दरअसल: 725 पन्ने... 6 लुक... और संजय दत्त

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में पिछले 115 सालों में ऐसे अनेक कलाकार और तकनीशियन रहे हैं, जिनकी ज़िन्दगी बायोपिक फ़िल्म के काबिल है।

By Manoj VashisthEdited By: Publish:Thu, 26 Apr 2018 11:32 AM (IST) Updated:Thu, 26 Apr 2018 11:32 AM (IST)
दरअसल: 725 पन्ने... 6 लुक... और संजय दत्त
दरअसल: 725 पन्ने... 6 लुक... और संजय दत्त

-अजय ब्रह्मात्मज

राजकुमार हिरानी इस दौर के बेहतरीन और संवेदनशील फिल्म डायरेक्टर हैं। अभी तक उनकी फ़िल्में मास और क्लास में एक सामान पसंद की जाती रही हैं। दर्शकों के हर तबके को उनकी फ़िल्मों से कुछ न कुछ मिलता है। उनका भी मकसद रहता है कि दर्शकों को मनोरंजन के साथ कुछ सन्देश भी मिले। अभी तक उनकी फ़िल्में अभिजात जोशी की मदद से काल्पनिक चरित्रों पर लिखी जाती रही हैं। ऐसी फिल्मों में चरित्र निर्देशक के नियंत्रण में रहते हैं। वे उन्हें अपने हिसाब से चरित्रों को नयी परिस्थितियों में डाल कर सोचे हुए निष्कर्ष तक ले जा सकते हैं। हिरानी अपने किरदारों को दर्शकों के बीच प्रिय बनाने में सफल रहे हैं।

पड़ोसी देश चीन के दर्शक भी उन्हें पसंद करने लगे हैं। आमिर खान के साथ हिरानी की फ़िल्में भी चीन में खूब चली हैं। इस बार वह अपनी सफलता की लकीर छोड़ कर एक नयी रह पर चले हैं, मुन्नाभाई सीरीज की तैयारियों के दौरान संजय दत्त से हो रही बातचीत में उन्हें उनकी ज़िन्दगी किसी फ़िल्म की कहानी के लिए उपयुक्त लगी। संजय दत्त को हम सभी उनकी प्रचलित छवि के अनुसार जानते हैं। हिरानी को संजय दत्त ने अनसुनी घटनाएं बतायीं। उन घटनाओं ने ही हिरानी को उनकी ज़िन्दगी पर बायोपिक के लिए प्रेरित किया।

 

हिंदी फिल्मों के इतिहास में फ़िल्मी हस्तियों और फिल्म संसार पर काम फ़िल्में बानी हैं। श्याम बेनेगल की 'भूमिका' इस लिहाज से उल्लेखनीय फिल्म है। काफी समय से साहिर लुधियानवी की ज़िन्दगी पर फिल्म की बात चल रही है, लेकिन अभी तक वह शुरू नहीं हो पायी है। किशोर कुमार पर फिल्म बनाने की असफल कोशिशें हुई हैं। संयोग से किशोर कुमार की भूमिका के लिए भी रणबीर कपूर ही विचाराधीन थे। किसी जीवित फ़िल्मी हस्ती पर फीचर फिल्म का यह पहला वाक्या है। सब यही सोच रहे हैं कि हिरानी ऐसा क्या दिखाएंगे? कुछ आलोचक इसे संजय दत्त की 'इमेज बिल्डिंग' के तौर पर भी देख रहे हैं।

फ़िल्म की सच्चाई और गहराई तो फ़िल्म देखने के बाद ही पता चलेगी। फिर भी हम हिरानी से यह उम्मीद तो कर ही सकते हैं कि वे प्रचलित और परिचित छवि के पार जायेंगे और संजय दत्त के सही व्यक्तित्व को पेश करेंगे। इतिहासकार और जीवनीकार की प्रक्रिया लगभग एक जैसी होती है। वह उपलब्ध तथ्यों के आधार पर किसी कल या व्यक्ति की विवेचना करता है। अपनी पसंद और विचारधारा के मुताबिक वह तथ्यों को छोड़ता या इस्तेमाल करता है।

अभिजात जोशी के मुताबिक संजय दत्त का नरेशन 725 पृष्ठों में लिखा गया है। जाहिर सी बात है की इसमें उनके जीवन की छोटी-बड़ी हर तरह की बातें होंगी। राजकुमार हिरानी और अभिजात जोशी ने अपने समझ और सोच से निश्चित अवधी की पटकथा लिखने में 725 पृष्ठों में से अधिकांश छोड़ दिया होगा। सवाल यह है कि उन्होंने जो छोड़ा, उनमें भी तो संजय दत्त के जीवन के पहलू होंगे। मुमकिन है उन अज्ञात तथ्यों से संजय दत्त की कोई और छवि बने। फ़िल्म के रूप में हम वही देखेंगे, जो हिरानी दिखाएंगे।

वस्तुनिष्ठ होने के बावजूद यह व्यक्तिनिष्ठ बायोपिक होगी। यह भी जानकारी मिली है कि संजय दत्त ने हिरानी को खुली छूट दी है। उन्हें ऐतबार है कि हिरानी उनके साथ न्याय करेंगे, वे तो इसी बात से खुश हैं की उनकी ज़िन्दगी फ़िल्म के लायक समझी गयी।

 

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में पिछले 115 सालों में ऐसे अनेक कलाकार और तकनीशियन रहे हैं, जिनकी ज़िन्दगी बायोपिक फ़िल्म के काबिल है। 'संजू' की कामयाबी हिंदी फ़िल्मकारों को फ़िल्मों का नया विषय दे सकती है। 'संजू' के टीजर से आम दर्शकों को लुभाने के लिए 308 गर्ल फ्रेंड जैसे संवाद दिए गए हैं। एक कलाकार की ज़िन्दगी में सिर्फ प्रेम और रोमांस ही नहीं होता। अपनी क्रिएटिव छटपटाहट के साथ वह एक पारिवारिक व्यक्ति और नागरिक भी होता है। अगर वह अपने समय के प्रतिनिधि के तौर पर विरोधाभासों के साथ परदे पर आये और कुछ सकारात्मक अंत को पहुंचे तभी बायोपिक का प्रयास सफल माना जायेगा।

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