ऑस्कर्स से बाहर होने के बाद भी इसलिए ख़ुश हैं न्यूटन वाले

निर्देशक अमित मसूरकर ने कहा है कि ये उनकी हार नहीं है। फॉरेन फिल्म सेक्शन ओलम्पिक की तरह होता है, जहां दुनिया भर की फिल्मों से मुकाबला होता है।

By Manoj KhadilkarEdited By: Publish:Fri, 15 Dec 2017 05:58 PM (IST) Updated:Fri, 15 Dec 2017 05:58 PM (IST)
ऑस्कर्स से बाहर होने के बाद भी इसलिए ख़ुश हैं न्यूटन वाले
ऑस्कर्स से बाहर होने के बाद भी इसलिए ख़ुश हैं न्यूटन वाले

मुंबई। दुनिया के प्रतिष्ठित ऑस्कर अवॉर्ड्स को पाने की चाह का सपना इस बार फिर टूट गया है क्योंकि राजकुमार राव की फिल्म न्यूटन विदेशी सिनेमा खंड अपने नौ में भी अपना स्थान नहीं बना पाई है। फिर भी न्यूटन में काम करने वाले ख़ुश हैं। कहते हैं कि उन्हें ऑस्कर से बहुत कुछ ज़्यादा मिल चुका है।

नक्सल प्रभावित इलाके में शांतिपूर्ण चुनाव करवाने के लिए गए एक युवक की कहानी पर बनी अमित मसुरकर निर्देशित इस फिल्म को इस बार ऑस्कर्स में भारत की ओर से ऑफिशियल एंट्री के तौर पर भेजा गया था लेकिन आख़िरी नौ फिल्मों के चयन के दौरान न्यूटन चूक गई। चीली की A Fantastic Woman, जर्मनी की In the Fade, हंगरी की On Body and Soul, इसराइल की Foxtrot, लेबनान की The Insult, रूस की Loveless, सेनेगल की Felicite, दक्षिण अफ्रीका की The Wound और स्वीडन की The Square अब बेस्ट फॉरेन फिल्म के लिए कॉम्पिटीट करेंगी। न्यूटन उस पांच फिल्मों की नॉमिनेशन लिस्ट तक भी नहीं पहुंच पाई,जहां तक लगान, मदर इंडिया और सलाम बॉम्बे पहुंची। इस बीच न्यूटन के निर्देशक अमित मसूरकर ने कहा है कि ये उनकी हार नहीं है। फॉरेन फिल्म सेक्शन ओलम्पिक की तरह होता है, जहां दुनिया भर की फिल्मों से मुकाबला होता है। ये बहुत टफ है लेकिन इस सफ़र में जिन लोगों ने भी साथ दिया है, वो उनके बेहद आभारी हैं।

यह भी पढ़ें:सेंसर ने सलमान की फिल्म के साथ की ये कांटछांट, टाइगर ज़िंदा है को मिला सर्टिफिकेट

इस फिल्म में काम करने वाली अंजलि पाटिल ने फिल्म ऑस्कर में रहे या बाहर हो जाए लेकिन हमने उससे भी ज्यादा पा लिया है। फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान हमें हर जगह सराहना मिली। बेस्ट 5 तक न जाने के कोई दुःख नहीं है। पंकज त्रिपाठी ने कहा कि दिल से बनाई हुई फिल्म है ये। पूरी दुनिया ने सराहा है। इतना क्या कम है।

chat bot
आपका साथी