Lok Sabha Election 2024: मोदी-ममता की नाक की लड़ाई बनी बंगाल की यह सीट, भाजपा का दांव बना टीएमसी के लिए चुनौती

West Bengal Lok Sabha Election 2024 पश्चिम बंगाल के चुनावी घमासान में भाजपा ने जहां पूरा जोर लगाया है वहीं टीएमसी भी मजबूती के साथ मैदान में है। कांग्रेस और लेफ्ट का गठबंधन मुकाबले को रोचक बना रहा है। इसी बीच राज्य की एक सीट पर सबकी नजर टिक गई है क्योंकि अब यह सीट पीएम मोदी और ममता बनर्जी की नाक की लड़ाई बन चुकी है।

By Jagran NewsEdited By: Sachin Pandey Publish:Fri, 19 Apr 2024 06:00 AM (IST) Updated:Fri, 19 Apr 2024 06:00 AM (IST)
Lok Sabha Election 2024: मोदी-ममता की नाक की लड़ाई बनी बंगाल की यह सीट, भाजपा का दांव बना टीएमसी के लिए चुनौती
West Bengal Lok Sabha Election 2024: भाजपा ने बशीरहाट से रेखा पात्र को उम्मीदवार बनाया है।

इंद्रजीत सिंह, कोलकाता। Basirhat Lok Sabha Election 2024: बंगाल की बशीरहाट संसदीय सीट पर तृणमूल और भाजपा की टक्कर न होकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नाक की लड़ाई बन गई है। दरअसल संदेशखाली इसी संसदीय क्षेत्र में आता है, जहां तृणमूल नेताओं द्वारा आदिवासियों की जमीन पर कब्जा करने और महिलाओं के यौन शोषण की घटनाओं ने पूरे देश को झकझोर दिया था।

भाजपा ने यहां से रेखा पात्र को उम्मीदवार बनाया है, जिन्होंने ही पहली बार आरोपित तृणमूल नेताओं के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। उनके आंदोलन से कई सलाखों के पीछे हैं। भाजपा सूत्रों के मुताबिक खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रेखा के नाम पर मुहर लगाई है।

पीएम ने बताया था शक्ति स्वरूपा

पीएम ने रेखा पात्र से फोन पर बात भी की तथा उन्हें शक्ति स्वरूपा कहा। इसके पहले जिले के बारासात में जब पीएम सभा करने आए थे, तब उन्होंने संदेशखाली की पीड़िताओं से मुलाकात की थी तथा शिकायतें सुनी थीं। उनमें रेखा भी शामिल थीं। पीएम ने रेखा के अदम्य साहस की प्रशंसा भी की थी।

भाजपा ने साधे हैं कई निशाने

भाजपा का मानना है कि रेखा के जरिए राज्यभर की महिला मतदाताओं को साधना आसान हो जाएगा। वहीं रेखा की उम्मीदवारी से पहले तक तृणमूल के लिए आसान समझी जाने वाली यह सीट अब उसकी मुखिया ममता बनर्जी के लिए नाक की लड़ाई बन गई है।

टीएमसी को लगता है कि बशीरहाट के परिणाम दूरगामी असर छोड़ सकते हैं। विधानसभा चुनाव में भी इसका असर देखने को मिल सकता है। टीएमसी ने यहां से हाजी नुरुल इस्लाम को टिकट दिया है, जो 2009 में सांसद चुने गए थे। माकपा के उम्मीदवार निरापद सरदार और आईएसएफ के उम्मीदवार मोहम्मद सहीदुल इस्लाम मोल्ला हैं। एसयूसीआई ने दाउद गाजी को मैदान में उतारा है।

भाजपा ने महिलाओं के आंदोलन को दी राजनीतिक धार

लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले संदेशखाली ने अचानक देशभर का ध्यान अपनी ओर खींचा था। यहां यौन उत्पीड़न के आरोपित टीएमसी नेताओं के खिलाफ कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं था। रेखा पात्र ने बीड़ा उठाया और महिलाओं के आंदोलन का चेहरा बनीं। आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर पीड़िताएं सड़क पर उतरीं तो भाजपा ने राजनीतिक धार दी।

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बंट सकता है मुस्लिम वोट

बशीरहाट क्षेत्र का बड़ा हिस्सा सुंदरवन की बस्तियों से घिरा है। यहां करीब 87.04 प्रतिशत आबादी ग्रामीण और कुल मतदाता 17,50,590 हैं। मुस्लिम आबादी लगभग 46.3 प्रतिशत है जो शुरू से यहां निर्णायक की भूमिका रही है। लेकिन संदेशखाली की घटना के बाद यहां हालात बदले-बदले से नजर आ रहे हैं।

इसकी मुख्य वजह यह है कि टीएमसी नेताओं के उत्पीड़न के शिकार लोगों में आदिवासियों के साथ मुस्लिम भी हैं। इसलिए माना जा रहा है कि मुस्लिम वोट का बिखराव हो सकता है। इसके अलावा आईएसएफ के उम्मीदवार मोहम्मद सहीदुल इस्लाम मोल्ला भी मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं। यहां अनुसूचित जाति की आबादी करीब 25.4 प्रतिशत है।

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भाजपा की बढ़ी ताकत

हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से भाजपा ने बशीरहाट में अपना पैर पसारना शुरू कर दिया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में उसने यहां अपनी ताकत बढ़ा ली। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 18.36 प्रतिशत वोट मिला था जो 2019 में बढक़र 30.12 प्रतिशत हो गया। पिछली बार टीएमसी की नुसरत जहां ने यहां से जीत दर्ज की थीं। उन्हें 54.56 प्रतिशत वोट मिला था। वाममोर्चा के शासन में बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र भाकपा का गढ़ था। 1980 से 2009 तक इस सीट पर भाकपा का कब्जा रहा।

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