैं।

अभिषेक बच्चन कहते हैं, 'ऐसा नहीं है। मेरा मानना है कि सबसे कठिन जॉनर है कॉमेडी। बाकी जॉनर भी बहुत डिमांडिंग है। हर किरदार की अपनी चुनौतियां होती हैं। जहां तक 'लूडो' की बात है तो मेरी चाहत अनुराग बासु के साथ काम करने की रही है। हमने पहले भी एकसाथ काम करने की कोशिश की, लेकिन वे फिल्में बन नहीं पाईं। इस बार संयोग बन गया।'

'लूडो' में बिट्टू का किरदार बहुत गुस्सैल है। असल जिंदगी में कब गुस्सा आता है? इस सवाल के जवाब में जूम कॉल पर मौजूद इनायत तुरंत चहक कर जवाब देती हैं, उन्हें गुस्सा बिल्कुल नहीं आता। जितना मुझे लगता है। इनायत की तत्परता देखकर अभिषेक भी हंसने लगते हैं और कहते हैं कि इनायत ने जवाब दे दिया। मैं उनकी बात से सहमत हूं।

सेट पर पहले दिन के अनुभव को लेकर इनायत बताती हैं, 'मेरी शूटिंग बहुत अच्छी थी। मैं थोड़ा सोचने भी लग गई थी कि अभिषेक भैया कैसे होंगे, पर जब उनसे मिली पता चल गया कि अभिषेक भैया बहुत अच्छे हैं। बहुत प्यारे हैं। वह मेरी बहुत केयर करते थे। वह प्यारे लगे क्योंकि मुझसे बहुत अच्छे से बात करते थे। मैंने उनकी कई फिल्में देखी हैं वे मुझे अच्छी लगती हैं।'

'ब्रीद' के बाद 'लूडो' में भी अभिषेक बच्चों के साथ काम कर रहे हैं। पारिवारिक सिनेमा को लेकर वह कहते हैं, 'हां मैं यह जरूर मानता हूं कि पहले जितनी पारिवारिक फिल्में बनती थीं, उसके मुकाबले अब वैसी फिल्में बनना कम हुआ है। मैं चाहूंगा कि फिल्मकार फैमिली ऑडियंस के लिए ज्यादा फिल्म बनाएं।'

डिजिटल पर आने वाला कंटेंट फैमिली कंटेंट नहीं है, इस बाबत अभिषेक कहते हैं, 'इसकी वजह है कि डिजिटल फॉर्मेट बहुत पर्सनल है। आप उसे मोबाइल फोन पर देख सकते हैं। ऐसा जरूरी नहीं है कि पूरी फैमिली एकसाथ बैठकर टीवी पर देखे। हालांकि यहां बहुत सारे ऐसे शो भी हैं जिन्हें परिवार के साथ देख सकते हैं।'

सेट पर 'लूडो' खेलने के बाबत अभिषेक और इनायत एक सुर में कहते हैं कि उन्हें बिल्कुल भी मौका नहीं मिला। अभिषेक कहते हैं कि हम लोग गिल्ली डंडा, खो खो और कबड्डी जैसे खेल जरूर समय मिलने पर खेलते थे। इनायत 'लूडो' में चीकू नामक कुत्ते को बहुत प्यार करती हैं। वह बताती हैं, 'मुझे डॉग अच्छे लगते हैं पर चीकू से दोस्ती करना बहुत मुश्किल था। मैंने भगवान जी का नाम लेते हुए बहुत डरते हुए चीकू के साथ सीन किए। जब थोड़ी दोस्ती हो गई तो उसे खिलाने लगी, पर मैं डरती थी।'

सिनेमाघरों के बंद होने के चलते बहुत सारी फिल्में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई हैं। बॉक्स ऑफिस से फिल्मी सितारों का स्टारडम बनता है। डिजिटल पर फिल्में आने से स्टारडम पर प्रभाव को लेकर अभिषेक कहते हैं, 'स्टारडम की तुलना करना ही गलत है। आप एक्टिंग ठीक से कर पाते हैं या नहीं, यह ज्यादा जरूरी है। एक्टर की पहचान उसकी कला से होती है स्टारडम से नहीं।

अपने त्योहारों की अहमियत बच्चों को बताना अभिषेक जरूरी मानते हैं। वह कहते हैं, 'हमारी संस्कृति से बच्चों को परिचित कराना बहुत जरूरी है। इस साल हम लोग धूमधाम से दिवाली नहीं मनाएंगे। लक्ष्मी पूजन हम सब साथ में करते हैं। मेरी बेटी आराध्या दिवाली पर कोई डिमांड नहीं करती है। बहुत प्यारी बच्ची है। परिवार उसके साथ रहे, उसमें ही वह खुश रहती है।' दीवाली की तैयारियों को लेकर इनायत कहती हैं, 'दीवाली पर हम घर पर रहेंगे। रंगोली बनाएंगे। दोस्तों के साथ खेलूंगी।' (स्मिता श्रीवास्तव के साथ बातचीत के आधार पर) 

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