Loksabha Election 2019: गठबंधन तय नहीं, कांग्रेसियों में बढ़ने लगा असंतोष

दिल्ली में लोकसभा चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है। अभी तक दिल्ली में कांग्रेस ने उम्मीदवार तय नहीं किेए हैं। आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर कई कांग्रेसी नेता नाराज हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Sat, 23 Mar 2019 10:51 AM (IST) Updated:Sat, 23 Mar 2019 10:51 AM (IST)
Loksabha Election 2019: गठबंधन तय नहीं, कांग्रेसियों में बढ़ने लगा असंतोष
Loksabha Election 2019: गठबंधन तय नहीं, कांग्रेसियों में बढ़ने लगा असंतोष

नई दिल्ली, संजीव गुप्ता। आम आदमी पार्टी (आप) के साथ गठबंधन को लेकर अनिश्चितता बरकरार है, लेकिन प्रदेश कांग्रेस में टिकटों को लेकर असंतोष बढ़ने लगा है। सबसे ज्यादा विरोध तीनों कार्यकारी अध्यक्षों की दावेदारी का हो रहा है। हालात ये हैं कि पूर्व सांसदों के माथे पर त्योरी चढ़ने लगी है। वहीं दिल्ली के नेताओं ने सीधे पार्टी आलाकमान से मिलने का समय भी मांगना शुरू कर दिया है।

16 जनवरी को पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद जिस तेजी से दिल्ली में पार्टी का ग्राफ बढ़ना शुरू हुआ था, अब उसी तेजी से नीचे भी आने लगा है। आप के साथ गठबंधन का असमंजस भी पार्टी को लगातार नुकसान पहुंचा रहा है। पांच साल से अपने क्षेत्र में सक्रिय कुछ पूर्व सांसद इसीलिए शांत बैठ गए हैं क्योंकि अभी तक यही नहीं पता कि गठबंधन होने की सूरत में उनकी सीट बचेगी या नहीं। जबकि कुछ पूर्व सांसद इसीलिए बाजू चढ़ाने लगे हैं क्योंकि उनकी सीट पर पैराशूट लीडर की तरह तीनों कार्यकारी अध्यक्ष अपनी दावेदारी ठोकने लगे हैं।

आलम यह हो गया है कि तमाम प्रमुख नेताओं में अविश्वास की खाई गहरी होने लगी है। कुछ नेताओं ने तो गुपचुप तरीके से विरोधी पार्टियों में भी अपने लिए जगह तलाशनी शुरू कर दी है। हारून यूसुफ की चांदनी चौंक, राजेश लिलोठिया की उत्तर पश्चिमी दिल्ली एवं देवेंद्र यादव की पश्चिमी दिल्ली से दावेदारी का विरोध भी पार्टी में जोर पकड़ने लगा है। पार्टी नेताओं का तर्क है कि जब इन्हें संगठन में सम्माजनक जगह दे दी गई है तो अब टिकट की दावेदारी बाकी नेताओं के हक पर डाका डालने जैसी है।

यही वजह है कि लगभग सभी पूर्व सांसदों ने अपने-अपने आकाओं के माध्यम से एक ओर अपनी पैरवी शुरू कर दी है तो दूसरी तरफ विरोध के स्वर भी ऊपर पहुंचना प्रारंभ कर दिया है। कुछ ने तो पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से समय मांगना भी शुरू कर दिया है। शीला दीक्षित ने भी तीनों कार्यकारी अध्यक्षों को समझाना शुरू कर दिया है कि उनका टिकट मांगना जायज नहीं है। शुक्रवार शाम उनके घर पर लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर जो एक बैठक रखी गई थी, उसमें भी मुद्दा उठा कि अगर तीनों कार्यकारी अध्यक्ष खुद ही टिकट मांगने लगेंगे तो फिर पुराने नेता कहां जाएंगे।

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