Election 2024: चुनाव में अर्थव्यवस्था की भी चांदी, 96.8 करोड़ मतदाताओं को रिझाने के लिए 75000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान

सेंटर फार मीडिया स्टडीज (सीएमएस) की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव में एक सीट पर औसतन 100 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इस हिसाब से 543 सीट के लिए कुल 54300 करोड़ खर्च किए गए। पिछले चार लोकसभा के चुनाव के खर्च अनुमान को देखें तो हर चुनाव में पिछले चुनाव के मुकाबले कम से कम 40 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है।

By Jagran NewsEdited By: Amit Singh Publish:Sat, 23 Mar 2024 04:00 AM (IST) Updated:Sat, 23 Mar 2024 04:00 AM (IST)
Election 2024: चुनाव में अर्थव्यवस्था की भी चांदी, 96.8 करोड़ मतदाताओं को रिझाने के लिए 75000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान
चुनावों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बड़ा प्रोत्साहन।

राजीव कुमार, नई दिल्ली। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में 19 अप्रैल से लेकर एक जून तक 44 दिनों में होने वाले लोकसभा चुनाव से भारत को लोकतांत्रिक मजबूती के साथ आर्थिक मजबूती भी मिलने जा रही है। इससे पहले से ही तेज गति से दौड़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था को और रफ्तार मिलेगी। इस चुनाव में 96.8 करोड़ मतदाताओं को रिझाने के लिए कम से कम 75,000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।

सेंटर फार मीडिया स्टडीज (सीएमएस) की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव में एक सीट पर औसतन 100 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इस हिसाब से 543 सीट के लिए कुल 54,300 करोड़ खर्च किए गए। पिछले चार लोकसभा के चुनाव के खर्च अनुमान को देखें तो हर चुनाव में पिछले चुनाव के मुकाबले कम से कम 40 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है।

ऐसे में वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में 75,000 करोड़ का खर्च होना तय माना जा रहा है। चुनाव आयोग की तरफ से लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने के लिए एक प्रत्याशी अधिकतम 90 लाख रुपये खर्च कर सकता है। एक सीट पर औसतन 10 प्रत्याशी मान लिए जाएं तो भी चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक अधिकतम 4890 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

खर्च से ज्यादा जब्त हुई थी राशि

एडीआर व चुनाव आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2019 में भाजपा, कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी, बीएसपी, सीपीएम व सीपीआइ जैसी सात पार्टियों को मिलाकर लोकसभा चुनाव में सिर्फ 2438 करोड़ रुपये खर्च किए गए। जबकि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने ही 3377 करोड़ रुपये जब्त किए थे।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बड़ा प्रोत्साहन

आर्थिक जानकारों का साफ मानना है कि लोक सभा चुनाव में होने वाले खर्च को लेकर सीएमएस के अनुमान से इन्कार नहीं किया जा सकता है और उस खर्च को हकीकत के अधिक करीब माना जा सकता है। इतनी बड़ी रकम अर्थव्यवस्था में खर्च होने से कई सेक्टर खासकर चुनाव प्रचार, ट्रैवल, फूड इंडस्ट्री, एफएमसीजी व अन्य को प्रोत्साहन मिलेगा।

चुनाव से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बड़ा प्रोत्साहन मिलता है क्योंकि मतदाताओं को रिझाने के लिए गांवों में अधिक खर्च किए जाते हैं। आटो सेक्टर के साथ उपभोक्ता उत्पाद बनाने वाली कंपिनयां चुनाव को लेकर अधिक उत्साहित है क्योंकि उन्हें अपनी बिक्री की तेजी बरकरार रहने की उम्मीद है। अच्छी बात यह है कि महंगाई नियंत्रण में हैं और इस बार मानसून सामान्य रहने की संभावना है।

इसलिए चुनाव में होने वाली कमाई को ग्रामीण खाने-पीने से इतर चीजों पर खर्च करेंगे। होटल से लेकर ट्रैवल जैसे सेवा क्षेत्र को मजबूती मिलने से रोजगार में वृद्धि संग जीडीपी के कुल विकास में तेजी आएगी और आर्थिकी को नई उछाल मिल सकती है जो विकास दर को आठ प्रतिशत के स्तर तक पहुंचने में मदद करेगी।

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