Lok Sabha Election 2019 : गाहे-बगाहे ही दिखाएंगे रिश्तेदारी

Lok Sabha Election 2019. चुनावी मैदान में रिश्ते-रिश्ते का खेल भी खूब चल रहा है। कोई बड़ा कलाकार अकेले नहीं उतरा है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sat, 13 Apr 2019 12:36 PM (IST) Updated:Sat, 13 Apr 2019 12:36 PM (IST)
Lok  Sabha Election 2019 :   गाहे-बगाहे ही दिखाएंगे रिश्तेदारी
Lok Sabha Election 2019 : गाहे-बगाहे ही दिखाएंगे रिश्तेदारी

जमशेदपुर, वीरेंद्र ओझा। Lok  Sabha Election 2019 चुनावी मैदान में रिश्ते-रिश्ते का खेल भी खूब चल रहा है। कोई बड़ा कलाकार अकेले नहीं उतरा है। रिश्तेदारों को साथ लेकर उतरा है। अंतर बस इतना है कि ये रिश्तेदार हमेशा साथ नहीं दिखते। खास मौकों पर ही सभी रिश्तेदार जुटते हैं, वह भी इस शर्त के साथ कि अखबार में फोटो और नाम दोनों छपे। आज भी ऐसा हुआ।

खास मौका था, गृहप्रवेश का। खाने-पीने की व्यवस्था थी। छपने-छपाने का अवसर था, इसलिए सभी प्रमुख रिश्तेदार आए और चेहरा चमकाकर चले गए। जाते-जाते ये रिश्तेदार कह गए, अब जुटेंगे मुंहदिखाई के दिन। उनके जाते ही मेजबानों ने कहना शुरू कर दिया, यह तो हमें पता था कि इनकी रिश्तेदारी खाने-पीने तक ही है। वैसे भी हमें ज्यादा चिंता नहीं है। यहां हमारा कुनबा ही इतना बड़ा है कि हमें इनकी जरूरत नहीं पड़ेगी। 

फंसाने के चक्कर में खुद फंस गए

चुनाव का मौसम चल रहा है, लिहाजा किसी को हराने और जीताने के लिए साम दाम दंड भेद सब जायज है। इसमें किसे कौन कब और कहां फंसा देगा, कहा नहीं जा सकता। राजनीतिज्ञ इसे चुनावी खेल कहते हैं। इसी खेल में एक ऐसा आदमी फंस गया, जो अब तक दूसरों को फंसाने के लिए विख्यात या कुख्यात था। दरअसल यह शख्स किसी और को फंसाने वाला था, जिसकी भनक सामने वाले को हो गई थी। उससे इसकी कई दिनों से किचकिच चल रही थी। इसने पूरा प्लान बना लिया था कि उसे कैसे फंसाना है, लेकिन इससे पहले उसने ऐसा काम कर दिया जिसमें दूसरे को फंसाने वाला ही फंस गया।

सुनाए जा रहे तरह-तरह के किस्से

दुख की बात यही है कि अब इसकी कोई सुनना ही नहीं चाहता, ना यह किसी को सुनाना चाहता है। इसे डर है कि यदि पूरा किस्सा सुना भी दिया तो भी उसकी बात पर कोई यकीन नहीं करेगा, क्योंकि वह अब फंस चुका है। इसे लेकर शहर में अब तरह-तरह के किस्से सुनाए जा रहे हैं। एक ने कहा कि वह जिस कुएं में था, उस पूरे कुएं में भांग घुली है। गनीमत यही है कि कोई दूसरा लड़ने के लिए सामने नहीं आया, वरना उसका भी यही हाल होता।

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