लोकसभा चुनाव: महागठबंधन में अभी तक समन्वय का अभाव, सबके अपने अलग राग
बिहार में विपक्षी महागठबंधन के घटक दलों के बीच विभिन्न मुद्दों पर मतभेद अभी तक कायम हैं। यहां तक कि समन्वय समिति भी नहीं बन सकी है। पूरा मामला जानिए इस खबर में।
पटना [राज्य ब्यूरो]। गरीब सवर्णों को 10 फीसद आरक्षण और बेगूसराय से भाकपा प्रत्याशी कन्हैया कुमार को समर्थन देने-न देने के मुद्दे पर बंटे महागठबंधन के दो बड़े घटक दलों में एकजुटता अभी भी पूरी तरह नहीं दिख रही है। एलान के बावजूद न तो समन्वय समिति बन पाई न ही संयुक्त घोषणा पत्र तैयार हो सका। ऐसे में महागठबंधन की एकता में अड़चन और वोट ट्रांसफर की समस्या आनी तय है।
सभी ने अलग-जलग जारी किए घोषणा पत्र
कांग्रेस और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा ने अपना अलग घोषणा पत्र जारी किया। राजद ने भी अपना घोषणा पत्र सोमवार को अलग जारी किया। घोषणा पत्रों के भी अलग-अलग मजमून हैं।
सीटों के बंटवारे में भी एक नहीं दिखे घटक दल
सीटों के बंटवारे में भी राजग की तरह महागठबंधन के घटक दलों के सुर-ताल एक नहीं दिखे। सभी साथी दल अपने हिस्से की संसदीय सीटों पर अलग-अलग प्रत्याशी उतारते दिखे।
हवा में रह गई न्यूनतम साझा कार्यक्रम की घोषणा
राजद-कांग्रेस के गठबंधन में जब रालोसपा और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) की एंट्री हुई थी तब बताया गया था कि सभी साथी दल मिलकर राजग का मुकाबला करेंगे। इसके लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाया जाएगा। महागठबंधन को सुचारू तरीके से चलाने के लिए समन्वय समिति भी बनाई जाएगी। चुनाव प्रचार और जनता के साथ व्यवहार का कार्यक्रम भी साथ-साथ चलेगा।
वक्त के साथ हवा होते गए वादे-इरादे
वक्त के साथ सारे वादे-इरादे हवा होते गए। यहां तक कि सीट बंटवारे के लिए भी सभी दल सिर्फ एक बार ही मीडिया के सामने साथ-साथ आ सके। शीर्ष नेतृत्व ने उससे भी दूरियां बनाकर रखीं।
दिल्ली से घोषित होते रहे कांग्रेस के प्रत्याशी
राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा के एकजुटता के दावे के बावजूद चरणवार कांग्रेस के प्रत्याशी दिल्ली से तय और घोषित होते रहे।
राबड़ी आवास से होते रहे राजद के फैसले
राजद के निर्णय राबड़ी देवी के आवास से होते रहे और घोषणाओं के लिए नेता राजद के प्रदेश कार्यालय आते रहे।
मुकेश सहनी ने अपने स्तर से घोषित किए प्रत्याशियों के नाम
रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने अपने पांच में से चार प्रत्याशियों की घोषणा सहयोगी दलों से अलग अपने स्तर से की और वीआइपी प्रमुख मुकेश सहनी ने भी अपने कार्यालय से ही सारे प्रत्याशियों के नाम बताए।
कांग्रेस ने पूर्णिया रैली में सहयोगी दलों के नेताओं को नहीं बुलाया
इसके पहले भी कांग्रेस की पूर्णिया रैली में महागठबंधन के अन्य दलों के शीर्ष नेताओं को नहीं बुलाया गया था। राहुल गांधी आए और अपने दल के नेताओं-कार्यकर्ताओं को संबोधित करके लौट गए। राजद को भी रैली का न्योता नहीं दिया गया था। तीन फरवरी को पटना के गांधी मैदान में 29 साल बाद कांग्रेस की रैली को अगर छोड़ दें तो अभी तक घटक दलों के शीर्ष नेता एक साथ एक मंच पर नहीं दिखे हैं।
आखिरी वक्त तक जारी रही सीट व प्रत्याशी की खींचतान
सीट और प्रत्याशी तय करने में भी दोनों दलों में खींचतान आखिरी वक्त तक जारी रही। दरभंगा से कीर्ति आजाद और औरंगाबाद से निखिल कुमार को राजद ने जिद करके बेदखल कर दिया।
सभी ने अलग-जलग जारी किए घोषणा पत्र
कांग्रेस और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा ने अपना अलग घोषणा पत्र जारी किया। राजद ने भी अपना घोषणा पत्र सोमवार को अलग जारी किया। घोषणा पत्रों के भी अलग-अलग मजमून हैं।
सीटों के बंटवारे में भी एक नहीं दिखे घटक दल
सीटों के बंटवारे में भी राजग की तरह महागठबंधन के घटक दलों के सुर-ताल एक नहीं दिखे। सभी साथी दल अपने हिस्से की संसदीय सीटों पर अलग-अलग प्रत्याशी उतारते दिखे।
हवा में रह गई न्यूनतम साझा कार्यक्रम की घोषणा
राजद-कांग्रेस के गठबंधन में जब रालोसपा और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) की एंट्री हुई थी तब बताया गया था कि सभी साथी दल मिलकर राजग का मुकाबला करेंगे। इसके लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाया जाएगा। महागठबंधन को सुचारू तरीके से चलाने के लिए समन्वय समिति भी बनाई जाएगी। चुनाव प्रचार और जनता के साथ व्यवहार का कार्यक्रम भी साथ-साथ चलेगा।
वक्त के साथ हवा होते गए वादे-इरादे
वक्त के साथ सारे वादे-इरादे हवा होते गए। यहां तक कि सीट बंटवारे के लिए भी सभी दल सिर्फ एक बार ही मीडिया के सामने साथ-साथ आ सके। शीर्ष नेतृत्व ने उससे भी दूरियां बनाकर रखीं।
दिल्ली से घोषित होते रहे कांग्रेस के प्रत्याशी
राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा के एकजुटता के दावे के बावजूद चरणवार कांग्रेस के प्रत्याशी दिल्ली से तय और घोषित होते रहे।
राबड़ी आवास से होते रहे राजद के फैसले
राजद के निर्णय राबड़ी देवी के आवास से होते रहे और घोषणाओं के लिए नेता राजद के प्रदेश कार्यालय आते रहे।
मुकेश सहनी ने अपने स्तर से घोषित किए प्रत्याशियों के नाम
रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने अपने पांच में से चार प्रत्याशियों की घोषणा सहयोगी दलों से अलग अपने स्तर से की और वीआइपी प्रमुख मुकेश सहनी ने भी अपने कार्यालय से ही सारे प्रत्याशियों के नाम बताए।
कांग्रेस ने पूर्णिया रैली में सहयोगी दलों के नेताओं को नहीं बुलाया
इसके पहले भी कांग्रेस की पूर्णिया रैली में महागठबंधन के अन्य दलों के शीर्ष नेताओं को नहीं बुलाया गया था। राहुल गांधी आए और अपने दल के नेताओं-कार्यकर्ताओं को संबोधित करके लौट गए। राजद को भी रैली का न्योता नहीं दिया गया था। तीन फरवरी को पटना के गांधी मैदान में 29 साल बाद कांग्रेस की रैली को अगर छोड़ दें तो अभी तक घटक दलों के शीर्ष नेता एक साथ एक मंच पर नहीं दिखे हैं।
आखिरी वक्त तक जारी रही सीट व प्रत्याशी की खींचतान
सीट और प्रत्याशी तय करने में भी दोनों दलों में खींचतान आखिरी वक्त तक जारी रही। दरभंगा से कीर्ति आजाद और औरंगाबाद से निखिल कुमार को राजद ने जिद करके बेदखल कर दिया।