Lok Sabha Election 2019 : पूर्व विधायक के बेटे एक- दूसरे के खिलाफ ठोकेंगे ताल

Lok Sabha Election 2019. एक भाई लोकसभा का चुनाव अपने पिता के पुराने दल झारखंड पार्टी से चुनाव लड़ेगा तो दूसरा बेटा निर्दलीय ही ताल ठोकेगा।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Tue, 23 Apr 2019 01:30 PM (IST) Updated:Tue, 23 Apr 2019 01:30 PM (IST)
Lok  Sabha Election 2019 :  पूर्व विधायक के बेटे एक- दूसरे के खिलाफ ठोकेंगे ताल
Lok Sabha Election 2019 : पूर्व विधायक के बेटे एक- दूसरे के खिलाफ ठोकेंगे ताल

जमशेदपुर, मुजतबा हैदर रिजवी । जमशेदपुर संसदीय सीट से इस बार अपने पिता की विरासत भुनाने के लिए दो भाई जोर आजमाइश करेंगे। एक भाई लोकसभा का चुनाव अपने पिता के पुराने दल झारखंड पार्टी से चुनाव लड़ेगा तो दूसरा बेटा निर्दलीय ही ताल ठोकेगा। दोनों भाई पिता के नक्शे कदम पर चल सियासत में अपनी धाक जमाने की कवायद में हैं।

ये दोनों भाई जुगसलाई सह पोटका के उस पूर्व विधायक स्व. हरिपदो सिंह के बेटे हैं, जिन्होंने 1957 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को धूल चटा दी थी। इनमें से एक भाई रंजीत सिंह ने सोमवार को उपायुक्त कार्यालय में दो सेट में नामांकन दाखिल किया। उनके छोटे भाई असित सिंह नामांकन भरने में देर होने की वजह से सोमवार को पर्चा दाखिल नहीं कर सके। वे मंगलवार को नामांकन करेंगे। स्व. हरिपदो सिंह ने 1951 में झारखंड पार्टी से पोटका विधानसभा सीट से चुनाव जीता था। बाद में झारखंड पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया। अब हरिपदो सिंह के पांच बेटों में से तीसरे नंबर के रंजीत सिंह टाटा मोटर्स में कर्मचारी हैं। छोटा गोविंदपुर के बालाजी नगर के निवासी रंजीत ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की सोची है। इसी के तहत, उन्होंने पिता की पुरानी पार्टी झारखंड पार्टी से संपर्क साधा और पार्टी के टिकट पर सोमवार को नामांकन कर दिया। उनका कहना है कि वो गरीबों, किसानों और मजदूरों को न्याय दिलाने के लिए राजनीति में आए हैं।

काशीदा के थे हरिपदो महतो

हरिपदो महतो अपने जमाने के अच्छे नेता माने जाते हैं। वो जनता दरबार लगाया करते थे और जनता की शिकायतें सुन कर उसे हल कराते थे। 2007 में उनका निधन हुआ। उनके चौथे नंबर के असित कुमार सिंह पहले से सियासत में हैं। वो घाटशिला के काशीदा गांव के निवासी हैं। वो जदयू के जिला अध्यक्ष थे। बाद में भाजपा में आए और इसके बाद जिला प्रवक्ता बने। दो साल पहले उन्होंने भाजपा छोड़ दी थी। जिले में उनकी पहचान समाजसेवी के तौर पर है। असित ने 16 अप्रैल को नामांकन पत्र खरीदा था। वो भी सोमवार को नामांकन दाखिल करने आए थे। लेकिन, अधिवक्ता के यहां नामांकन भरने में देर होने की वजह से वो पर्चा दाखिल नहीं कर सके। उनका कहना है कि आम तौर से जीतने के बाद नेता जनता के प्रति लापरवाह हो जाते हैं। असित ने कहा कि अगर वो चुनाव जीते तो आम जनता की सुनेंगे।

हरिपदो ने कांग्रेस उम्मीदवार को दी थी शिकस्त 

हरिपदो सिंह ने देश के पहले आम चुनाव में ही जीत दर्ज की थी। उन्होंने झारखंड पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर जुगसलाई सह पोटका विधानसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार नाथू निरऊ को 3762 मतों से हराया था। इस चुनाव में कुल 80674 मत पड़े थे। इसमें से हरिपदो को 11535 मत मिले थे। जबकि नाथू निरऊ को 7773 मत। तब एक विस सीट से दो विधायक चुने जाते थे।

एक सीट से चुने जाते थे दो विधायक 

जुगसलाई सह पोटका विधानसभा सीट से कालीपदो के अलावा झारखंड पार्टी के ही कैलाश प्रसाद कांग्रेस उम्मीदवार फिरोज खान को 3159 मतों से हरा कर विधायक बने थे। कैलाश को 12245 मत मिले थे। कांग्रेस के फिरोज को 9086 मतों से संतोष करना पड़ा था।

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