जानिये सारा अली खान को क्यों कहा जाता है 'पढ़ाकू कीड़ा'

सारा ने कहा कि हीरोइन मैं काम के लिए बनी हूं.पढ़ाई मैं इंसानियत के लिए करती हूं.

By Manoj KhadilkarEdited By: Publish:Sat, 01 Dec 2018 05:39 PM (IST) Updated:Mon, 03 Dec 2018 11:18 AM (IST)
जानिये सारा अली खान को क्यों कहा जाता है 'पढ़ाकू कीड़ा'
जानिये सारा अली खान को क्यों कहा जाता है 'पढ़ाकू कीड़ा'

 अनुप्रिया वर्मा, मुंबई.सारा अली खान इस बात से खुश हैं कि उनकी फिल्म केदारनाथ अब रिलीज़ होने जा रही हैं. सारा कहती हैं कि मैंने इस फिल्म के लिए काफी मेहनत की है. पहली फिल्म पहली ही होती है.

सारा केदारनाथ से जुड़ी कंट्रोवर्सी को लेकर कहती हैं कि मुझे ये पता था कि अंत में सब ठीक हो जायेगा. इस फिल्म की शूटिंग के दौरान ही मुझे काफी पॉजिटिविटी मिली है और मैं ऊपरवाले पर बहुत भरोसा करती हूं , सो, तमाम मुसीबतों के बाद भी मुझे लगा कि ये परेशानी मैं झेल जाऊंगी और सब ठीक होगा. यह पूछे जाने पर कि क्या वह हमेशा से ही अभिनय में ही आना चाहती थीं? सारा ने जागरण डॉट कॉम से साफतौर पर यह बात स्वीकारी कि हां, वह पैदाइशी अभिनेत्री ही बनना चाहती थीं. मुझे हमेशा से पता था कि मुझे यही करना है लेकिन मैं बचपन से ही काफी पढ़ाकू भी रही हूं. हमेशा से पढ़ती खूब थी और अब भी खूब पढ़ती हूं. मुझे लगता है कि एजुकेशन से आपमें अलग तरह का कांफिडेंस आता है. मेरे माता-पिता ने भी कहा था कि पढ़ाई करनी ही है इसलिए मैं न्यूयॉर्क गयी और वहां पढ़ाई करके आऊंगी. मैं वहां वकालत पढ़ने भी गयी थी और सोचा था सिर्फ वही पढ़ कर आऊंगी.लेकिन वहां जाकर मैंने वहां इतिहास, भूगोल, गणित सबकुछ पढ़ा. मैंने जितने विषय पढ़े. मुझे ये बात हमेशा से समझ आती थी कि मुझे अभिनय ही करना है.

सारा अली खान ने इस दौरान एक राज़ और भी खोला कि उनकी नानी यानि अमृता सिंह की मां की वजह से उनमें पढ़ाई के गुण अधिक आये लेकिन सारा को इस बात का दुख है कि जब वह सिर्फ दस महीने की थी, तो उनका देहांत हो गया था. मुझे जब भी मॉम बात करती हैं तो मुझे बुरा लगता है कि मैं उनसे नहीं मिली. चूंकि मुझमें पढ़ाकू कीड़ा उनसे ही आया है. मैं म्यूजियम जाती हूं न तो मैं आठ घंटे तक वहां रह सकती हूं. वह कहती हैं कि अभी एक हफ्ते पहले भी म्यूजियम चली गयी थी लंदन में. मेरे भाई इब्राहिम ने मुझे कहा भी कि अब तो तू हीरोइन बन गयी है. अब क्यों जा रही है.

सारा ने कहा कि हीरोइन मैं काम के लिए बनी हूं.पढ़ाई मैं इंसानियत के लिए करती हूं. वही क्वालिटी नानी में थी. लोगों से मिलना. अलग अलग शहरों में जानना और समझना मुझमें है.

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