Election 2024: देश में महंगाई पर विपक्ष सक्रिय तो सरकार सचेत, केंद्र ने आंकड़ों के आधार पर दावों को नकारा

कांग्रेस जब महंगाई का मुद्दा उठाती है तो भाजपा की तरफ से यूपीए-दो का कार्यकाल याद दिलाया जाता है जब खुदरा महंगाई की दर कई महीनों तक 10 प्रतिशत से ज्यादा रही थी। वर्ष 2014 के चुनाव प्रचार में भाजपा ने महंगाई को लेकर लगातार डा. मनमोहन सिंह की सरकार को घेरा था। अर्थविद डा. सिंह के पहले कार्यकाल (2004-2009) में महंगाई की औसत दर 10.26 प्रतिशत थी।

By Jagran NewsEdited By: Amit Singh Publish:Fri, 22 Mar 2024 04:00 AM (IST) Updated:Fri, 22 Mar 2024 11:55 AM (IST)
Election 2024: देश में महंगाई पर विपक्ष सक्रिय तो सरकार सचेत, केंद्र ने आंकड़ों के आधार पर दावों को नकारा
पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में कमी से दिया संकेत-महंगाई को लेकर सतर्क है सरकार

HighLights

  • पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में कमी से दिया संकेत-महंगाई को लेकर सतर्क है सरकार
  • पहली बार उपभोक्ता मंत्रालय सस्ते दाम पर भारत चावल, आटा और दाल बेच रहा
  • केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक कभी-कभी चुनावी मौसम में बेचती दिखतीं हैं प्याज-टमाटर

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। रोजगार की तरह ही महंगाई भी एक ऐसा स्थायी मुद्दा है, जिसे आजादी के बाद से देश के प्रत्येक चुनाव में विपक्ष बड़ा मुद्दा मानता है और सरकार की तरफ से इसे काबू में रखने का दावा किया जाता है। इस बार के लोकसभा चुनाव में भी विपक्षी दलों की महंगाई के मुद्दे को आजमाने की कोशिश जारी है, लेकिन केंद्र सरकार ने आंकड़ों के आधार पर विपक्ष के दावों को नकार दिया है।

पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में कमी से सरकार ने संकेत दिया है कि महंगाई को लेकर वह सतर्क और सचेत है। यही वजह है कि 2013-14 की तरह महंगाई दर भले ही 9-10 प्रतिशत न होकर अब 5.1 तक पहंच गई हो, लेकिन सरकार के प्रयास जारी हैं।

अस्थायी होती है महंगाई

1977 के आम चुनाव में अगर आपातकाल एक बहुत बड़ा मुद्दा था तो विपक्षी दलों के तरकश में बढ़ती महंगाई (खास तौर पर चीनी की कीमतों में बहुत ही तेज वृद्धि) का तीर भी था। इसके बाद 1998 का दिल्ली के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्याज की कीमतों को एक बड़ा मुद्दा बना कर भाजपा को सत्ता से बेदखल किया था।

तब दिल्ली की सत्ता से बाहर हुई भाजपा की आज तक वापसी नहीं हो सकी है। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के समय राजद-जदयू ने दाल की कीमत को बड़ा मुद्दा बनाया था। सच्चाई यह है कि खाद्य वस्तुओं की महंगाई अस्थायी होती है, लेकिन इसे बड़ा मुद्दा बनाना आसान होता है।

कांग्रेस जब महंगाई का मुद्दा उठाती है तो भाजपा की तरफ से यूपीए-दो का कार्यकाल याद दिलाया जाता है, जब खुदरा महंगाई की दर कई महीनों तक 10 प्रतिशत से ज्यादा रही थी। वर्ष 2014 के चुनाव प्रचार में भाजपा ने महंगाई को लेकर लगातार डा. मनमोहन सिंह की सरकार को घेरा था। अर्थविद डा. सिंह के पहले कार्यकाल (2004-2009) में महंगाई की औसत दर 10.26 प्रतिशत थी।

केंद्र ने उठाए ये कदम

अबकी बार के लोकसभा चुनाव में 400 पार का दावा कर रही राजग की केंद्र सरकार भी महंगाई के मुद्दे की संवेदनशीलता को समझती है। हाल ही में दो बड़े फैसले किए गए हैं, जो निश्चित तौर पर महंगाई के मोर्चे पर विपक्ष के हमले को काटने के लिए उठाए गए कदम हैं। पहला, पेट्रोल व डीजल की कीमतों में दो रुपये प्रति लीटर की कटौती। दूसरा, रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों में सौ रुपये की कटौती।

वित्त मंत्री ने किया महंगाई थामने का दावा

हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक सार्वजनिक भाषण में आंकड़ों के आधार पर महंगाई को थामने का दावा किया है, जो गलत भी नहीं है। आरबीआइ की ताजा रिपोर्ट बताती है कि अगर खाद्य उत्पादों को छोड़ दिया जाए तो महंगाई की दर चार प्रतिशत की तरफ तेजी से आ रही है। फरवरी, 2024 में यह 5.2 प्रतिशत थी।

पाकिस्तान के चुनाव में पेश हुआ उदाहरण

महंगाई सिर्फ भारत में होने वाले चुनाव में ही नहीं, बल्कि दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक चुनाव में मुद्दा बनती रही है। हाल ही में पड़ोसी देश पाकिस्तान में हुए चुनाव के जो परिणाम आए हैं, उसे काफी अप्रत्याशित बताया जा रहा है। एेसा आरोप है कि पाकिस्तान सेना की तरफ से समूचे चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी किए जाने के बावजूद पीटीआइ समर्थित सांसदों ने सबसे ज्यादा सीटे हासिल की हैं। कई पाकिस्तान विशेषज्ञों ने लिखा है कि महंगाई से त्रस्त जनता ने अपना गुस्सा पाकिस्तान सेना के समर्थन वाली पार्टियों को वोट दे कर निकाला है।

अर्जेंटीना में इसी मुद्दे पर हासिल की सत्ता

पिछले साल अर्जेंटीना में हुए चुनाव में महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा रहा। 143 प्रतिशत की सालाना महंगाई दर को दक्षिण पंथी जेवियर मिलेई की लिबरेशन पार्टी ने मुद्दा बनाया और विजय हासिल की। अमेरिका में इस साल के अंत में चुनाव है और महंगाई को लेकर चर्चा शुरू हो चुकी है। अमेरिकी चुनाव में महंगाई और रोजगार हमेशा दो अहम मुद्दा रहते हैं।

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