यूपी चुनाव : शिवपाल सिंह यादव ने कहा, नेताजी साथ हैं, बस यही मेरे लिए बहुत

शिवपाल सिंह यादव ने 12 दिनों से जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र से कदम भी बाहर न निकाला हो। पूछने पर कहते हैं कि लोगों को सांप्रदायिकता के खतरनाक मंसूबे समझा रहा हूं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Mon, 13 Feb 2017 01:09 PM (IST) Updated:Mon, 13 Feb 2017 01:13 PM (IST)
यूपी चुनाव : शिवपाल सिंह यादव ने कहा, नेताजी साथ हैं, बस यही मेरे लिए बहुत
यूपी चुनाव : शिवपाल सिंह यादव ने कहा, नेताजी साथ हैं, बस यही मेरे लिए बहुत

इटावा (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश के किसी भी चुनाव में संभवत: यह पहला अवसर है जबकि चुनाव चल रहा हो और मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव ने 12 दिनों से जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र से कदम भी बाहर न निकाला हो। पूछने पर कहते हैं कि लोगों को सांप्रदायिकता के खतरनाक मंसूबे समझा रहा हूं। विशेष संवाददाता परवेज अहमद ने महलई गांव के पास उनसे बात की-

इस बार क्षेत्र में कुछ ज्यादा मेहनत कर रहे हैैं...?

- हम तो क्षेत्र में पहले भी रहते रहे। मगर धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाले कई लोग सांप्रदायिक ताकतों के साथ जुड़ गए हैैं। उनके पास सत्ता की ताकत है, ऐसे में लोग गुमराह हो सकते हैं। क्षेत्र में रहकर जनता को यह बताना जरूरी है कि वह सांप्रदायिक ताकतों को झांसे में न आयें। इस बार समय भी ज्यादा मिल गया। सो अपने लोगों के बीच में हूं।

मुलायम के शहर में कौन लोग हैैं, जो सांप्रदायिक ताकतों को फायदा पहुंचा रहे हैैं, इशारा किस ओर है?

- अब यह बात 11 मार्च तक के लिए छोड़ दीजिए। वैसे इटावा में सब लोग जानते हैैं कि कौन सांप्रदायिक ताकतों के साथ है और क्यों है। देश-प्रदेश के लोग भी जानते ही हैैं।

आप किस मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैैं?

- आप सब लोग जानते हैैं कि हम नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के नाम, उनके विचार, उनके काम पर ही चुनाव लड़ते हैैं। उन्होंने सरकार में हमें जो काम दिया, वह किया। नेताजी ने 1996 में जब जसवंतनगर सीट मुझे सौंपी, तब से मैैं उनका सिपाही बनकर क्षेत्र की सेवा कर रहा हूं। पूरे क्षेत्र में शानदार सड़क है। नहरों का पानी टेल तक पहुंचा है। साल में दो बार नहरों की सफाई कराई है। बिजली 20 घंटे आ रही है। बेरोजगारी एक समस्या है, अगर जनता ने मुझे इस काबिल बनाया तो इस बार यह समस्या भी दूर करने का प्रयास करूंगा।

आपको प्रचार के लिए मुलायम सिंह को बार-बार बुलाना पड़ रहा है क्यों?

हंसते हुए... क्या आपको नहीं पता है कि उनका दिल जसवंतनगर में बसा रहता है। वह सात बार इस क्षेत्र से विधायक रहे। चार बार सांसद हुए। नौजवानों से लेकर बुजुर्ग तक सब उनके संपर्क में हैं। कई साथी तो उन्हें नेताजी के स्थान पर 'दद्दा' कहते हैैं। यह लगाव का प्रतीक है। यहां की जनता भी उन्हें बेहद प्यार करती है। हम तो उनके ही बनाये हुए हैैं, उनके बिना राजनीति की कल्पना कैसे कर सकते हैैं।

क्या आपको भितरघात का डर है?

- हम जनता से मुलायम के नाम और अपने काम पर वोट मांग रहे हैैं। यहां की जनता ने हर चुनाव में मेरी जीत का अंतर बढ़ाया है। इस बार यही जनता मुझे सवा लाख वोटों से जितायेगी। इसका मुझे पूरा विश्वास है।

प्रदेश की राजनीति में समाजवादी परिवार के मनमुटाव का भी असर दिखेगा क्या?

- यह चुनाव परिणाम आने के बाद पता चलेगा। हमें तो सपा ने टिकट भी दिया है, जबकि हमने इस बार टिकट मांगा नहीं था। टिकट मिला है तो सपा से चुनाव लड़ भी रहे हैैं। कोई मनमुटाव नहीं है।

सपा में आपका दो कद था, चुनाव बाद वह लौट पाएगा?

- सब चुनाव के बाद साफ होगा। मैने कभी कोई पद नहीं मांगा। पद से क्या होता है। काम करेंगे, जनता साथ होगी तो पद पीछे-पीछे भागेगा। डा. लोहिया, जेपी, राजनारायण जैसे ढेरों समाजवादी हैैं, जिनके पास कोई पद नहीं था। क्या उनका कद कम हो गया ?

परिवार में जो सियासी उठा पटक हुई...

- सवाल बीच में ही काटकर देखिए, यह सवाल छोड़ दीजिए। मैैं, इस पर कोई बात नहीं करना चाहता। न कोई उठा और न कोई पटक।

लगता है जख्म गहरा...?

- (हंसते हुए) अंदाजा लगाइए। यह आपका कार्य है।

परिवार की लड़ाई में खुद को कहां पाते हैैं?

यह तो हर कोई जानता है कि किसने खोया, किसने पाया। मगर इसका कोई मलाल नहीं है। नेताजी साथ हैैं, बस यही बहुत है। जीवन का अर्थ खोना पाना ही नहीं होता है।

-सपा-कांग्रेस गठबंधन से नेताजी खुश नहीं थे, एक बार कहा भी फिर चुप हो गये, माजरा क्या है?

वर्ष 2012 में हम अपने बूते नेताजी की नेतृत्व में चुनाव लड़े, बहुमत की सरकार बनाई। हमारे 50 से अधिक प्रत्याशी दो से चार हजार वोटों के छोटे अंतर से चुनाव हारे थे। हम अपने बूते सरकार बनाने की क्षमता रखते थे। नेताजी ने क्या कहा नहीं, पता मगर वह जो कहेंगे हम उनके साथ हैैं।

नई पार्टी बनाने की बात कही थी आपने?

पार्टी नई तो हो गई। अब नेताजी (मुलायम सिंह) अध्यक्ष तो नहीं हैैं। हां, चुनाव परिणाम आयेगा के बाद समीक्षा तो होगी। फिर बात होगी। संगठन नए सिरे मजबूत किया जाएगा।

मुलायम की तरह आप भी अपने बेटे को राजनीति के गुर सिखा रहे हैैं?

बेटा बड़ा हो गया है। उसे जनता के लोगों से मिलना-जुलना चाहिए। जहां हम नहीं जा पाते हैैं, वहां उसे भेजते हैैं। मगर हम सब सीखते नेताजी से ही हैैं।

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