दिल जीत लेता था यह आम आदमी का हीरो, जन्मदिन पर याद आये अमोल पालेकर

बेहतरीन अभिनय और निर्देशन के लिए अमोल पालेकर को कई पुरस्कार और सम्मान मिले।

By Hirendra JEdited By: Publish:Sat, 24 Nov 2018 05:54 AM (IST) Updated:Sun, 25 Nov 2018 07:05 AM (IST)
दिल जीत लेता था यह आम आदमी का हीरो, जन्मदिन पर याद आये अमोल पालेकर
दिल जीत लेता था यह आम आदमी का हीरो, जन्मदिन पर याद आये अमोल पालेकर

मुंबई। आज अमोल पालेकर का जन्मदिन है। इस साल वो अपना 75 वां जन्मदिन मना रहे हैं। 1970 के दशक में उनकी गिनती एक सुपरस्टार की तरह होती थी। यूं तो उन्हें अधिक मीडिया हाइप नहीं मिली लेकिन उनकी फिल्मों की सफलता ही उनकी कहानी कहती है।

अमोल पालेकर ने अपने करियर की शुरुआत एक मराठी फिल्म से की। इसके बाद साल 1974 में उन्हें बसु चटर्जी की रजनीगंधा में काम करने का मौका मिला और इसके बाद तो उन्हें बड़े पर्दे पर जैसे आम आदमी का चेहरा मान लिया गया। उन्होंने अधिकतर फिल्मों में ऐसे कॉमिक किरदार किए जो आम आदमी की मनोदशा को दर्शाते थे। उनकी कुछ बेहद सफल फिल्मों में गोलमाल, नरम-गरम, घरौंदा, बातों-बातों, छोटी सी बात आदि शामिल है! फिल्म गोलमाल के लिए उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। सिर्फ अभिनय ही नहीं अमोल पालेकर ने बतौर निर्देशक भी कई फिल्में बनाईं जिनमें कच्ची धूप, नकाब और पहेली जैसी कई फिल्में हैं जिन्हें देश भर में काफी प्रशंसा मिली।

उनकी अभिनय की खास बात यह थी कि उन्होंने अपने आप को पर्दे पर हमेशा साधारण नायक के रूप में पेश किया। यही वजह रही कि आम आदमी खुद को उनसे जुड़ा हुआ पाता था। अमोल पालेकर ने 1974 में ‘रजनीगंधा’ फ़िल्म से डेब्यू किया था। इसके बाद उनकी दो फ़िल्में 1975 में 'छोटी सी बात' और 1976 में ‘चितचोर’ प्रदर्शित हुई थीं। इन तीनों फ़िल्मों ने मुंबई में सिल्वर जुबली मनायी।

अमोल पालेकर ने करियर की शुरुआत मराठी मंच से की। सफल अभिनेता और निर्देशक अमोल का जन्म 24 नवंबर, 1944 को मुंबई में हुआ और वहीं जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट से पढ़ाई की। पढ़ाई के साथ-साथ थियेटर की ओर भी रुझान था। थियेटर में करियर के लिए संघर्ष करने के साथ ही अमोल एक बैंक में क्लर्क का काम भी कर रहे थे। अमोल पालेकर ने अभिनय में साल 1971 में सत्यदेव दुबे की मराठी फ़िल्म 'शांतता कोर्ट चालू आहे' से शुरुआत की।

बेहतरीन अभिनय और निर्देशन के लिए अमोल पालेकर को कई पुरस्कार और सम्मान मिले। इनमें शामिल है- फ़िल्म ‘दायरा’ (1996) के लिए पहला राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार और पारिवारिक उत्थान के क्षेत्र में निर्देशित फ़िल्म ‘कल का आदमी’ के लिए सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार। इसके अतिरिक्त ‘गोलमाल’ में अपने रोल के लिए अमोल को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफेयर पुरस्कार भी मिला। इन दिनों वो मुंबई की भीड़ भाड़ से दूर पूना में रहते हैं! अब वो ज्यादातर समय पेटिंग करते हुए गुजारते हैं! 

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