कभी बनाया जीत का रिकार्ड तो कभी जमानत न बचा सके मान

पंजाब की गर्म सियासत का धुरा माने जाते अकाली दल (अमृतसर) के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान का नाम तरनतारन से हमेशा लिए जुड़ा रहेगा।

By Vipin KumarEdited By: Publish:Sun, 07 Apr 2019 02:42 PM (IST) Updated:Sun, 07 Apr 2019 02:42 PM (IST)
कभी बनाया जीत का रिकार्ड तो कभी जमानत न बचा सके मान
कभी बनाया जीत का रिकार्ड तो कभी जमानत न बचा सके मान

जासं, तरनतारन। पंजाब की गर्म सियासत का धुरा माने जाते अकाली दल (अमृतसर) के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान का नाम तरनतारन से हमेशा लिए जुड़ा रहेगा। उन्होंने यहां से 1989 में लोकसभा चुनाव लड़कर इतिहास बनाया था। हालांकि 25 वर्ष बाद इसी क्षेत्र से चुनाव के दौरान उनकी जमानत जब्त हो गई थी। मान आइपीएस अधिकारी थे। 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में हुए सिख विरोधी दंगों के विरोध में उन्होंने नौकरी से त्याग पत्र दे दिया।

भारत-नेपाल सीमा पर मान को तीन अन्य साथियों समेत गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में मान पर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने से लेकर देशद्रोह के कई केस दर्ज किए गए। पांच वर्ष लगातार भागलपुर की जेल में नजरबंद रहे मान ने 1989 के लोकसभा चुनाव में तरनतारन हलके से नामांकन भरा और 5,27,707 वोट लेकर रिकार्ड जीत कायम की। उनके मुकाबले में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अजीत सिंह मान (जिला अमृतसर कांग्रेस अध्यक्ष) ने चुनाव लड़ा था। चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अजीत सिंह मान की जमानत जब्त हो गई थी। तरनतारन से लोकसभा सदस्य बनने पर उनको रिहा कर दिया गया।

1999 में मान ने लोकसभा हलका संगरूर से दूसरी बार सांसद का चुनाव जीता। तरनतारन हलके से रिकार्ड तोड़ जीत के बाद मान देश की संसद में नहीं पहुंच पाए। उन्होंने संसद में श्री साहिब (कृपान) हाथ में लेकर जाने की जिद की थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में सिमरनजीत सिंह मान ने हलका खडूर साहिब (पहले तरनतारन) से अकाली दल अमृतसर की ओर से नामांकन भरा। इस चुनाव में कुल 17 प्रत्याशी मैदान में थे। सिमरनजीत सिंह मान को इस चुनाव में 13,990 वोट ही नसीब हुए। वह चुनाव नतीजे में चौथे नंबर पर तो आए, साथ ही मान की जमानत जब्त हो गई।

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