बर्थडे: कई गायकों को ब्रेक देने वाले संगीतकार आर डी बर्मन के गीत आज भी हैं पॉपुलर, जानिये 5 रोचक बातें

कहते हैं ज़िंदगी के अंतिम दिनों में पंचम दा को पैसे की तंगी हो गई थी। बहरहाल, उनके संगीत का खज़ाना कभी कम नहीं हुआ।

By Hirendra JEdited By: Publish:Tue, 27 Jun 2017 12:22 PM (IST) Updated:Wed, 27 Jun 2018 10:31 AM (IST)
बर्थडे: कई गायकों को ब्रेक देने वाले संगीतकार आर डी बर्मन के गीत आज भी हैं पॉपुलर, जानिये 5 रोचक बातें
बर्थडे: कई गायकों को ब्रेक देने वाले संगीतकार आर डी बर्मन के गीत आज भी हैं पॉपुलर, जानिये 5 रोचक बातें

मुंबई। आज संगीतकार आर.डी बर्मन का बर्थ एनिवर्सरी है। आर.डी यानी राहुल देव बर्मन को सब प्यार से पंचम दा भी कहते थे। 27 जून 1939 को कलकत्ता में जन्‍में पंचम दा महज 54 साल की उम्र में हम सबको छोड़ कर चले गए। लेकिन, इस बात से शायद ही कोई इंकार करे कि आज की पीढ़ी भी उनके ताल पर गाहे-बगाहे नाच ही उठती है। बहरहाल, आइये जानते हैं संगीत के इस महान जादूगर के बारे में कुछ दिलचस्प बातें!

बारिश की बूंदों से बनाया धुन

ऐसा कहा जाता है कि आमतौर पर मुंबई फ़िल्म इंडस्ट्री कभी थमती नहीं है। काम और बस काम यही है इसकी पहचान! पर एक बार हुआ यह कि फ़िल्म यूनियन वालों का कुछ पंगा हो गया और इंडस्ट्री में स्ट्राइक घोषित कर दी गयी। सारे काम रुक से गए। लेकिन, ऐसे में जिन्हें  काम करने की आदत हो वो अपने इस आदत से स्ट्राइक तो नहीं ले सकता न? आर. डी बर्मन जो बचपन से संगीत के दीवाने रहे हैं, उन्हें एक गीत के लिए धुन बनाना था। स्ट्राइक की वजह से सभी स्टूडियो बंद थे। बालकनी में बैठे आर.डी सोच रहे थे कि आखिर क्या किया जाए? तभी मुंबई की बारिश ने जैसे उन्हें पुकारा हो! आर.डी का दिमाग चौंका और उन्होंने उसी क्षण बारिश की बूंदों को रिकॉर्ड किया और फिर उसी लय पर, उन ध्वनियों को रखते हुए उन्होंने एक गाना तैयार कर लिया। है न कमाल?वाकई, संगीत के लिए ऐसा पैशन हो तभी कोई आर.डी बन सकता है।

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अशोक कुमार ने दिया पंचम नाम

सब जानते हैं कि आर.डी बर्मन के पिता सचिन देव बर्मन भी एक जाने-माने संगीतकार और गायक थे। लेकिन, यह बात कम लोग जानते हैं कि उनकी मां मीरा भी गीतकार थीं। आर.डी बर्मन का निक नेम टुबलू था, लेकिन वे पंचम के नाम से मशहूर हुए। पंचम नाम उन्हें दिग्गज अभिनेता अशोक कुमार ने दिया था।

नौ साल की उम्र में दिया संगीत

महज नौ बरस की उम्र में उन्होंने अपना पहला संगीत “ऐ मेरी टोपी पलट के” को दिया, जिसे फ़िल्म “फ़ंटूश” में उनके पिता ने इस्तेमाल किया। छोटी सी उम्र में पंचम दा ने “सर जो तेरा चकराये …” की धुन तैयार कर ली थी जिसे गुरुदत्त की फ़िल्म “प्यासा” में ले लिया गया। “प्यासा” का यह गाना आज भी लोगों की ज़ुबान पर है।

कई गायकों को दिया ब्रेक

1960 के दशक से 1990 के दशक तक आर.डी बर्मन ने 331 फ़िल्मों में संगीत दिया। गायक कुमार शानू को पंचम दा ने ही पहला ब्रेक दिया यही नहीं गायक अभिजीत को भी आर.डी ने ही बड़ा ब्रेक दिया। हरिहरन को भी पहली बार आरडी के साथ ही पहचान मिली। मोहम्‍मद अज़ीज ने भी पंचम दा के साथ ही 1985 में अपना पहला गाना गाया। इसलिए भी पंचम दा ने कई गायकों को ब्रेक देने के लिए भी याद किये जाते हैं! 

पर्सनल लाइफ़

पंचम दा की व्‍यक्तिगत ज़िंदगी के बारे में बहुत कम बात होती है। उनकी पहली पत्‍नी का नाम रीता पटेल था, जिनसे वे दार्जिलिंग में मिले थे और दोनों ने 1966 में शादी रचाने के बाद 1971 में तलाक ले लिया। 1980 में उन्‍होंने गायिका आशा भोसले से शादी रचा ली। इससे पहले दोनों ने कई फ़िल्मों में जबरदस्‍त हिट गाने देने के साथ ही कई स्‍टेज प्रोग्राम भी किए थे। पंचम दा और आशा भोसले की प्रेम कहानी की बात करें तो दोनों की पहली मुलाकात साल 1956 हुई थी। तब तक आशा भोंसले ने अच्छी खासी पहचान बना ली थी। जबकि पंचम टीनएज युवा थे! 

साल 1966 में आर.डी बर्मन ने फ़िल्म ‘तीसरी मंजिल’ के लिए आशा भोसले से गाने के लिए संपर्क किया। यह वो दौर था जब पंचम दा और आशा भोसले दोनों की ही पहली शादी टूट चुकी थी। इसी बीच आशा भोसले लगातार पंचम के लिए गाने गा रही थीं। संगीत उन्हें करीब ला रहा था। इस दौर में दोनों ने एक से बढ़-कर एक सुपरहिट गाने दिए। दोनों की शादी का रास्ता इतना भी आसान नहीं था। आशा की उम्र पंचम से ज्यादा थी जिस वजह से उनकी मां इस रिश्ते के खिलाफ थीं। जब पंचम ने अपनी मां से शादी की अनुमति मांगी तो उन्होंने साफ़ इंकार कर दिया! आज्ञाकारी पंचम ने मां से उस वक्त कुछ नहीं कहा और चुपचाप वहां से चले गए। फिर उन्हें शादी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। यह शादी तब हुई जब पंचम की मां जो काफी बुजुर्ग हो चुकी थीं और वो तब किसी को पहचान भी नहीं पाती थीं!  

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बहरहाल, साल 1980 में दोनों की शादी हो गयी लेकिन, शादी के महज 14 साल बाद ही पंचम दा का निधन हो गया। पंचम के चले जाने के बाद आशा बिल्कुल टूट गई थीं। बाद में वो कई सालों बाद सामान्य हो पाईं। 4 जनवरी 1994 को हिन्‍दी संगीत जगत के इस सितारे ने इस दुनिया को अलविदा कहा था। कहते हैं ज़िंदगी के अंतिम दिनों में पंचम दा को पैसे की तंगी हो गई थी। बहरहाल, उनके संगीत का खज़ाना कभी कम नहीं हुआ। आज भी अक्सर रेडियो या टीवी पर उनके गीत सुनाई दे ही जाते हैं, जो सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर जाते हैं!

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