हैप्‍पी बर्थडे 'काका'

अपने रूमानी अंदाज, स्वाभाविक अभिनय और कामयाब फिल्मों के लंबे सिलसिले के बल पर करीब डेढ़ दशक तक सिने प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले राजेश खन्ना के रूप में हिंदी सिनेमा को पहला ऐसा सुपरस्टार मिला, जिसका जादू चाहने वालों के सिर चढ़कर बोलता था। आज अगर काका

By Edited By: Publish:Mon, 29 Dec 2014 09:54 AM (IST) Updated:Mon, 29 Dec 2014 10:04 AM (IST)
हैप्‍पी बर्थडे 'काका'

अपने रूमानी अंदाज, स्वाभाविक अभिनय और कामयाब फिल्मों के लंबे सिलसिले के बल पर करीब डेढ़ दशक तक सिने प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले राजेश खन्ना के रूप में हिंदी सिनेमा को पहला ऐसा सुपरस्टार मिला, जिसका जादू चाहने वालों के सिर चढ़कर बोलता था। आज अगर काका हमारे बीच होते तो अपना 74वां जन्मदिन मना रहे होते। खैर, राजेश खन्ना तो हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके सफरनामा पर नजर डालकर काका की पुरानी यादें तो ताजा की ही जा सकती हैं।

29 दिसंबर 1942 को जन्मे राजेश खन्ना का असल नाम जतिन अरोड़ा था। जतिन के माता-पिता भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान से आकर अमृतसर में बस गए थे। खन्ना दंपती जो जतिन के वास्तविक माता-पिता के रिश्तेदार थे, इस च्चे को गोद ले लिया और पढ़ाया लिखाया। जतिन ने तब के बंबई स्थित गिरगांव के सेंट सेबेस्टियन हाई स्कूल में दाखिला लिया। उनके सहपाठी थे रवि कपूर जो आगे चलकर जितेंद्र के नाम से फिल्म जगत में मशहूर हुए।

स्कूली शिक्षा के साथ-साथ जतिन की रुचि नाटकों में अभिनय करने की भी थी। अंत वे स्वाभाविक रूप से थिएटर की ओर उन्मुख हो गए। जतिन को राजेश खन्ना नाम उनके चाचा ने दिया था। यही नाम बाद में उन्होंने फिल्मों में भी अपना लिया। यह भी एक हकीकत है कि जितेंद्र को उनकी पहली फिल्म में ऑडिशन देने के लिए कैमरे के सामने बोलना राजेश ने ही सिखाया था। जितेंद्र और उनकी पत्नी राजेश खन्ना को काका कहकर बुलाते थे।

राजेश खन्ना ने 1966 में पहली बार 24 साल की उम्र में 'आखिरी खत' में काम किया था। इसके बाद राज, बहारों के सपने, औरत के रूप, जैसी कई फिल्में उन्होंने कीं। लेकिन उन्हें असली कामयाबी 1969 में आराधना से मिली जो उनकी पहली प्लेटिनम जुबली सुपरहिट फिल्म थी। आराधना के बाद हिंदी फिल्मों के पहले सुपरस्टार का खिताब अपने नाम किया। उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार 15 सुपरहिट फिल्में की।

पारिवारिक जीवन

1960-70 के दशक में एक फैशन डिजाइनर के साथ राजेश खन्ना का प्रेम प्रसंग चर्चा में रहा। बाद में उन्होंने डिंपल कपाड़िया से मार्च 1973 में विधिवत विवाह कर लिया। विवाह के छह महीने बाद डिंपल की फिल्म बॉबी रिलीज हुई। डिंपल से उनको दो बेटियां हुई। बॉबी की अपार लोकप्रियता ने डिंपल को फिल्मों में अभिनय की ओर प्रेरित किया। बस यहीं से उनके वैवाहिक जीवन में दरार पैदा हुई, जिसके चलते दोनों पति-पत्नी 1984 में अलग हो गए। फिल्मी करियर की दीवानगी ने उनके पारिवारिक जीवन को ध्वस्त कर दिया। कुछ दिनों तक अलग रहने के बाद दोनों में संबंध विच्छेद हो गया।

1980 के दशक में एक अन्य अभिनेत्री टीना मुनीम के साथ राजेश खन्ना का रोमांस उसके विदेश चले जाने तक चलता रहा। काफी दिनों तक अलहदा रहने के बाद डिंपल और राजेश में एक साथ रहने की पारस्परिक सहमति बनती दिखाई दी।

पत्रकार दिनेश रहेजा के अनुसार, उन दोनों में कटुता समाप्त होने लगी थी और दोनों एक साथ पार्टियों में शरीक होने लगे। डिंपल ने लोक सभा चुनाव में राजेश खन्ना के लिए वोट मांगे और उनकी एक फिल्म जय शिवशंकर में काम भी किया। इन दोनों की पहली बेटी ट्विंकल खन्ना एक फिल्म अभिनेत्री है। उसका विवाह फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार से हुआ। दूसरी बेटी रिंकी खन्ना भी हिंदी फिल्मों की अदाकारा है। उसका विवाह लंदन के एक बैंकर समीर शरण से हुआ।

फिल्मी सफर

उन्होंने 1969-71 में लगातार 15 सुपरहिट फिल्में दीं-आराधना, इत्तफाक, दो रास्ते, बंधन, डोली, सफर, खामोशी, कटी पतंग, आन मिलो सजना, ट्रेन, आनंद, सच्चा झूठा, दुश्मन, महबूब की मेहंदी, हाथी मेरे साथी।उन्होंने 1980-1991 तक कई सफल फिल्में दीं। 1991 के बाद राजेश खन्ना का दौर खत्म होने लगा।

बाद में वे राजनीति में आए और 1991 वे नई दिल्ली से कांग्रेस की टिकट पर संसद सदस्य चुने गए। 1994 में उन्होंने एक बार फिर खुदाई फिल्म से परदे पर वापसी की कोशिश की। आ अब लौट चलें, क्या दिल ने कहा और वफा जैसी फिल्मों में उन्होंने अभिनय किया, लेकिन इन फिल्मों को कोई खास सफलता नहीं मिली।

मुमताज का साथ

राजेश खन्ना ने मुमताज के साथ आठ फिल्मों में काम किया और ये सभी फिल्में सुपरहिट हुई। राजेश और मुमताज दोनों के बंगले मुंबई में पास- पास थे। सिनेमा के रूपहले पर्दे पर साथ-साथ काम करने में दोनों की अच्छी पटरी बैठी। जब राजेश ने डिंपल के साथ शादी कर ली, तब कहीं जाकर मुमताज ने भी उस जमाने के अरबपति मयूर माधवानी के साथ विवाह करने का निश्चय किया।

1974 में मुमताज ने अपनी शादी के बाद भी राजेश के साथ आप की कसम, रोटी और प्रेम कहानी जैसी तीन फिल्में पूरी कीं और उसके बाद फिल्मों से हमेशा हमेशा के लिए संन्यास ले लिया। मुमताज ने बंबई को भी अलविदा कह दिया और अपने पति के साथ विदेश में जाकर बस गई। इससे राजेश खन्ना को जबर्दस्त आघात लगा।

अंतिम दिनों में खराब स्वास्थ्य

पति-पत्नी में तलाक व दोनों बेटियों के विवाह हो जाने के बाद राजेश खन्ना अपने आलीशान बंगले में बिल्कुल अकेले रह गए। उनके इस अकेलेपन ने उन्हें शराब और सिगरेट पीने के लिए मजबूर कर दिया। धीरे-धीरे जब उम्र उन पर हावी होने लगी तो शरीर को भी व्याधियों ने घेरना शुरू कर दिया। परिणाम यह हुआ कि उनकी काया जर्जर होती चली गई। पिछले कुछ समय से पंखा बनाने वाली एक कंपनी के लिए विज्ञापन करते राजेश खन्ना टीवी स्क्रीन पर दिखाई दिए तो उनके प्रशंसकों का ध्यान बरबस उनकी ओर गया।

जून 2012 में यह सूचना आई कि राजेश खन्ना पिछले कुछ दिनों से काफी अस्वस्थ चल रहे हैं। उन्हें स्वास्थ्य संबंधी जटिल रोगों के उपचार के लिए लीलावती अस्पताल ले जाया गया, जहां सघन चिकित्सा कक्ष में उनका उपचार चला और वे वहां से 8 जुलाई 2012 को डिस्चार्ज हो गए। उस समय वे पूर्ण स्वस्थ हैं। ऐसी रिपोर्ट दी गई थी। 14 जुलाई, 2012 को उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में दोबारा भर्ती कराया गया। आखिरकार 18 जुलाई, 2012 को राजेश खन्ना का निधन हो गया।

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