एडल्ट कॉमेडी है ग्रैंड मस्ती

मेरा नाम कायनात अरोड़ा है। यह नाम मुझे मेरे परिवार के गुरुजी से मिला है। उनका कहना था कि एक दिन मुझे पूरे विश्व में ख्याति मिलेगी, इसलिए उन्होंने मेरे मम्मी-पापा को मेरा नाम कायनात रखने का सुझाव दिया। उन्होंने मेरे पांव की लकीरें देखी थीं और पापा से कहा था कि यह ल

By Edited By: Publish:Tue, 27 Aug 2013 03:55 PM (IST) Updated:Tue, 27 Aug 2013 05:40 PM (IST)
एडल्ट कॉमेडी है ग्रैंड मस्ती

मुंबई। मेरा नाम कायनात अरोड़ा है। यह नाम मुझे मेरे परिवार के गुरुजी से मिला है। उनका कहना था कि एक दिन मुझे पूरे विश्व में ख्याति मिलेगी, इसलिए उन्होंने मेरे मम्मी-पापा को मेरा नाम कायनात रखने का सुझाव दिया। उन्होंने मेरे पांव की लकीरें देखी थीं और पापा से कहा था कि यह लड़की खूब घूमेगी और अपना नाम रोशन करेगी। मैं हूं पंजाबी, लेकिन यह नाम मुझे बहुत प्रिय है। इस नाम की वजह से हमेशा मेरे साथ कुछ न कुछ अच्छा ही होता रहा है।

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मेरे पापा इंडस्ट्री बिजनेस में हैं। हम लोग आयुर्वेदिक दवाइयां बनाते हैं। कुछ केमिकल भी तैयार करते हैं। मेरी

कंपनी का नाम ग्लोबह‌र्ब्स है। मेरे पापा राजनीति में भी दखल रखते हैं। उनकी राजनीति की मुझे अधिक जानकारी नहीं है।

बस इतना जानती हूं कि वे नेताओं के साथ उठते-बैठते हैं।

मेरे भाई-भाभी डॉक्टर हैं। एक छोटी बहन है, जो अभी पढ़ाई कर रही है। मेरा पूरा परिवार उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में रहता है। सहारनपुर से साजिद-वाजिद, दिव्या भारती, आशुतोष राणा, कंवलजीत आदि फिल्मों में आए। दिव्या भारती तो रिश्ते में मेरी बहन थीं।

सहारनपुर में 12वीं के बाद की पढ़ाई के लिए अच्छे संस्थान नहीं हैं। इस वजह से मुझे दिल्ली आना पड़ा। मुझे याद है, बचपन में अपनी बहनों के साथ खेलते समय मैं कहा करती थी कि बड़ी होने पर मेरे बाल काफी लंबे हो जाएंगे। मैं खूबसूरत हो जाऊंगी और फिर खूब मशहूर हो जाऊंगी। मैं तो ऐक्ट्रेस बन जाऊंगी। उस समय सभी मुझ पर हंसा करते थे।

कोई कहता कि बड़े बाल होने से ही कोई हीरोइन नहीं बन जाता। तब सिर्फ एक ही ख्याल था कि केवल बाल लंबे होने की देर है।

नादानी में जो बातें सोची थीं, आज वे

सच हो गई हैं। दिल्ली रहने के दौरान

मैंने निफ्ट में एडमिशन लिया था। वहीं मुझे फोटोग्राफर अनुज पार्थी मिले। उन्हें मैं कश्मीरी लगी। अनुज ने मुझे सत्या पॉल के जैकेट के ऐड करवाए। इस ऐड के बाद मुझे मैगजीन के कवर्स, मॉडलिंग और रैंप वॉक के ऑफर मिलने लगे। छोटे-छोटे कदमों के साथ मैं आगे बढ़ती गई। मेरी पहली कमाई सिर्फ ढाई हजार रुपये थी। वह मैंने मां को दे दी थी।

फिर एक समय आया कि मैं दिल्ली की सबसे महंगी मॉडल बन गई। तब भी यह ख्याल नहीं आया था कि मुंबई जाना है। एक दिन अचानक एक म्यूजिक वीडियो के लिए कॉल आया। हैरी आनंद का म्यूजिक ंवीडियो 'बदन पे सितारे लपेटे हुए..' किया। उसके हिट होते ही मैं मुंबई में रुक गई। फिर एक ब्यूटी कॉम्पिटीशन में प्रियदर्शन से मुलाकात हुई।

उन्होंने मुझे 'खट्टा मीठा' के आइटम सॉन्ग का ऑफर दिया। उन्हें डिंपल कपाड़िया जैसी लुक वाली लड़की चाहिए थी। मैंने भी सोचा कि इतनी बड़ी अभिनेत्री को ट्रिब्यूट देने का मौका मिल रहा है और फिर अक्षय कुमार भी तो उस फिल्म में थे। उस फिल्म के बाद तमिल और मलयालम फिल्मों में भी आइटम नंबर किए। फिर तय किया कि अब सीधे फिल्म करूंगी। ऑफर तो कई मिल रहे थे, लेकिन अच्छी शुरुआत नहीं मिल रही थी। इच्छा यही थी कि किसी बड़े स्टार और बड़े बैनर के साथ पहली फिल्म करूं। आखिर में मेरी तमन्ना पूरी हुई। मुझे इंद्र कुमार की फिल्म 'ग्रैंड मस्ती' मिली। इसमें मैं विवेक ओबेराय के अपोजिट हूं।

कुछ लोग कह सकते हैं कि पहली फिल्म के तौर पर मुझे एडल्ट कॉमेडी नहीं करनी चाहिए थी। मेरी शुरू से यही इच्छा थी कि पहली फिल्म कॉमेडी या लव स्टोरी वाली करूंगी।

संयोग ऐसा हुआ कि एडल्ट कॉमेडी मिली। मुझे इसमें कोई दिक्कत नहीं लगती। इन दिनों तो सामान्य फिल्मों में भी चुंबन और आलिंगन वाले सीन होते हैं। 'ग्रैंड मस्ती' एडल्ट कॉमेडी है। इसमें डबल मीनिंग डायलॉग भी हैं। अब मुझे फिल्म की रिलीज और लोगों के रेस्पॉन्स का इंतजार है।

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