कलाकार जितने ही बेहतरीन इंसान भी थे फारुख

फारुख एक बेहतरीन कलाकार तो थे ही लेकिन उससे कहीं आगे वह एक बेहतरीन इंसान थे। हम लोगों का उनसे पारिवारिक नाता था। चार दिन पहले की ही बात है कि दुबई से एक लंबा एसएमएस भेजकर उन्होंने क्रिसमस पर विश किया था। यह उम्मीद नहीं थी फारुख इतनी जल्दी फानी दुनिया से कूच कर जाएंगे। यह उनकी दुनिया से रुखसत होने की उम्र नहीं थी।

By Edited By: Publish:Sat, 28 Dec 2013 07:43 PM (IST) Updated:Sun, 29 Dec 2013 12:13 PM (IST)
कलाकार जितने ही बेहतरीन इंसान भी थे फारुख

लखनऊ। फारुख एक बेहतरीन कलाकार तो थे ही लेकिन उससे कहीं आगे वह एक बेहतरीन इंसान थे। हम लोगों का उनसे पारिवारिक नाता था। चार दिन पहले की ही बात है कि दुबई से एक लंबा एसएमएस भेजकर उन्होंने क्रिसमस पर विश किया था। यह उम्मीद नहीं थी फारुख इतनी जल्दी फानी दुनिया से कूच कर जाएंगे। यह उनकी दुनिया से रुखसत होने की उम्र नहीं थी।

यादगार वाक्या है, मैं 'मोनिका' के निर्माण के सिलसिले में मुंबई में था। वकील का रोल फारुख के जिम्मे करने की बात जेहन में थी। अकस्मात एक दिन फारुख खुद आर गए और 'मोनिका' में अपनी भूमिका निभाने के लिए सहर्ष सहमत हो गए। बात पैसे की आई तो कहने लगे कि पैसे के बारे में कोई बात नहीं होगी, फिल्म पूरी होने दो। संयोग था कि डेट क्लैश होने के चलते फारुख 'मोनिका' में अपना रोल नहीं निभा सके।

एक बड़ा नामचीन कलाकार पैसे को लेकर बेफिक्र हो सकता है यह मैंने पहली बार जाना। अल्लाह उन्हें जन्नत बख्शे।

(लखनऊ निवासी फिल्म निर्माता कुश भार्गव से प्रज्ञा श्रीवास्तव की बातचीत पर आधारित)

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