Lok Sabha Election 2024: हौसले की मिसाल; नक्सलियों ने काट दिया था हाथ, फिर भी हर बार करते हैं मतदान

Lok Sabha Election 2024 चतरा के टंडवा क्षेत्र के रहने वाले जसमुद्दीन अंसारी मतदाताओं के लिए रोल मॉडल हैं। 1999 में नक्सलियों के फरमान का उल्लंघन कर वोट देने पर माओवादियों ने उनका हाथ काट लिया था। इसके बावजूद जसमुद्दीन डरे नहीं। वह आज भी मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और गांव के अन्य लोगों को भी वोट डालने के लिए प्रेरित करते हैं। पढ़ें हौसले की दास्तान...

By Jagran NewsEdited By: Sachin Pandey Publish:Fri, 19 Apr 2024 06:00 AM (IST) Updated:Fri, 19 Apr 2024 06:00 AM (IST)
Lok Sabha Election 2024: हौसले की मिसाल; नक्सलियों ने काट दिया था हाथ, फिर भी हर बार करते हैं मतदान
Lok Sabha Election 2024: जसमुद्दीन आज भी मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

जुलकर नैन, चतरा। चुनाव में मतदाताओं को डराना-धमकाना अपराध है और ऐसा करने पर सजा भी निर्धारित है, लेकिन पहले झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सली अक्सर लोकतंत्र के महापर्व में विघ्न डालते रहे हैं। हाल के वर्षों में लगातार चले सुरक्षाबल के अभियानों से नक्सली कमजोर पड़े हैं और ज्यादातर इलाकों से खदेड़े जा चुके हैं।

पहले चुनावों में नक्सली पोस्टर चिपकाकर ग्रामीणों के लिए यह फरमान जारी करते थे कि कोई भी वोट डालने नहीं जाएगा। वोट डालने जाने वाले लोगों को नक्सली डराते-धमकाते व मारते-पीटते थे। फरमान का उल्लंघन होने पर नक्सली कई बार ग्रामीणों की जान तक ले लेते थे या तरह-तरह से प्रताड़ित करते थे।

लोगों को करते हैं प्रेरित

चतरा के टंडवा क्षेत्र के रहने वाले जसमुद्दीन अंसारी मतदाताओं के लिए रोल मॉडल हैं। 1999 में नक्सलियों के फरमान का उल्लंघन कर वोट देने पर माओवादियों ने उनका हाथ काट लिया था। इसके बावजूद जसमुद्दीन डरे नहीं। वह आज भी मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और गांव के अन्य लोगों को भी वोट डालने के लिए प्रेरित करते हैं।

70 वर्षीय अंसारी कहते हैं कि वोट देने से उन्हें कोई वंचित नहीं कर सकता है। मतदान के लिए दूसरों को प्रेरित करते हैं। वह कहते हैं, जब तक जीवित हूं, लोकतंत्र की रक्षा के मतदान करता रहूंगा। जसमुद्दीन अंसारी चतरा जिले के टंडवा प्रखंड के कामता के रहने वाले हैं। उग्रवादियों ने जसमुद्दीन के साथ ही यहीं के गाड़ीलौंग गांव के महादेव यादव का भी अंगूठा काट दिया था। इस घटना के करीब चार वर्षों बाद महादेव की मौत हो गई।

साहस में नहीं आई कमी

जसमुद्दीन नक्सलियों के अत्याचार की 25 वर्ष पुरानी घटना को याद कर कभी-कभी भावुक हो जाते हैं, लेकिन उनके साहस औऱ मजबूत इरादे में कोई कमी कभी नहीं आई। 1999 में चतरा समेत झारखंड के कई इलाकों में माओवादियों का आतंक था। चुनाव में माओवादी उग्रवादियों ने वोट बहिष्कार का नारा दिया था।

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उस वक्त चतरा का टंडवा प्रखंड हजारीबाग संसदीय क्षेत्र के अधीन था। तब जसमुद्दीन और महादेव एक राजनीतिक दल के उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे थे। उग्रवादियों के फरमान की परवाह नहीं करते हुए दोनों निर्भीकता पूर्वक मतदान सुनिश्चित कराने के अभियान में जुटे थे और मतदाताओं को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए प्रेरित कर रहे थे।

उनसे प्रेरित होकर लोग मतदान के लिए आगे आ रहे थे। यह सब देखकर उग्रवादी बौखला उठे थे। डराने-धमकाने का असर नहीं हुआ तो माओवादियों ने दोनों को उनके घरों से उठा लिया और जसमुद्दीन का हाथ तथा महादेव का अंगूठा काट डाला था।

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सरकारी नौकरी का वादा

चतरा जिले के सिमरिया विधानसभा क्षेत्र के तत्कालीन विधायक योगेंद्र नाथ बैठा ने बिहार विधानसभा में इस मामले को उठाया था। सदन ने न्याय का भरोसा दिलाते हुए दोनों को नौकरी देने का वायदा किया था। इसी बीच झारखंड अलग हो गया और यह मामला खटाई में पड़ गया। झारखंड बनने के बाद सिमरिया विधायक किशुन कुमार दास ने विधानसभा के सत्र में यह मामला उठाया था। हाल ही में सरकार ने दोनों के आश्रितों को सरकारी नौकरी देने का भरोसा दिया है।

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