Lok Sabha Election 2019: भाजपा के सामने नहीं चल रहा उर्मिला का ग्लैमर, ये है वजह

उत्तर मुंबई में कांग्रेस की उर्मिला का मुकाबला भाजपा के जमीनी नेता गोपाल शेट्टी से है। ग्लैमर का तड़का लग जाने से यहां का चुनाव रोचक बन गया है। फिर भी मुकाबला एकतरफा माना जा रहा।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Sat, 27 Apr 2019 10:37 AM (IST) Updated:Sun, 28 Apr 2019 07:39 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: भाजपा के सामने नहीं चल रहा उर्मिला का ग्लैमर, ये है वजह
Lok Sabha Election 2019: भाजपा के सामने नहीं चल रहा उर्मिला का ग्लैमर, ये है वजह

मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है। यह कहावत इन दिनों उत्तर मुंबई के चुनाव प्रचार में प्रत्यक्ष देखी जा सकती है। अभिनेता गोविंदा का अनुभव ले चुके उत्तर मुंबईवासियों के लिए कांग्रेस उम्मीदवार उर्मिला मातोंडकर अब छाछ सदृश हो गई हैं।

ऐसा नहीं है कि लोग आकर्षित नहीं हो रहे हैं। जब उर्मिला ठेठ मराठी में अपना भाषण देती हैं, तो सामने शिवसेना शाखा में बैठी शिवसैनिक महिलाएं भी ताली बजाती दिख जाती हैं। उर्मिला के जनसंपर्क के दौरान उनके साथ भीड़ भी जुट रही है। लेकिन जब भाजपा उम्मीदवार वर्तमान सांसद गोपाल शेट्टी से तुलना शुरू होती है, तो उर्मिला मात खा जाती हैं। लोग इसी क्षेत्र के पूर्व सांसद गोविंदा के दौर को याद करते हुए उर्मिला के ग्लैमर से मुंह मोड़ने लगते हैं। गोपाल शेट्टी की छवि इस क्षेत्र में राम नाईक की समृद्ध विरासत को आगे ले जानेवाले नेता की रही है।

इस क्षेत्र से पांच बार सांसद रहे राम नाईक की भांति ही गोपाल भी जमीनी राजनीति से प्रगति कर संसद तक पहुंचे हैं। मुंबई महानगरपालिका में इसी क्षेत्र के एक वार्ड से तीन बार सभासद और इसी क्षेत्र के बोरीवली विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे गोपाल शेट्टी को इस संसदीय क्षेत्र के चप्पे-चप्पे की जानकारी है, और क्षेत्र के लोग भी उन्हें हर मौके पर अपने बीच पाते हैं। वह संगठन में भी मुंबई भाजपा के अध्यक्ष रहने के अलावा और कई जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। उनकी यही खूबी बॉलीवुड अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर पर भारी पड़ रही है।

इसी क्षेत्र में रहनेवाले मुंबई भाजपा के उपाध्यक्ष आरयू सिंह बताते हैं कि जब प्रधानमंत्री ने उज्जवला योजना के सिलिंडर गांवों में देने शुरू किए, तो गोपाल शेट्टी ने इस क्षेत्र की झोपड़पट्टियों में 18 हजार सिलिंडर और अच्छी गुणवत्तावाले चूल्हे हिमाचल प्रदेश की किसी कंपनी से थोक में मंगवाकर बंटवाए। चूल्हे खरीदने के लिए उन्होंने अपने ही क्षेत्र के समृद्ध लोगों से राशि इकट्ठा की। क्षेत्र में बनवाए गए 300 सामूहिक शौचालय एवं गरीबों को मिल रहा आयुष्मान भारत योजना का लाभ भी लोगों को प्रभावित कर रहा है।

यही कारण है कि जब वह अपने जनसंपर्क पर निकलते हैं तो उनके स्वागत में जगह-जगह ‘विकास-विकास-विकास, गोपाल शेट्टी मांझे विकास’ के नारे लगते हैं। जबकि उर्मिला मातोंडकर का स्वागत कई जगह मोदी-मोदी के नारों से हो चुका है। लेकिन इन सबसे ऊपर है, क्षेत्र में शेट्टी की सतत उपलब्धता। वहीं. 2009 में राम नाईक जैसे प्रतिबद्ध राजनेता के बजाय गोविंदा को चुनकर भेजने की गलती लोगों को आज भी याद है। लोग यह गलती दोहराना नहीं चाहते।

क्षेत्र का संगठनात्मक गणित भी कांग्रेस के पक्ष में नहीं दिखता। इस क्षेत्र की छह में से पांच विधानसभाओं पर फिलहाल शिवसेना-भाजपा का कब्जा है। इसके अलावा विधान परिषद के तीन सदस्य भी इसी क्षेत्र से जाते हैं। मुंबई महानगरपालिका के 43 में से 38 सभासद भाजपा-शिवसेना के हैं। 2009 में राम नाईक को पुन: हराने वाले संजय निरुपम के काम से भी लोग खुश नहीं रहे।

यही कारण है कि 2014 में गोपाल शेट्टी करीब साढ़े चार लाख मतों से जीते थे। अपनी इस करारी हार से भयभीत निरुपम दोबारा इस क्षेत्र से लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा सके और उत्तर-पश्चिम मुंबई सीट पकड़ ली। उनके स्थान पर कांग्रेस द्वारा उर्मिला को उतारा जाना बलि का बकरा बनाए जाने के रूप में देखा जा रहा है।

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