LOk Sabha election 2019 : पूर्वी भारत की खेल राजधानी में संसाधनों का टोटा

LOk Sabha election 2019. जमशेदपुर को पूर्वी भारत की खेल राजधानी कहा जाता है लेकिन अगर टाटा समूह के संसाधनों को हटा दिया जाए तो यहां कि स्थिति भी अन्य शहरों जैसी ही है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sat, 30 Mar 2019 02:33 PM (IST) Updated:Sat, 30 Mar 2019 02:33 PM (IST)
LOk Sabha election 2019 : पूर्वी भारत की खेल राजधानी में संसाधनों का टोटा
LOk Sabha election 2019 : पूर्वी भारत की खेल राजधानी में संसाधनों का टोटा

जमशेदपुर,जितेंद्र सिंह। वैसे तो जमशेदपुर को पूर्वी भारत की खेल राजधानी कहा जाता है, लेकिन अगर टाटा समूह के संसाधनों को हटा दिया जाए तो यहां कि स्थिति भी अन्य शहरों जैसी ही है। यहां सरकारी स्तर पर तैयार किए गए संसाधन हैं ही नहीं।

झारखंड ने 2011 में नेशनल गेम्स की मेजबानी की थी। मेजबानी के बहाने रांची को अत्याधुनिक स्टेडियम मिला। धनबाद में भी खेल संसाधनों का विकास हुआ, लेकिन जमशेदपुर को मिला सिर्फ ठेंगा। खिलाड़ियों को ठहरने के लिए एक अदद स्पोर्ट्स हॉस्टल तक नहीं है। 2011 में बिष्टुपुर स्थित सेक्रेड हार्ट कान्वेंट के सामने स्पोर्ट्स हॉस्टल बनाने पर सहमति बनी थी, लेकिन टाटा स्टील खेल विभाग के तत्कालीन प्रमुख ने अड़ंगा डाल दिया। हालांकि बाद के दिनों में द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त तीरंदाजी कोच ने छायानगर व कदमा के अनिल सुरपथ के पास भी हॉस्टल बनाने का प्रयास किया, लेकिन वह भी सपना साकार नहीं हो पाया। हालांकि झारखंड सरकार का सपना हर जिले में एक स्टेडियम बनाने की है, लेकिन राज्य गठन के दो दशक पूरे होने को है, लेकिन इस सपने को पंख नहीं लग सका।


जेएफसी का असर पड़ा दूसरे खेलों पर

यह जमशेदपुर के लिए फा की बात हो सकती है कि इंडियन सुपर लीग में भाग लेने वाली जमशेदपुर एफसी (जेएफसी) का होम ग्राउंड जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स है। लेकिन एक फुटबॉल आने से इसका सीधा असर कई खेलों पर पड़ा। पहले जेआरडी में राष्ट्रीय स्तर के खेलों का आयोजन इसलिए हो जाया करता था, क्योंकि जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स कांप्लेक्स के ईस्टर्न विंग में खिलाड़ियों के ठहरने की व्यवस्था थी। लेकिन आज इस पर जमशेदपुर एफसी का कब्जा है। पिछले तीन साल से फुटबॉल छोड़ कोई भी राष्ट्रीय खेल की मेजबानी जेआरडी में नहीं हो पाया। अंतिम मेजबानी राष्ट्रीय हैंडबॉल चैंपियनशिप था।

कीनन के साथ-साथ क्रिकेट भी खत्म

कभी विवियन रिचर्डस, कालीचरण, सुनील गावस्कर, ग्राहम गूच जैसे महान क्रिकेटर कीनन की मखमली आउटफील्ड की प्रशंसा करते नहीं अघाते थे, लेकिन आज यह मानो किसी संग्रहालय में तब्दील हो गया है। पहले ही इसके मुख्य द्वार से लेकर दर्शक दीर्घा को डेंजर जोन घोषित कर दिया गया है। टाटा स्टील व झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के बीच तनातनी का असर सीधे कीनन स्टेडियम के सेहत पर पड़ा। कीनन पर आकाओं नजरें क्या तरेरी, यहां का क्रिकेट मरणासन्न स्थिति में पहुंच गया। एक समय था, जब राज्य की 15 सदस्यीय रणजी टीम में 11 खिलाड़ी जमशेदपुर के हुआ करते थे, लेकिन आज टीम में बमुश्किल एकाध खिलाड़ी लौहनगरी के होते हैं।

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