ह्यू बोनविले भारत और भारतीय राजनीति में गहरी रुचि रखते हैं: हुमा कुरैशी

29 वर्षीय अभिनेत्री ने यह भी कहा कि बोनविले – जो टीवी नाट्य "डाउनटाउन अॅबे" में उनकी रॉबर्ट ग्रँथम की भूमिका के लिए काफ़ी लोकप्रिय है – साथ काम करने के लिए बहुत प्यारे है।

By kapilaEdited By: Publish:Thu, 16 Jun 2016 12:59 PM (IST) Updated:Thu, 16 Jun 2016 01:02 PM (IST)
ह्यू बोनविले भारत और भारतीय राजनीति में गहरी रुचि रखते हैं: हुमा कुरैशी

अभिनेत्री हुमा कुरैशी, जो गुरिंदर चड्ढा की ब्रिटिश-भारतीय ऐतिहासिक नाट्य फिल्म “वायसराय हाउस” में ह्यू बोनविले के साथ स्क्रीन साझा करते दिखेगी, का कहना है कि ब्रिटिश स्टार "भारत और भारतीय राजनीति में गहरी दिलचस्पी रखतें है।"

"ह्यू अद्भुत है और जाहिर है की वह बहुत प्रतिभाशाली है। उसी समय, वह बहुत बुद्धिमान है। ह्यू बहुत जागरूक है और दुनिया विचारों, मौजूदा रुझानों से काफ़ी बराबर चलते हैं... वह भारत और भारतीय राजनीति में गहराई से रुचि रखने वाले के रूप में सामने आते हैं," हुमा ने आईएएनएस को बताया।29 वर्षीय अभिनेत्री ने यह भी कहा कि बोनविले – जो टीवी नाट्य "डाउनटाउन अॅबे" में उनकी रॉबर्ट ग्रँथम की भूमिका के लिए काफ़ी लोकप्रिय है – साथ काम करने के लिए बहुत प्यारे है।

"ह्यू साथ काम करने के लिए बहुत प्यारे है और मुझे अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ काम करके बहुत मजा आया, विशेष रूप से ह्यू के साथ," हुमा, जो शो "डाउनटाउन अॅबे" की एक प्रशंसक है और बारीकी से फोलो करती है।

चड्ढा के निर्देशन में बन रही "वायसराय हाउस" भारत के विभाजन के दौरान 1947 में वायसराय हाउस के अन्दर के जीवन के बारे में है।

हुमा को लगता है युवा वर्ग इस फिल्म के साथ जुड़ पाएगा।

"मुझे लगता है कि आज के युवा राजनीतिक रूप से काफ़ी जागरूक है। मुझे लगता है कि यह 'रंग दे बसंती' के समय से शुरू हुआ, जब अचानक आपने बहुत सारे युवाओं को राजनीति, समसामयिक मामलों के साथ दुनिया में क्या हो रहा इनके साथ जुड़ते, मुठभेड़ करते देखा," हुमाने जोड़ा।

वह कहती हैं कि युवाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के बारे में बहुत जानकारी है।

"यह फिल्म विभाजन का एक रूपक के रूप में उपयोग करके क्या कहने की कोशिश कर रही है वो विषय आज के समय में बहुत ही वैध है," उसने कहा।

'डी-डे' की अभिनेत्री का कहना है कि यह फिल्म बहुत सारे तथ्यों और ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित है, लेकिन वहाँ कुछ पात्र है जो काल्पनिक हैं।

"'वायसराय हाउस' जो कुछ साल पहले ब्रिटिश सरकार द्वारा डी-वर्गीकृत कि गई फ़ाइलों के माध्यम से तथा तथ्यों और ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित है, और वायसराय हाउस के बारे में जानकारी और राजनीति का एक बहुत बड़ा हिस्सा वहाँ से आता है। लेकिन वहाँ एक बड़ा मानवीय दृष्टीकोण है और पात्र काल्पनिक हैं।

"यही कारण है कि फिल्म और कहानी अधिक टिकाऊ बन गए है।"

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