गुरु द्रोण की नगरी में चरम पर सियासी तापमान, ये सूरमा बिगाड़ सकते हैं दिग्जगों का खेल

गुरु द्रोण की नगरी गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र में सियासी तापमान बढ़ रहा है। मौजूदा सांसद राव इंद्रजीत सिंह लगातार चौथी बार संसद जाने का रास्ता तलाश रहे हैं।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Mon, 29 Apr 2019 01:44 PM (IST) Updated:Mon, 29 Apr 2019 01:44 PM (IST)
गुरु द्रोण की नगरी में चरम पर सियासी तापमान, ये सूरमा बिगाड़ सकते हैं दिग्जगों का खेल
गुरु द्रोण की नगरी में चरम पर सियासी तापमान, ये सूरमा बिगाड़ सकते हैं दिग्जगों का खेल

गुरुग्राम। मतदान की घड़ी ज्यों-ज्यों पास आ रही है। गुरु द्रोण की नगरी गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र में सियासी तापमान बढ़ रहा है। मौजूदा सांसद केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह लगातार चौथी बार संसद जाने का रास्ता तलाश रहे हैं, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव राव को घेरने के लिए चक्रव्यूह बना रहे हैं।

मुकाबले को नये सूरमा जननायक जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी (जजपा-आप) गठबंधन प्रत्याशी महमूद खान और बसपा- एलसीपी प्रत्याशी रहीश अहमद दिलचस्प बना रहे हैं। पिछले चुनाव में नंबर दो पर रहने वाले इंडियन नेशनल लोकदल(इनेलो) ने इस बार उद्यमी बीरेंद्र राणा को मैदान में उतार मुकाबले को और कड़ा कर दिया है। लोकसभा क्षेत्र में कुल 24 उम्मीदवार मैदान में हैं। सियासी हवा किस ओर चल रही है? इन उम्मीदवारों के लिए बड़ी चुनौतियां क्या हैं? कहां पर वे मजबूत हैं और दिग्गजों की कमजोरी क्या है। इसी मिजाज को भांपते हुए सत्येंद्र सिंह की एक रिपोर्ट:

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी लहर में कांग्रेस से भाजपा में आए केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह को उम्मीद है कि इस बार भी मोदी के नाम पर जनता उन्हें देश के सबसे बड़े सदन में पहुंचाएगी। पार्टी जीत को लेकर इतनी आशान्वित है कि अब तक भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या किसी स्टार प्रचारक की रैली तय नहीं हुई है।

राव चुनाव प्रचार के लिए दिन रात एक किए हैं। नूंह (मेवात) के सभी विधानसभा क्षेत्रों के साथ रेवाड़ी और बावल विधानसभा क्षेत्र पर वे अधिक जोर दे रहे हैं। उनकी बेटी आरती राव ने भी चुनाव प्रचार की कमान संभाल रखी है। राव केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा कराए गए कामों को गिनाने के साथ-साथ अपनी बेदाग छवि होने का दावा भी करते हैं।

कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव रेवाड़ी विधानसभा क्षेत्र से छह बार विधायक रह चुके हैं। कैप्टन टिकट मिलने से पहले से ही जनसंपर्क करने लगे थे। जैसे ही उनके नाम को हरी झंडी मिली, उन्होंने प्रचार तेज कर दिया। कैप्टन के पुत्र चिरंजीव और पुत्रवधू अनुष्का ने भी मोर्चा संभाल रखा है।

कांग्रेस प्रत्याशी को उम्मीद है कि नूंह जिला के करीब चार लाख मुस्लिम मतदाता में से अधिकतर उन्हें ही सपोर्ट करेंगे। कैप्टन के बारे में समर्थक कहते हैं कि वे चुनाव जीतने या हारने के बाद भी क्षेत्र के लोगों को अकेला नहीं छोड़ते। लोगों की समस्याओं को हल कराने के लिए प्रयास करते हैं। उन्हें गुरुग्राम व रेवाड़ी के विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त का भरोसा है।

राव इंद्रजीत सिंह की मजबूती

- अहीरवाल के दिग्गज नेता, अहीर वोटों पर मजबूत पकड़

- गुड़गांव सीट ही नहीं अन्य सीटों पर भी प्रभाव, कार्यकर्ताओं का अपना कैडर

- सियासी हवा अपने अनुकूल करने में महारत है। शहरी क्षेत्र में भाजपा का जनाधार मजबूती देता है।

राव इंद्रजीत सिंह की कमजोरी

-राव इंद्रजीत की कमजोर कड़ी पार्टी में गुटबाजी है। वह भाजपा में तो हैं पर संगठन से जुड़े कई नेता उन्हें भाजपाई नहीं मानते।

-संगठन से वर्षों से जुड़े कई नेता कार्यकर्ता अभी नाराज हैं, उन्हें पीड़ा इस बात की है कि राव खेमे की ओर से उन्हें पूछा नहीं जा रहा है।

कैप्टन अजय सिंह यादव की मजबूती

- कैप्टन अजय सिंह यादव और राव इंद्रजीत सिंह के परिवार के बीच राजनीतिक लड़ाई वर्षों पुरानी है। कई बार कैप्टन का परिवार राव परिवार पर भारी भी पड़ा है।

- चुनाव हारने के बाद भी वे जनता के बीच रहे और लोगों की समस्याएं उठाईं।

- ’सभी जातियों के साथ-साथ मुस्लिम मतदाताओं पर उनकी पकड़ है।

कैप्टन अजय सिंह यादव की कमजोरी

- कैप्टन पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं।

-पार्टी की गुटबाजी का भी सामना करना पड़ रहा है।

-बड़े नेता अभी भी उनके चुनाव प्रचार में नजर नहीं आए।

गुड़गांव लोक सभा क्षेत्र

गुड़गांव जिला की गुड़गांव, बादशाहपुर, सोहना, पटौदी विधानसभा सीट शामिल हैं। नूंह जिला की नूंह, पुन्हाना, फिरोजपुर ङिारका तथा रेवाड़ी जिला की रेवाड़ी व बावल विधानसभा सीट शामिल हैं।

नूंह की तीनों सीटें मेव (मुस्लिम)बाहुल्य क्षेत्र हैं, जहां पाल और गोत्र पर मतदाता अक्सर बंट जाते हैं। गुरुग्राम और बादशाहपुर में बाहरी मतदाताओं की संख्या अधिक है। पटौदी, रेवाड़ी और बावल विधानसभा में अहीर मतदाता ज्यादा हैं। इसके अलावा सोहना एक ऐसा इलाका है, जहां गुर्जर, मेव, राजपूत और अहीर मतदाता हैं।

नए सूरमा बिगाड़ सकते हैं दिग्गजों का अंक गणित

आमने-सामने की लड़ाई भाजपा व कांग्रेस के बीच ही दिखाई दे रही है। मगर नए सूरमा भी अपनी ओर से पूरा जोर लगाए हैं। जननायक जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी गठबंधन ने महमूद खान पर दांव लगाया है, वहीं बसपा- एलसीपी गठबंधन ने बिल्डर रहीश अहमद को टिकट दिया है। इंडियन नेशनल लोकदल(इनेलो) प्रत्याशी उद्यमी बीरेंद्र राणा भी पूरा जोर लगाए हैं। सियासी जानकार कहते हैं कि तीनों उम्मीदवारों ने मुस्लिम मतों में सेंध लगाई तो मुकाबला दिलचस्प होगा।

मतदाताओं की संख्या- 10,40,749

लोकसभा क्षेत्र का इतिहास

1967 और 1971 के लोकसभा चुनाव में गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र था। वर्ष 1977 में इसका नाम बदलकर महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र कर दिया गया। 2009 में परिसीमन के बाद फिर से गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र का नाम मिला। 2009 में 24 उम्मीदवारों ने ताल ठोकी थी। इस चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर राव इंद्रजीत, बसपा के टिकट पर जाकिर हुसैन, भाजपा से डॉ. सुधा यादव और हजकां से राव नरबीर सिंह मैदान में उतरे थे।

राव इंद्रजीत को 2,78516, जाकिर हुसैन को 1,93652, डॉ सुधा यादव को 1,25837 और राव नरबीर सिंह को 1,17260 मत मिले थे। इस चुनाव में राव इंद्रजीत सिंह ने सुधा यादव को हराकर चुनाव जीता था। वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा के राव इंद्रजीत सिंह ने इनेलो के जाकिर हुसैन को ढाई लाख से अधिक वोट से हराया था। 2019 के चुनाव में राव इंद्रजीत, सुधा यादव और राव नरबीर सिंह तीनों ही भाजपा में हैं और एकजुट होकर भाजपा के लिए वोट मांग रहे हैं।

जानिए अपने संसदीय क्षेत्र को

चुनाव आयोग के दस्तावेजों में गुरुग्राम का नाम अभी भी गुड़गांव के नाम से दर्ज है। गुरुग्राम को आइटी सेक्टर का गढ़ कहा जाता है। यह शहर औद्योगिक विकास का गलियारा बन चुका है। यह दिल्ली से 32 किलोमीटर और चंडीगढ़ के 268 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में है। '

गुरुग्राम का भारत में प्रति व्यक्ति आय में चंडीगढ़ और मुंबई के बाद तीसरा स्थान है। जिले का जिक्र हिन्दू ग्रंथों में भी मिलता है। गुरुग्राम गांव, जो शहर के एकदम मध्य में है, इसे गुरु द्रोणाचार्य का गांव कहा जाता है, शास्त्रों के मुताबिक यहीं पर गुरु द्रोणाचार्य ने पांडवों और कौरवों को शिक्षा दी थी। जिसके बाद राजा युद्धिष्ठिर ने अपने गुरु द्रोणाचार्य को गुरुग्राम उपहार स्वरूप दिया था।

आज भी उनके नाम पर एक तालाब के भग्नावशेष और एक मंदिर प्रतीक के तौर पर यहां मौजूद है। 27 सितंबर 2016 को हरियाणा के मंत्रिमंडल और केंद्र सरकार के अनुमोदन के बाद इस शहर का नाम बदलकर गुड़गांव से गुरुग्राम कर दिया गया। गुरुग्राम में शीतला माता का मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। देश-विदेश से श्रद्धालु शीतला माता की पूजा करने के लिए यहां आते हैं।

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