Loksabha Election 2019 : गांधी परिवार का अमेठी में इमोशनल कार्ड, पुराने रिश्ते को ताजा करने की कोशिश

अमेठी में बुधवार के नामांकन जुलूस में गांधी परिवार द्वारा क्षेत्रीय जनता को भावनात्मक रिश्तों की याद दिलाने की कोशिश भी होती रही।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Thu, 11 Apr 2019 02:42 PM (IST) Updated:Thu, 11 Apr 2019 02:42 PM (IST)
Loksabha Election 2019 : गांधी परिवार का अमेठी में इमोशनल कार्ड, पुराने रिश्ते को ताजा करने की कोशिश
Loksabha Election 2019 : गांधी परिवार का अमेठी में इमोशनल कार्ड, पुराने रिश्ते को ताजा करने की कोशिश

अमेठी, जेएनएन। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी पुश्तैनी सीट के अलावा सुदूर केरल के वायनाड संसदीय क्षेत्र से भी नामांकन कराने को पार्टी भले ही रणनीतिक फैसला बता रही हो लेकिन, भाजपा की ओर से की जा रही घेराबंदी से गहराए डर को अनदेखा नहीं किया जा सकता। इसीलिए, अमेठी में बुधवार के नामांकन जुलूस में गांधी परिवार द्वारा क्षेत्रीय जनता को भावनात्मक रिश्तों की याद दिलाने की कोशिश भी होती रही। चुनावी नैया पार लगाने के लिए दशकों पुराने रिश्ते को जिंदा रखने के लिए ही समूचा गांधी परिवार पांच साल बाद एक साथ गौरीगंज की सड़कों पर नजर आया। चुनावी व्यस्तता होने के बावजूद प्रियंका और राहुल गांधी एक दिन पूर्व अमेठी पहुंच गए थे।

मंगलवार को दोनों ने देर रात तक प्रमुख कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर रोड शो की कामयाबी की कार्ययोजना तैयार की। प्रियंका ने खुद नामांकन जुलूस में भीड़ जुटाने के लिए विधानसभा क्षेत्रवार समीक्षा की और नाराज कार्यकर्ताओं से अलग मुलाकात का वादा किया। सोनिया गांधी भी सेहत खराब होने के बावजूद अमेठी पहुंचीं और प्रमुख नेताओं से मिलकर राजनीतिक हालात की जानकारी ली।

राजीव गांधी के दिनों की यादें ताजा कराने के लिए प्रियंका गांधी ने अपने दोनों बच्चों रेहान व मियारा को जुलूस में अपने साथ रखा। तिलोई से आयीं 55 वर्षीया सावित्री मौर्या का कहना है कि प्रियंका के बच्चों को देेखकर राहुल व प्रियंका का बचपन याद आता है। अमेठी से गांधी परिवार का दशकों पुराना रिश्ता यूं ही खत्म नहीं हो सकता है। हालांकि सावित्री को राहुल गांधी द्वारा दूसरे संसदीय क्षेत्र से नामांकन करने का मलाल भी है। कहा कि गांधी परिवार से ही अमेठी की पहचान है, जिसे नहीं खोने देंगे।

विधानसभा चुनाव से बढ़ी बेचैनी

अमेठी में ही राहुल गांधी की घेराबंदी करने के लिए भाजपा द्वारा केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के अलावा वरिष्ठ नेताओं को लगाने का नतीजा रहा कि 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा चार सीटें जीतने में कामयाब रही जबकि कांग्रेस को खाली हाथ रहना पड़ा। पुराने चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें तो अमेठी की जनता कई बार कांग्रेस को गच्चा दे चुकी है। आपातकाल के बाद 1977 में स्व. संजय गांधी को भारतीय लोकदल के रविंद्र प्रताप सिंंह चुनाव हरा चुके हैं। 1998 में गांधी परिवार के करीबी कैप्टन सतीश शर्मा भी भाजपा के हाथों पराजित हो चुके हैं। ऐसे में पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों और राहुल गांधी द्वारा क्षेत्र में पर्याप्त समय न दे पाने की शिकायतों को ध्यान में रखकर कांग्रेस ने रक्षात्मक कदम उठाया।

ब्राह्मणों की नाराजगी का ख्याल

अमेठी में पुराने कार्यकर्ताओं की शिकायतों को दूर करने के साथ प्रियंका ब्राह्मणों में बढ़ी नाराजगी को लेकर भी चिंतित हैं। सूत्र बताते हैं कि ब्राह्मणों को साधने के लिए वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी को अतिरिक्त तरजीह दी जा रही है। वहीं प्रवक्ता अनिल सिंह का कहना है कि गांधी परिवार को लेकर किसी वर्ग में कोई नाराजगी नहीं है बल्कि अमेठी और रायबरेली की पहचान देश विदेश में गांधी परिवार से बनी है। इसी परिवार के कारण ही राजनीतिक महत्व भी बना हुआ है वरना भाजपा अथवा अन्य किसी दल को इतनी परवाह न होती कि सभी शीर्ष नेता यहीं डेरा न डाले रहते।

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