Lok Sabha Election 2024: महाराष्ट्र में भाजपा ने एक साथ चली तीन चाल, इस कैंप को साधने की कोशिश, चुनाव में कितना काम आएगा ये दांव?

Lok Sabha Election 2024 महाराष्ट्र में भाजपा ने अपनी नए सियासी दांव से समूचे मुंडे कैंप को साध लिया है। पंकजा मुंडे और महादेव जानकर को टिकट देकर पार्टी ने अहम संदेश दिया है। इसके अलावा एकनाथ खडसे की बहू रक्षा खडसे को रावेर सीट से टिकट दिया है। भाजपा ने इसके जरिए खडसे की नाराजगी को दूर करने की कोशिश की।

By Jagran NewsEdited By: Ajay Kumar Publish:Fri, 19 Apr 2024 01:18 PM (IST) Updated:Fri, 19 Apr 2024 01:18 PM (IST)
Lok Sabha Election 2024: महाराष्ट्र में भाजपा ने एक साथ चली तीन चाल, इस कैंप को साधने की कोशिश, चुनाव में कितना काम आएगा ये दांव?
लोकसभा चुनाव 2024: भाजपा के साथ और संतुष्ट दिख रहा ‘मुंडे कैंप’।

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र की भाजपा नेता पंकजा मुंडे को बीड लोस सीट का टिकट, धनगर नेता महादेव जानकर का महायुति प्रत्याशी के रूप में परभणी से चुनाव लड़ना और अब भाजपा के पूर्व नेता एकनाथ खडसे की वापसी का संकेत महज संयोग नहीं है।

भाजपा ने तीनों से संबंधित उचित फैसले करके समूचे मुंडे कैंप को संतुष्टकर साथ कर लिया है। उप मुख्यमंत्री रहे गोपीनाथ मुंडे पिछड़े वर्ग के नेता माने जाते थे। उनके नेतृत्व में ही भाजपा ने माली, धनगर व वंजारी जातियों को मिलाकर ‘माधव’ समीकरण खड़ा किया था।

यह भी पढ़ें: ये हैं पहले चरण के 'धन कुबेर', सबसे कम संपत्ति वालों को भी जानें, इन प्रत्याशियों के पास सिर्फ 500 रुपये तक की राशि

मुंडे स्वयं वंजारी समाज से थे। धनगर जाति से अन्ना डांगे उन दिनों पार्टी के प्रमुख नेता थे। बाद में इसी जाति से महादेव जानकर मुंडे से जुड़े। इसी कड़ी में ओबीसी से आने वाले एकनाथ खडसे भी मुंडे के करीबी रहे। 1995 में पहली बार भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार बनने के बाद मुंडे के साथ मंत्री भी रहे।

2014 में गोपीनाथ मुंडे ने जीता था चुनाव

2014 के लोस चुनाव तक ये समीकरण ठीकठाक चलता रहा। पार्टी ने मुंडे को 2014 का लोस चुनाव लड़ने का आदेश दिया था, पर माना यही जा रहा था कि छह माह बाद होने वाले विस चुनाव के बाद यदि भाजपा की सरकार बनी तो सीएम मुंडे ही होंगे। यदि वह स्वयं नहीं बनेंगे तो खडसे को बनाएंगे, पर नियति को कुछ और ही मंजूर था।

मुंडे लोस चुनाव जीते और केंद्र में मंत्री बने,पर कुछ ही दिनों बाद एक दुर्घटना में उनका निधन हो गया। उनके जाते ही समीकरण बदलने लगे।

मंत्री बनकर खुश नहीं थे खडसे

खडसे के बजाय देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाया गया। मुंडे की ज्येष्ठ पुत्री पंकजा मुंडे को विस चुनाव जीतने के बाद मंत्री बनाया गया। पंकजा की छोटी बहन प्रीतम मुंडे को उनके पिता की सीटसे लोस का उपचुनाव लड़वाया गया। खडसे को राज्य में मंत्री बनाया गया।

फडणवीस के अधीन मंत्री बनकर न तो खडसे खुश थे, न ही पंकजा। 2019 के विस चुनाव में पंकजा हार गईं और खडसे को टिकट ही नहीं मिला। टिकट उनकी बेटी रोहिणी को मिला, जो हार गईं। इसके बाद खडसे और पंकजा ने हार का ठीकरा परोक्ष रूप से फडणवीस पर फोड़ना शुरू कर दिया। खडसे राकांपा में जाकर वहां विधान परिषद के सदस्य भी बन गए।

अब 2024 का लोकसभा चुनाव

2024 के चुनाव से पहले भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने पंकजा मुंडे को टिकट दे फडणवीस से टकराव का रास्ता बंद कर दिया है। खडसे की बहू रक्षा खडसे को रावेर सीट से तीसरी बार उम्मीदवारी देकर उनकी नाराजगी भी दूर करने की कोशिश की है। इसके अलावा महादेव जानकर को परभणी से टिकट देकर न सिर्फ उन्हें बल्कि पूरे धनगर समाज को साधने की कोशिश की।

यह भी पढ़ें: जब उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री को देनी पड़ी थी रिश्वत, खुलासा होने पर पूरे थाने का ये हाल हुआ था

chat bot
आपका साथी