..जब नम हो गइ 'मैरी कॉम' की आंखें

मुंबई। प्रियंका चोपड़ा की फिल्म 'मैरी कॉम' मेरे जीवन पर आधारित है। फिल्म मैं देख चुकी हूं। बहुत ही खुश और संतुष्ट हूं। इस फिल्म के प्रस्ताव से मैं चौंक गई थी। सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई मेरे ऊपर फिल्म बना सकता है। पंाच बार विश्व चैंपियन होने के बाद भी इसका खय्

By Edited By: Publish:Thu, 21 Aug 2014 01:52 PM (IST) Updated:Thu, 21 Aug 2014 01:52 PM (IST)
..जब नम हो गइ 'मैरी कॉम' की आंखें

मुंबई। प्रियंका चोपड़ा की फिल्म 'मैरी कॉम' मेरे जीवन पर आधारित है। फिल्म मैं देख चुकी हूं। बहुत ही खुश और संतुष्ट हूं।

इस फिल्म के प्रस्ताव से मैं चौंक गई थी। सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई मेरे ऊपर फिल्म बना सकता है। पंाच बार विश्व चैंपियन होने के बाद भी इसका ख्याल नहीं आया था। उत्तरपूर्व के राज्यों में असम, मेघालय और नागालैंड जैसे बड़े राज्य हैं। वहां के बारे में भी कभी हिंदी फिल्म नहीं बनी। वहां के मशहूर व्यक्तियों पर भी ध्यान नहीं गया। फिर मैं अपने बारे में कैसे सोच सकती थी। अभी बहुत अच्छा लग रहा है।

ओलंपिक के बाद मेरी पहचान बन गई थी। पत्र-पत्रिकाओं और टीवी पर मेरे बारे में लिखा और बताया जाने लगा था। 'मैरी कॉम' फिल्म आने के बाद यह पहचान गहरी होगी। लोग मुझे मेरे परिवेश के साथ जान सकेंगे। दूर-दराज के इलाकों के लोगों को भी जानकारी मिलेगी। अभी सारे लोग फिल्में देखते हैं। एक अच्छी बात होगी कि इस फिल्म के जरिए आप सभी उत्तरपूर्व के एक राज्य की जिंदगी के बारे में जान पाएंगे। इस बात की खुशी है कि मैं इसका माध्यम बन सकी। मैं अपने उद्गार व्यक्त नहीं कर पा रही हूं। देश के अपरिचित हिस्से के बारे में सभी जान पाएंगे। यह फिल्म सिर्फ मेरे ऊपर नहीं है। यह उत्तरपूर्व की जिंदगी भी दिखाती है। जरुरत है कि उत्तरपूर्व को पहचान और उचित सम्मान मिले। इस फिल्म के बाद परसेप्शन बदलेगा।

मेरा सुझाव इतना ही था कि थोड़ा लुक मिले और एक्टर की एथलीट बॉडी हो। उत्तरपूर्व के लोगों का स्ट्रांग और डिफरेंट लुक होता है। उसमें मुश्किल आई। प्रियंका चोपड़ा सही लगी हैं। स्क्रिप्ट लिखने में मेरी ज्यादा मदद नहीं ली गई। मैंने केवल फैक्ट्स जांच लिए थे। पूरी जिंदगी को फिल्म की स्क्रिप्ट में लाना संभव नहीं था। फिर भी मुख्य पड़ाव लिए गए हैं। विवादित मैच भी है, लेकिन उस पर फोकस नहीं है।

यह मेरे बॉक्सर होने के साथ उत्तरपूर्व की एक औरत की भी कहानी है। मां, पत्‍‌नी, औरत, गृहिणी और बॉक्सर..मेरे सभी रूप इस फिल्म में दिखेंगे। मैं खुद को एक विनर मानती हूं,जिसने यहां तक पहुंचने में अनेक मुश्किलों का सामना किया। मेरे जीवन की कहानी परिवार और पति के सहयोग के बिना पूरी नहीं हो सकती थी। शादी के बाद तो हर औरत के कॅरियर की समाप्ति हो जाती है। मेरे ऊपर भी दबाव थे, लेकिन पति और उनके परिवार ने फुल सपोर्ट किया। मेरे ससुर को मेरी उपलब्धियों से खुशी होती थी। फिल्म में समय अपने अतीत के हिस्सों को देख कर मैं दो बार रोई। सब कुछ आंखें के सामने आ गया कि कितनी मुश्किलें रही थीं।

सभी कोशिश कर रहे हैं कि 'मैरी कॉम' सिक्किम में रिलीज हो सके। उसका वहां प्रीमियर हो।

(सप्तरंग टीम)

पढ़ें:मैरी कॉम को नहीं जानते थे निर्देशक ओमंग कुमार

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