Lok Sabha Election: मतदान में दिखेगा नारी शक्ति का दम, जानिए इस पर प्रमुख महिलाओं के विचार

Lok Sabha Election देश में लोकसभा चुनाव का महापर्व जारी है। दो चरणों का मतदान संपन्न होने के बाद अभी भी पांच चरणों की वोटिंग बाकी है। ऐसे में सभी को सशक्त लोकतंत्र के लिए मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। मतदान प्रक्रिया में अधिक से अधिक महिलाओं का हिस्सा लेना भी बेहद आवश्यक है। जानिए चुनाव और मतदान को लेकर देश की कुछ प्रमुख नारी शक्तियों के विचार।

By Sachin Pandey Edited By: Sachin Pandey Publish:Sat, 27 Apr 2024 09:25 AM (IST) Updated:Sat, 27 Apr 2024 09:25 AM (IST)
Lok Sabha Election: मतदान में दिखेगा नारी शक्ति का दम, जानिए इस पर प्रमुख महिलाओं के विचार
सावित्री जिंदल, देवी चित्रलेखा, डॉ. गरिमा साहनी (बाएं से दाएं)

दिनेश दीक्षित, नई दिल्ली। देश के कुछ हिस्सों में पहले और दूसरे चरण की चुनावी प्रक्रिया पूरी हो गई है। हालांकि मतदान के पांच चरण शेष हैं। ऐसे में सभी का यह दायित्व बनता है कि वे मतदान की प्रक्रिया में बढ़-चढ़कर भागीदारी सुनिश्चित करें और सही व सक्षम प्रत्याशी के लिए मतदान करें।

अच्छे नेता के चयन से ही देश को उन्नति के पथ पर ले जाने वाली सरकार का भविष्य तय होगा। जानिए चुनाव और मतदान को लेकर देश की कुछ प्रमुख नारी शक्तियों के विचार।

सामाजिक परिवर्तन का शक्तिशाली माध्यम

जिंदल ग्रुप की चेयरपर्सन एवं पूर्व मंत्री (हरियाणा), सावित्री जिंदल का कहना है, 'लोकतंत्र में मतदान की अपनी अलग महत्ता है। एक मत देश को आगे बढ़ा सकता है। मतदान का सही प्रयोग सामाजिक परिवर्तन का शक्तिशाली माध्यम है।

हमारा मत तय करता है कि लोकनीतियां निर्धारित वाली संसद में आपका प्रतिनिधित्व कौन करेगा। ये प्रतिनिधि ही जनता और देश का भाग्य तय करते हैं। इसलिए मतदान करना देश के नागरिकों का एक अनिवार्य कर्तव्य है।

मतदान लोकतंत्र का एक मूलभूत पहलू और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की नींव भी है। चुने गए नेता देशवासियों के हितों के लिए जवाबदेह होते हैं। मतदान सामाजिक परिवर्तन का एक शक्तिशाली माध्यम है।'

वह आगे कहती हैं, 'कोई भी राजनीतिक दल या व्यक्ति चुनाव में उतरता है तो अपने कुछ मूल्य जनता के सामने रखता है। उन मूल्यों के आधार पर ही मतदान के माध्यम से समाज में बदलाव लाए जा सकते हैं। मतदान और चुनाव लोकतंत्र के दो पहिये हैं।

मतदान मौलिक अधिकार है, जिसके माध्यम से समाज और देश के प्रति अपना सहयोग और संबंध प्रदर्शित करते हैं। मतदान चुनावी फैसलों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण मंच होता है, जो समाज को आगे बढ़ाने में मदद करता है और निर्णय लेने की प्रक्रिया को पूरा करता है।

मतदान का सही और सकारात्मक प्रयोग करके देश को विकसित राष्ट्र बनाने में मदद मिल सकती है। हम मतदान द्वारा उन लोगों को अपना प्रतिनिधि बना सकते हैं, जो हमारे विचारों, मूल्यों और आवश्यकताओं को समझते और सम्मान देते हैं। मतदान के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भागीदारी बढ़ाई जा सकती है और उन्हें राजनीतिक रूप से सक्रिय बनाया जा सकता है साथ ही बड़े निर्णयों में उनकी राय ली जा सकती है।'

मतदान का सही प्रयोग करें

कथावाचिका व आध्यात्मिक वक्ता, देवी चित्रलेखा का कहना है, 'देश के एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपने उत्तरदायित्व को समझते हुए मतदान करना बहुत महत्वपूर्ण भी है और जरूरी भी है।

यह न केवल हमारे लिए एक अधिकार है, बल्कि यह हमारी जिम्मेदारी भी है। मतदान करके हम अपनी आवाज उठा सकते हैं और राजनीतिक प्रक्रिया में भागीदारी दिखा सकते हैं। इससे सामाजिक और राजनीतिक संरचना में सकारात्मक परिवर्तन लाने का मार्ग खुलता है।

मेरा यह भी मानना है कि चुनाव और मतदान लोकतंत्र के मौलिक स्तंभ हैं। यह एक सामाजिक प्रक्रिया है जिसमें नागरिकों को सशक्तीकरण का माध्यम प्रदान किया जाता है।'

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'चुनावी प्रक्रिया एक तरह का सार्वभौमिक समर्थन और सहमति का प्रतीक है, जो विभिन्न विचारों व धार्मिकताओं के बावजूद एकता और सहमति को प्रकट करता है। चुनाव और मतदान से संवैधानिक और लोकतांत्रिक तंत्र को मजबूती मिलती है। चुनावी प्रक्रिया राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है।

मैं यह विश्वासपूर्वक कहना चाहूंगी कि मतदान के सही प्रयोग और देश की बागडोर एक योग्य व्यक्ति, योग्य नेता के हाथों में जाएगी तो निश्चित रूप से राष्ट्र को मजबूती मिलेगी और देश विकास की राह पर आगे बढ़ेगा। अतः इस प्रक्रिया में भागीदारी करके हम अपने नेता और नेतृत्व का चयन करते हैं, जो उनके मूल्यों, आकलनों और आस्थाओं का प्रतिनिधित्व करें।

मतदान के जरिए लोग सामाजिक और आर्थिक विकास के मार्ग में सरकार को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। इसलिए मतदान का सही प्रयोग करना देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हम सब लोकतंत्र के इस महायज्ञ में आहुति जरूर डालें।' उन्होंने आगे कहा।

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आज भी याद है पहला वोट

प्रिस्टीन केयर, यूनिकार्न स्टार्टअप की सह-संस्थापक डॉ. गरिमा साहनी कहती हैं, 'चुनाव के दिनों में उत्सव सी अनुभूति होती है। मैं उस दिन को नहीं भूलती जब पहली बार वोट देने के लिए मुझे लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ी थी।

मेरे घर में सभी बातें करते थे कि देश में यह होना चाहिए, ऐसे शिक्षा का विकास हो, ऐसे बुनियादी संरचनाओं पर काम हो तो मैं भी उन सबके बारे में सोचती। चुनाव के समय ऐसी बातें और तेज हो जाया करतीं। सबसे अधिक रोमांच तब होता था जब लोग वोट देकर आते और स्याही का निशान दिखाते।

मुझे जिज्ञासा होती थी कि आखिर मैं कब दूंगी वोट। आखिरकार वह दिन आया। फरीदाबाद के एक स्कूल में मैं वोट देने गई। वहां देखा कि वह स्कूल बहुत सजा संवरा था। स्कूल में हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी ताकि सभी आसानी से वोट के अधिकार का प्रयोग कर सकें।'

'वहां मैंने देखा कि हर तरह के लोग थे। कोई दिव्यांग तो कोई बड़ी उम्र के, जो ठीक से चल भी नहीं सकते थे, लेकिन वे वोट देने को लेकर बहुत उत्साहित थे। उन सभी को देखकर यह समझ आया कि मतदान कितना महत्वपूर्ण अधिकार है। जब हम अपने देश के बारे में, दिन-रात बातें करते हैं।

सरकार की योजनाओं, उपलब्धियों की बातें करते हैं तो कहीं न कहीं अपने देश को आगे बढ़ाने की आकांक्षा होती है। हमारे वोट से जो सरकार चुनकर आती है वो नियमों-नीतियों के माध्यम से देश को आगे ले जाने का काम करती है। लोकतंत्र की यही तो सुंदरता है।

आजकल पहली बार वोट दे रहे युवा अपने अधिकारों को लेकर काफी सजग हैं। उन्हें समाचार पत्रों और इंटरनेट मीडिया से इतनी जानकारी मिल जाती है कि वे अपने जैसे अन्य युवाओं को वोट के लिए जागरूक कर सकते हैं। देश को आगे बढ़ाना है और दुनिया में सबसे आगे ले जाना है तो वोट करना ही होगा।' उन्होंने आगे कहा।

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