Election 2019: राजस्थान की राजनीति में इन नारों का रहा है विशेष महत्व

Election 2019 भाजपा के दो नारे काफी प्रभावी साबित हुए थे पहला- अच्छे दिन आने वाले हैं और दूसरा हर-हर मोदी घर-घर मोदी ।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Mon, 08 Apr 2019 03:23 PM (IST) Updated:Mon, 08 Apr 2019 04:28 PM (IST)
Election 2019: राजस्थान की राजनीति में इन नारों का रहा है विशेष महत्व
Election 2019: राजस्थान की राजनीति में इन नारों का रहा है विशेष महत्व

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान की 25 सीटों पर होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और भाजपा जोर-शोर से प्रचार में जुटी है। आजादी के करीब 7 दशक में चुनाव प्रचार के तरीके काफी बदल चुके है। राजस्थान में चुनाव प्रचार के कई रंग देखने को मिलते रहे है। वर्तमान समय में जहां राजनीतिक पार्टियां सोशल मीडिया के जरिए चुनाव का माहौल बनाने की कोशिश करते है, वहीं पहले के दौर में इस तरह के नारे गढ़े जाते थे कि लोग उसे कंठस्थ कर लेते थे।

राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों का मानना है कि चुनाव प्रचार भले ही टेक्नोफ्रेंडली हो जाए, लेकिन नारों की जगह कोई नहीं ले सकता है। इसकी बानगी 2014 के लोकसभा चुनाव में दिखाई दे चुकी है। भाजपा के दो नारे काफी प्रभावी साबित हुए थे, पहला- 'अच्छे दिन आने वाले हैं' और दूसरा 'हर-हर मोदी घर-घर मोदी' ।

चुनावी माहौल के बीच राज्य के विभिन्न चुनावों में हिट हो चुके कुछ नारों को लोग आज भी याद करते है जो निम्न है-

1. आपातकाल से पहले मुख्य विपक्षी दल जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी थी। जनसंघ का चुनाव चिन्ह दीपक था, इसलिए कांग्रेसी नारे लगाते थे- 'जनसंघ के दीये में तेल नहीं, सरकार चलाना खेल नहीं'।

2. वहीं स्वतंत्र पार्टी ने नारा दिया था, 'चीणी तेल महंगो होगो सारो, कांग्रेस नहीं अब कै जितेलो तारो' ।

3. उस दौर में जनसंघ के नेताओं ने नारा दिया था, 'अटल बिहारी बोले रहा है, इंदिरा शासन डोल रहा है' ।

4. जनसंघ के समय एक और नारा गूंजा था, 'बीजेपी का नेता छै अटल बिहारी, यानै चावै छै, दुनिया सारी ' ।

5. उसी दौर में एक और नारा काफी लोकप्रिय हुआ था- 'राजमाता सिंधिया भी आई, पदवी उपाध्यक्ष की पाई, देखो राम जेठमलानी, सिकंदर बख्त और आडवाणी, ये पिला दियो छै कांग्रेस नै पाणी ' ।

6. कांग्रेस के चुनाव चिन्ह दो बैलों की जोड़ी के लिए नारा काफी चर्चित हुआ था। 'क्यूं करो छौ माथा फोड़ी, जितेली बैला की जोड़ी' एक अन्य नारा था 'इंदिरा गांधी आई है, नई रोशनी लाई है "।

7. इसके जवाब में जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी ने नारा दिया था, 'दो बैला को जोड़ो बिछुड़ गयो रै, गजब भयो रामा गजब भयो रै ' ।

8. उस दौर में भाजपा के दिग्गज नेता भैरोसिंह शेखावत ने कविता बनाई थी-

'सुणों या सुणबा की छै बात

राजस्थान की गद्दी

पर बैठ्या छै भैरुनाथ

खाचरियावास सूं आया

देखो गोबिंद की माया।

8. जयपुर में भाजपा के स्व.गिरधारी लाल भार्गव काफी चर्चित थे। उनके प्रचार में नारे लगते थे- 'जिसका न कोई पूछे हाल, उसके संग गिरधारी लाल'।

9. जयपुर के पूर्व महाराजा भवानी सिंह ने जब लोकसभा चुनाव लड़ा तो नारा दिया गया था, 'महाराजा दिल्ली जाएगा, गिरधारी यहीं रह जाएगा'।

10. कांग्रेस का बहुत ही चर्चित नारा रहा है, 'जात पर ना पांत पर मुहर लगेगी हाथ पर '।  

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