Lok Sabha Elections 2019: गुजरात की इन सीटों पर है सबकी नजर
Lok Sabha Elections 2019. लोकसभा चुनाव 2019 में गुजरात में गांधीनगर आणंद अमरेली सहित कई सीट ऐसी हैं जिन पर सबकी नजरें टिकी हैं।
गांधीनगर, शत्रुघ्न शर्मा। गुजरात की 26 लोकसभा सीट का चुनाव प्रचार रविवार शाम को थम गया। मतदान 23 अप्रैल को होगा। गांधीनगर, आणंद, अमरेली सहित दस हॉट सीट ऐसी हैं, जिन पर सबकी नजरें टिकी हैं। महिला आरक्षण का दावा करने वाली कांग्रेस एक ही महिला को टिकट दे पाई, वहीं भाजपा ने छह महिलाओं को टिकट दिया। कांग्रेस चुनाव प्रचार के दौरान न्याय योजना, रोजगार, राफेल व किसानों पर जोर देती रही लेकिन इन सभी मुद्दों पर मोदी भारी पड़ते नजर आ रहे हैं।
मई 2014 के चुनाव में भाजपा ने सभी 26 सीट पर जीत दर्ज की थी, इसलिए यहां कांग्रेस के पास खोने को कुछ भी नहीं है। पिछले विधानसभा चुनाव में हुए मतदान के आधार पर कांग्रेस 26 में से आठ सीटों पर जीत का दावा करती है, लेकिन कांग्रेस विधायकों के ही पार्टी बदलने व भाजपा के जातीय समीकरण ने कांग्रेस की यह गणित भी बिगाड़ दी है। दरअसल, कांग्रेस को पाटीदार आरक्षण आंदेालन से उभरे नेता हार्दिक पटेल पर खूब भरोसा था, पार्टी ने उन्हें प्रचार के लिए हेलीकॉप्टर भी दिया लेकिन उनके कांग्रेस में शामिल हो जाने से उनके संगठन ही दो फाड़ हो गए।
कोली पटेल नेता कुंवरजी बावलिया व ठाकोर सेना प्रमुख अल्पेश ठाकोर विधानसभा चुनाव तक कांग्रेस के साथ थे लेकिन अब वे भाजपा के पक्ष में आ गए हैं। पाटीदारों की नाराजगी की भरपाई भाजपा को कोली पटेल व ओबीसी मतदाताओं से होने की संभावना है, जो कांग्रेस का कोर वोटर माना जाता है। इसी समीकरण के दम पर भाजपा अगर गत चुनाव की सफलता दोहराती है तो आश्चर्य नहीं होगा। भाजपा गांधीनगर, अहमदाबाद पूर्व व पश्चिम, सूरत, नवसारी, वडोदरा, भरुच, जामनगर,भावनगर, राजकोट, खेडा,कच्छा,दाहोद व वलसाड सीट पर मजबूत स्थिति में है वहीं कांग्रेस आणंद, अमरेली, छोटा उदेपुर, पाटण व जूनागढ में खुद को सहज महसूस कर रही है। राजनीतिक विश्लेषक कुछ सीटों पर दोनों दलों के बीच संघर्ष की स्थिति मानते हैं लेकिन कमजोर प्रत्या शी व जातीय समीकरण कांग्रेस पर भारी पड़ रहे हैं।
गांधीनगर सीट की बात करें तो यहां पाटीदार व क्षत्रिय मतदाता बहुल हैं, लेकिन भाजपा यहां से सबसे बड़ी लीड से चुनाव जीतने की तैयारी कर रही है। अमित शाह बीते 30 साल से इस संसदीय क्षेत्र से जुड़े हैं। एनसीपी नेता शंकर सिंह वाघेला कांग्रेस के समर्थन में आ गए, लेकिन उनकी प्रासंगिकता राज्यसभा चुनाव के साथ ही समाप्त हो चुकी है। आणंद सीट पर कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री व पूर्वसीएम माधव सिंह सोलंकी के पुत्र भरतसिंह सोलंकी मैदान में हैं, वहीं अमरेली से नेता विपक्ष परेश धनाणी मैदान में हैं।
आदिवासी बहुल पंचमहाल सीट पर भी मुकाबला रोचक है। पूर्व नेता विपक्ष के पुत्र रणजीत राठवा कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। कानूनी बंदिश के चलते जामनगर से हार्दिक पटेल चुनाव नहीं लड़ सके। उनके बदले महिला पाटीदार नेता गीता पटेल को अहमदाबाद पूर्व से मैदान में उतारा गया। गुजरात में गीता पटेल कांग्रेस की एक मात्र महिला उम्मीदवार हैं। कांग्रेस ने महिला आरक्षण की खूब वकालत की लेकिन चुनाव के वक्त टिकट देने में जरा भी दरियादिली नहीं दिखा पाई। भाजपा ने मेहसाणा, जामनगर, भावनगर, वडोदरा, छोटाउदेपुर व सूरत में महिलाओं को मौका दिया है।
पीएम नरेंद्र मोदी के चुनाव लड़ने की वजह से पिछली बार वडोदरा देशभर में खूब चर्चा में रहा। मोदी यहां से चार लाख से अधिक रिकार्ड मतों से चुनाव जीते, लेकिन इस बार वडोदरा चर्चा में नहीं है। राजकोट से सीएम विजय रूपाणी तो मेहसाणा से उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल की प्रतिष्ठाी दांव पर है, वहीं उत्तर गुजरात की बनासकांठा,पाटण पर पूर्वमंत्री शंकर चौधरी व ठाकोर सेना प्रमुख अल्पे्श ठाकोर की किस्मत दांव पर है। बनासकांठा से मंत्री परबत पटेल सांसद चुने जाते हैं तो शंकर चौधरी व अल्पेश दोनों के लिए रूपाणी सरकार के दरवाजे खुल सकते हैं।
जामनगर से पूनम माडम ने बड़ी मुश्किल से टिकट पाया है। इस सीट पर क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा की भी नजर थी, हालांकि रवींद्र की बहन व पिता के कांग्रेस में शामिल होने से मुकाबला दिलचस्प जरूर बना है। खेडा से देवूसिंह फीर मैदान में हैं, उनके खिलाफ कांग्रेस ने भाजपा के पूर्व विधायक बिमल शाह को जातीय समीकरण के विरुद्ध जाकर टिकट दिया है।
गुजरात में कुछ सीटों पर कांग्रेस की हालत नौ दिन चले अढाई कोस जैसी है। अहमदाबाद से लेकर दिल्ली तक मंथन करने, एनसीपी व बीटीपी जैसे भरोसेमंद दलों को छोड़कर भी अब वह आठ से 10 सीट जीतने का दावा कर रही हैं। यानी 18 सीटों पर वह मतदान से पहले ही हार मान चुकी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुजरात में चार सभाएं कीं, जबकि पीएम मोदी ने आठ सभाएं की। भाजपा के केंद्रीय नेता, अन्य राज्यों के मुख्यामंत्री, महाराष्ट्र से बुलाई गई जादूगरों की 50 टीमें प्रचार में जुटी थी। वहीं, कांग्रेस की ओर से पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के अलावा कोई भी नेता अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाया।
छोटा उदेपुर आदिवासी बहुल सीट है, कांग्रेस ने यहां से अपने पूर्व नेता विपक्ष के पुत रणजीत राठवा को टिकट दिया है। वहीं, भरुच सीट से कांग्रेस नेता अहमद पटेल के चुनाव लड़ने की अटकलों व बीटीपी को गठबंधन में देने की सहमति के बाद अचानक शेरखान पठान को मैदान में उतार देने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया। दक्षिण गुजरात की बारडोली से पूर्व केंद्रीय मंत्री व पूर्व प्रदेश अध्यबक्ष तुषार चौधरी मैदान में हैं। पूर्व सीएम व पिता अमरसिंह चौधरी की तरह तुषार आदिवासियों में पैठ नहीं बना सके। इसलिए गत चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
गौरतलब है कि गुजरात में कांग्रेस की ओर से भरतसिंह सोलंकी व तुषार चौधरी को अक्सर सीएम प्रत्याशी के रूप में देखा जाता है। इनके अलावा पूर्व सीएम चिमनभाई पटेल के पुत्र सिद्धार्थ पटेल को भी इसी पंक्ति में रखा जाता है, लेकिन इन नेताओं ने कभी अपने को उस तरीके से पेश ही नहीं कर पाए।
मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने इस चुनाव में सबसे अधिक 75 चुनावी सभाएं की। उनके बाद केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने ठेठ गुजराती भाषा में हर दिन चार पांच सभाएं कीं। रूपाला अपनी सभाओं में एयर स्ट्राइक की परिभाषा भी देते सुने गए। रूपाला कहते हैं कि दुश्यन को बिना बताए उसके इलाके में जाकर केवल आतंकियों को मारकर वापस सुरक्षित आने को एयर स्ट्रााइक कहते हैं। सेना ने ऐसा पराक्रम किया, फिर भी कांग्रेस उनके शौर्य पर सवाल उठाती है। साथ ही, कांग्रेस की न्याय योजना का मजाक उठाते रहे।