MP Election 2018: संपत्ति करोड़ों में, प्रचार पर खर्च की सिर्फ इतनी रकम
MP Election 2018: इस मामले में भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के प्रत्याशियों ने कंजूसी दिखाई है।
इंदौर। प्रदेश में जारी चुनावी घमासान में किस्मत आजमा रहे कुछ धन्नासेठों ने भले ही चुनाव आयोग को दिए घोषणा पत्र में अपनी संपत्ति करोड़ों में बताई हो, लेकिन चुनाव प्रचार के खर्च में ये काफी कंजूसी दिखा रहे हैं। नियमों के मुताबिक चुनाव में हर प्रत्याशी 28 लाख तक खर्च कर सकता है लेकिन चुनाव प्रचार में खत्म होने में कुछ ही दिन बाकी हैं और प्रत्याशियों ने चुनाव पर खर्च काफी कम बताया है।
एक बानगी देखिए, इंदौर विधानसभा क्षेत्र क्र.-1 से कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला ने 139.92 करोड़ रु. की संपत्ति की घोषणा की है, जबकि 22 नवंबर तक केवल 95 हजार 571 रुपए ही खर्च किए हैं। यही नहीं, रतलाम से भाजपा प्रत्याशी चेतन्य काश्यप ने 197 करोड़ की संपत्ति घोषित की है व चुनावी खर्च 8.50 लाख बताया है।
नरसिंहपुर जिले में दो अरबपति, खर्च कुछ लाख
तेंदूखेड़ा से कांग्रेस प्रत्याशी संजय शर्मा
संपत्ति - करीब 108.68 करोड़
चुनावी खर्च - 4 लाख 3 हजार 19 रुपए (18 नवंबर तक)
गोटेगांव से कांग्रेस प्रत्याशी एनपी प्रजापति
संपत्ति - करीब 137.34 करोड़
चुनावी खर्च - 86 हजार 409 रुपए (16 नवंबर तक)
संपत्ति 141 करोड़, खर्च 5.66 लाख
कटनी जिले के विजयराघवगढ़ सीट से भाजपा प्रत्याशी और राज्य मंत्री संजय पाठक ने बताया है कि उनके पास 141.62 करोड़ रुपए (बैंक खातों में नकद जमा, शेयर, बीमा आदि) हैं। करीब 84.45 करोड़ रुपए अचल संपत्ति है। पाठक ने अब तक केवल 5.66 लाख रुपए खर्च किए हैं।
संपत्ति 58 करोड़, खर्च 4.34 लाख
ग्वालियर-चंबल अंचल में सर्वाधिक 58 करोड़ की संपत्ति पिछोर से कांग्रेस के केपी सिंह ने घोषित की है। उन्होंने अब तक चुनाव में 4.34 लाख रुपए ही खर्च किए हैं। मुरैना में बसपा प्रत्याशी बलवीर सिंह दंडोतिया ने 42 करोड़ की संपत्ति घोषित की है और 10,76,682 खर्च बताया है।
ऐसे चुनाव खर्च की निगरानी
भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार खर्च के लिए प्रत्याशी को नामांकन भरने से एक दिन पहले किसी बैंक में अलग खाता खोलना अनिवार्य होता है।
-बैंक खाते की संख्या का उल्लेख नामांकन पत्र में करना जरूरी है। चुनाव संबंधी सभी खर्च इसी खाते से किए जाने का प्रावधान है।
-चुनावी खर्च के लिए 20 हजार रुपए तक नकद दिए जा सकते हैं।
-प्रत्याशी को हर चुनावी खर्च का लेखा-जोखा रखना है और तय अवधि में चुनाव के व्यय लेखा प्रेक्षक के कार्यालय में पेश करना है।