कांग्रेस और CPI का किला ढहा हुकुमदेव नारायण ने मधुबनी को बनाया BJP का गढ़, पांच बार के सांसद जब अपने गृह जिले में लड़े तो...

Lok Sabha Election 2024 and Chunavi किस्सा बिहार की राजनीति को टेढ़ी खीर कहा जाता रहा है जिसे समझने में अच्‍छे-अच्‍छे राजनीतिक पंडित कई दफा फेल हुए। Chunavi किस्सों की सीरीज से आज हम लाए हैं आपके लिए पांच बार सांसद रहे हुकुमदेव नारायण से जुड़ा एक वाकया। पढ़िए जब हुकुमदेव अपने गृह जिले में चुनाव लड़े तो क्या हुआ...

By Jagran NewsEdited By: Deepti Mishra Publish:Fri, 29 Mar 2024 12:33 PM (IST) Updated:Fri, 29 Mar 2024 12:33 PM (IST)
कांग्रेस और CPI का किला ढहा हुकुमदेव नारायण ने मधुबनी को बनाया BJP का गढ़, पांच बार के सांसद जब अपने गृह जिले में लड़े तो...
अपने गृह जिले में हार गए थे पांच बार सांसद रहे हुकुमदेव नारायण

 ब्रज मोहन मिश्र, मधुबनी। मधुबनी में भाजपा को मजबूत करने में पूर्व सांसद पद्मभूषण हुकुमदेव नारायण यादव की बड़ी भूमिका मानी जाती है। वे पांच बार सांसद रहे। चार बार मधुबनी लोकसभा सीट से और एक बार सीतामढ़ी से, लेकिन  जब अपने गृह जिला दरभंगा से चुनाव मैदान में उतरे तो मात्र 3.99 प्रतिशत वोट लाकर चौथे नंबर पर रहे थे।

पहली जीत हुकुमदेव नारायण यादव को मधुबनी सीट पर 1977 में कांग्रेस विरोध की लहर में मिली थी। मगर 1980 व 1984 में कांग्रेस की फिर लहर उठी, जिसमें उन्हें कहीं से मौका नहीं मिला। 1989 में भी उन्हें मधुबनी से टिकट नहीं मिला तो सीतामढ़ी से जनता दल के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे। उस चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ जनता दल उभरा और हुकुमदेव नारायण सीतामढ़ी से जीत गए। उन्हें 51.88 प्रतिशत वोट भी मिले।

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अपने गृह जिले में हार गए थे हुकुमदेव नारायण

साल 1991 के चुनाव में सीतामढ़ी से उन्हें जनता दल ने टिकट नहीं दिया। भाजपा ने मधुबनी से बालेश्वर भारती को टिकट दिया। जब पुराने क्षेत्रों से टिकट नहीं मिला, तब वे अपने गृह जिला दरभंगा सीट से जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे, मगर सफलता नहीं मिली। जनता दल के उम्मीदवार ही दरभंगा से जीते। कांग्रेस और भाजपा को भी हार का सामना करना पड़ा था। इस हार के बाद वे फिर मधुबनी लौटे।

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सीपीआई का किया सफाया

सीपीआई का लाल झंडा मधुबनी पर हावी था। साल 1996 में भाजपा से हुकुमदेव नारायण मधुबनी से लड़े, लेकिन सीपीआई के चतुरानन मिश्र से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद सीपीआई कमजोर होती गई और 1999, 2009 व 2014 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर मधुबनी से वह लगातार जीते।

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