Lok Sabha Election 2019 : वोटर बोले, चुनावी हथकंडे हैं पार्टियों के घोषणा पत्र
Lok Sabha Election 2019. आने वाले 5 साल के लिए ऐसे सांसद चुनेंगे जो धरातल पर काम करने वाले हो। जो शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार व स्थानीय मूलभूत सुविधा मुहैय्या करा सके।
नोवामुंडी(पश्चिमी सिंहभूम),परमानंद गोप। नोवामुंडी साप्ताहिक बाजार प्रांगण। दोपहर के साढ़े 12 बज रहे थे। कपड़ा पट्टी के लगभग सभी दुकानदार अपनी-अपनी दुकान व प्रतिष्ठानों को बंद करने के पहले एक जगह बैठकर बातें कर रहे थे। लोग अपने अपने मनपसंद प्रत्याशी के पक्ष की बातें रखकर चुनावी गपशप शुरू हुई थी। दैनिक जागरण प्रतिनिधि पहुंचते ही सभी ने सलाम नमस्ते कहकर बैठने के संकेत दिए। दुकानदारों के साथ बातचीत का दौर शुरू हुआ। उनके बीच नरेंद्र मोदी व राहुल गांधी का नाम लेकर बात छेड़ दी।
लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। सिंहभूम संसदीय सीट से भाजपा से लक्ष्मण गिलुवा व कांग्रेस से गीता कोड़ा चुनाव लड़ रही है। इतने में नेयाज अहमद बोल उठा कि विधायक गीता कोड़ा व लक्ष्मण गिलुवा की कार्यशैली को नजदीक से देख चुके हैं। अब जनता जाग चुकी है। नेताओं के आश्वासन व वादे से तंग आ चुके हैं। आने वाले 5 साल के लिए ऐसे सांसद चुनेंगे जो धरातल पर काम करने वाले हो। जो शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार व स्थानीय मूलभूत सुविधा मुहैय्या करा सके।
इसी बीच मो असरफ कुरेशी ने बात काटते हुए बताया कि जरूरत पड़ा तो तीसरे विकल्प भी तलाशने में पीछे नहीं हटेंगे। मो इकराम ने कहा कुछ भी हो स्थानीय विधायक गीता कोड़ा के पति पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने गरीबों के लिए हाटगम्हरिया बरायबुरु मुख्य सड़क से लेकर इंजीनियरिंग कालेज व मालुका में आइटीआइ प्रशिक्षण संस्थान खोलने का काम किया है। जो भविष्य में गरीब किसानों के बच्चे एक अच्छे इंजीनियर व डिप्लोमा होल्डर बन सकेंगे। सान बाबू पान ने बताया कि भाजपा सरकार गरीबों के लिए उज्ज्वला योजना के तहत निश्शुल्क गैस कनेक्शन व मुफ्त विजली कनेक्शन उपलब्ध तो करा दी है। परंतु दुख तो इस बात की है कि गैस भरने के लिए गरीब परिवार प्रत्येक महीने एक हजार रुपए कहां से लाएंगे। यदि गरीब परिवार मुफ्त विजली कनेक्शन ले भी लेती है तो प्रत्येक महीने 12 से 14 सौ रुपए आने वाले बिजली बिल की भरपाई कैसे कर पाएंगे। यदि मुफ्त सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है तो सरकार इसे स्थायी क्यों नहीं कर देती है।
जितेन महाराणा ने उसी बीच बात रखते बताया कि भाजपा सरकार बेरोजगारों को स्थायी नौकरी देने में असमर्थ है। कौशल विकास के नाम पर बेरोजगारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। यदि युवा वर्ग को नौकरी देने में असमर्थ हैं तो उन्हें सरकारी नौकरी देने के लिए घोषणा पत्र में शामिल कर उन्हें चुनावी हथकंडे के रूप में अपनाना नहीं चाहिए। लोक सभा चुनाव में हर हाल में जीत दर्ज करने के लिए राजनीतिक दल नेता इसी को अपनाते नजर आ जाते हैं।