अमिताभ बच्चन ने रुपहले परदे पर पहली बार बोला था ये संवाद, बिहार-रांची से था ये खास कनेक्शन

इस पूरी बातचीत को पढ़ने के बाद, शायद ही आप अनुमान लगा पाएं कि यह कोई मामूली बातचीत नहीं थी।

By Rahul soniEdited By: Publish:Thu, 15 Feb 2018 02:22 PM (IST) Updated:Fri, 15 Feb 2019 09:32 AM (IST)
अमिताभ बच्चन ने रुपहले परदे पर पहली बार बोला था ये संवाद, बिहार-रांची से था ये खास कनेक्शन
अमिताभ बच्चन ने रुपहले परदे पर पहली बार बोला था ये संवाद, बिहार-रांची से था ये खास कनेक्शन

अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। सवाल : बैठो, नाम बोलो। जवाब : अमिताभ।

सवाल : यह एक आम नाम नहीं है। इसका मतलब।

जवाब : सूर्य। और यह गौतम बुद्ध के नामों में से भी एक नाम हैं।

सवाल : एजुकेशन

जवाब : बीए दिल्ली यूनिवर्सिटी से।

सवाल : सिनेमा में कभी पहले काम किया है।

जवाब : नहीं किसी ने अब तक मुझे नहीं लिया है।

सवाल : कौन हैं वे लोग, जवाब में उन्होंने नाम बताया।

सवाल : उन्हें तुम में क्या गलत लग रहा।

जवाब : सभी कह रहे हैं कि मैं अभिनेत्रियों के लिए काफी लम्बा हूं, मिसफिट हूं।

जवाब : फिर तो बढ़िया है, हमारी फिल्म में ऐसी कोई परेशानी ही नहीं होगी, चूंकि हमारी फिल्म में तो एक्ट्रेस हैं ही नहीं, तो तुम्हें इस फिल्म से ऐसी कोई दिक्कत नहीं होगी।

जवाब : मुझे ले रहे हैं। क्या आप वाकई मुझे लेने जा रहे हैं। बिना टेस्ट के ले रहे हैं।

सवाल : मैं तुमको पूरी स्टोरी सुनाऊंगा, उसके बाद ही देखना होगा कि तुम वह कॉन्ट्रैक्ट साइन कर पाओगे की नहीं। पूरी कहानी पढ़ने के बाद तुमको कौन सा रोल पसंद आ रहा है। 

जवाब : पंजाबी और मुस्लिम वह रोल।

सवाल : और मैं मुस्लिम का रोल दूं तो।

जवाब : लेकिन क्यों।

सवाल : वह तुम फिल्म के आखिर में समझोगे...

इस पूरी बातचीत को पढ़ने के बाद, शायद ही आप अनुमान लगा पाएं कि यह कोई मामूली बातचीत नहीं थी। इस बात को बीते 15 फरवरी को 50 वर्ष हो चुके हैं। लेकिन फिर भी पूरी बातचीत प्रासंगिक इसलिए नज़र आ रही है कि आज भी जब एक नौजवान सपनों की दुनिया, मायानगरी में बड़े परदे पर अपनी एक झलक दिखने के लिए ऐसे ही सवालों और जवाबों और रिजेक्शन के दौर से गुजरता रहा है, जिस शख्स ने हिंदी सिनेमा इंडस्ट्री में आधे दशक से भी लंबा समय तय कर लिया है, उसे कभी अपनी लम्बाई को लेकर केवल रिजेक्शन का है सामना करना पड़ा था। अब जहां बच्चन बोलते ही जेहन में सिर्फ और सिर्फ अमिताभ का नाम ही नज़र आता हो, उन्होंने किसी दौर में खुद बच्चन सरनेम का इस्तेमाल करने से गुरेज किया था, ताकि उनके पिता हरिवंश राय बच्चन की लीगेसी उनके आड़े न आये। यह पूरी बातचीत अमिताभ और उनकी फिल्म के पहले निर्देशक ख्वाजा अहमद अब्बास के बीच हुई थी। जी हां, हिंदी सिनेमा में जहां इंडस्ट्री की परिभाषा ही अमिताभ बन चुके हैं, गौर करें तो एक दिलचस्प संयोग बनता है, जहां उनकी उम्र 75 हो रही है और वह फिल्म कर रहे हैं 102 नॉट आउट और उनके प्रशंसकों की यही चाहत है कि वह रियल लाइफ में भी 102 नॉट आउट रहें। सिनेमा में उन्होंने आज 49 वर्ष पूरे कर लिए हैं। आज उस लिहाज से सिनेमा इंडस्ट्री के लिए बड़ी घटना है। चूंकि आज ही के दिन अमिताभ बच्चन ने इस मायानगरी में कदम रखा था।

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खुद उन्होंने ट्विटर पर इस बात की जानकारी दी है कि आज ही के दिन ख्वाजा अहमद अब्बास उनकी पहली फिल्म सात हिन्दुस्तानी साइन की थी और उन्हें पांच हजार रूपये साइनिंग अमाउंट के रूप में मिले थे। इस फिल्म से जुड़ी एक खास बात यह है कि इस फिल्म में अमिताभ को पंजाबी किरदार पसंद आया था। बाद में वह किरदार उत्पल दत्त ने निभाया था। लेकिन उन्हें फिल्म के निर्देशक ने मुस्लिम किरदार अनवर अली अनवर का किरदार निभाने को कहा था। इसकी वजह अमिताभ ने उनसे पूछी भी थी। खवाजा इस बात को लेकर स्पष्ट थे कि उन्हें अमिताभ के किरदार को किस रूप में प्रस्तुत करना था। अमिताभ खुद उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद इलाके से संबंध रखते थे और यह दिलचस्प बात रही कि उन्हें अपनी पहली फिल्म में किरदार निभाने का जो मौका मिला, वह बिहार इलाके से संबंध रखता था। 

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फिल्म में उनका पहला संवाद बिहार की खासियत दर्शाता नज़र आता है। सीन की ओपनिंग होती है और अमिताभ अपना परिचय कराते हुए कहते हैं कि वह जय प्रकाश नारायण की धरती से हैं। अनवर अली अनवर। दरअसल, उस दौर में रांची जो कि अब झारखंड में है। उस वक़्त बिहार का हिस्सा थी और अमिताभ का किरदार उसी जगह से संबंध रखता था। फिल्म के एक सीन में जब अनवर (अमिताभ) को सूचना भी मिलती है कि उनके शहर रांची में आग लगा दी गई है। तो वह चौंकते है कि रांची में और झगड़ा। चूंकि उस दौर में हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए बिहार और झारखंड जाना जाता था। अमिताभ से जुड़े लोग यह भी बताते हैं कि जब अमिताभ फ़िल्मी स्टार नहीं बने थे और वह नौकरी किया था थे उस वक़्त वह कोलकता से रांची आया करते थे और रांची में स्थित बड़ा तालाब के पास के एक होटल में रुकते थे और यही वजह थी कि उन्हें रांची से वह जुड़ाव हो गया था और जब उन्हें फिल्मी परदे पर पहली बार किरदार निभाने का मौक़ा भी मिला तो वह रांची का ही किरदार मिला। 

(यह बातचीत ख्वाजा अहमद अब्बास की किताब ब्रेड ब्यूटी रिवॉल्यूशन के अंंश हैं)

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