Exit Polls 2019: जानें मतगणना से पहले ही कैसे होता है सटीक चुनावी विश्लेषण, देखें VIDEO

Exit Polls 2019 रविवार 19 मई को सातवें और अंतिम चरण का मतदान खत्म होने के बाद सबकी नजरें एग्जिट पोल पर होंगी। ऐसे में ये जानना दिलचस्प है कि कैसे होता है इसका सर्वे।

By TaniskEdited By: Publish:Sat, 18 May 2019 09:17 PM (IST) Updated:Sun, 19 May 2019 10:40 AM (IST)
Exit Polls 2019: जानें मतगणना से पहले ही कैसे होता है सटीक चुनावी विश्लेषण, देखें VIDEO
Exit Polls 2019: जानें मतगणना से पहले ही कैसे होता है सटीक चुनावी विश्लेषण, देखें VIDEO

नई दिल्ली, जेएनएन। Lok Sabha 2019 Exit Polls, लोकसभा चुनाव अपने अंतिम पड़ाव में है। रविवार को सातवें 8 राज्यों के 59 लोकसभा क्षेत्रों के मतदाता अंतिम चरण में अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके साथ ही लोगों को अब 23 मई का इंतजार होगा, जब मतगणना होगी। इससे भी पहले रविवार को अंतिम चरण का मतदान खत्म होने के बाद सभी की नजरें Exit Polls पर होंगी, क्योंकि Exit Poll कुछ हद तक देश का मूड बता देते हैं और इससे पता चलता है कि देश की जनता ने किसके हक में मतदान किया है।

एग्जिट पोल अंतिम चरण के मतदान खत्म होते ही आने शुरू हो जाएंगे। मतदान खत्म होने के बाद और परिणाम घोषित होने से पहले एग्जिट पोल के रूझान दिखाए जाते हैं। इससे यह अनुमान लगाया जाता है कि कौन सी पार्टी सरकार बनाने जा रही है। 

जागरण डॉट कॉम के साथ खास बातचीत में Cicero के धनंजय जोशी ने बताया कि एग्जिट पोल के लिए कितनी तैयारी करनी होती है। इसके लिए किन बातों का विशेष ध्‍यान रखता होता है ?  सर्वे करने के लिए सैम्‍पल साइज कितना बड़ा होता है। किसी क्षेत्र में जाति और वर्ग का क्लासिफिकेशन कैसे होता है। अंत में जब डाटा आ जाता तो लोगों को रुझान कैसे दिखाया जाता है।

एग्जिट पोल सर्वे के दौरान किन किन चीजों का ध्यान रखते हैं?
सर्वे एक स्नैपशॉट की तरह होता है। इसे स्नैपशॉट इस वजह से कहा जाता है क्योंकि इस सर्वेक्षण को गाउंड रिपोर्टिंग के जरिए तैयार किया जाता है। एग्जिट पोल की प्रक्रिया काफी लंबी होती। इससे यह पता लगाने की कोशिश होती है कि किस पार्टी को चुनाव में कितने वोट मिले। 

सर्वे के लिए कितना बड़ा होता है सैंपल साइज?
सैंपल साइज हमेशा यूनिट ऑफ एनालीसिस पर निर्भर करता है। हालांकि, एक छोटा सैंपल साइज हमेशा  बेहतर माना जाता है। इस दौरान सबसे छोटी कैटेगरी को टारगेट किया जाता है। मान लीजिए किसी क्षेत्र में चार राजनीतिक पार्टियां हैं और 10-15 अलग-अलग कम्युनिटी हैं। इसमें जो सबसे छोटी कम्युनिटी है, जिसमें 200 से ज्यादा लोग हों, उन्हें टारगेट किया जाता है। अगर हम उत्तर प्रदेश जैसे राज्य की बात करें, जो सबसे बड़ा प्रदेश है। अगर यह आंकलन पूरे उत्तर प्रदेश के स्तर पर होगा तो इसके लिए हमें 8000 का सैंपल साइज अच्छा माना जाएगा। अगर वहीं हम हर सीट पर आंकलन कर रहे हैं तो हमें हर सीट पर 500 से 800 लोगों का सैंपल साइज लेना होगा। 

डाटा फील्ड से कैसे होता है मूल्यांकन
डाटा फील्ड मूल्यांकन के लिए जनगणना और परिसीमन आयोग के डाटा के आधार बनाया जाता है। इसके अलावा निर्वाचन आयोग से हर क्षेत्र के पुरुषों और महिलाओं का औसत मिलता है। इसके लिए पिछले कई सालों के आंकड़े जुटाए जाते हैं।  

डाटा की क्वालिटी चेक
टेक्नलॉजी के इस दौर में अधिकतर सर्वे ऑनलाइन या एप बेस्ड होते हैं। पूरा डाटा क्लाउड कंप्यूटिंग से सर्वेअर के पास आ जाता है। इसके बाद डाटा को क्लीन किया जाता है। यानी इसकी कई तरह से जांच की जाती है, ताकि आंकलन विश्वसनीय हो।  

एग्जिट पोल में कितना समय लगता है
एग्जिट पोल में कितना समय लगेगा यह सर्वे कर रही टीम में कितने लोग हैं, इस पर भी निर्भर करता है। हालांकि,  इसमें कम से कम एक माह तो लगता ही है।

चुनाव बाद ही क्यों दिखाए जाते हैं एग्जिट पोल
एग्जिट पोल नियमानुसार चुनाव बाद ही पेश किए जाते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण निष्पक्ष चुनाव कराना है। माना जाता है कि चुनाव से पहले इसे दिखाने से वोटर के फैसले प्रभावित हो सकते हैं, जो जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 126 ए के मुताबिक गलत है।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप

chat bot
आपका साथी