Jharkhand Assembly Election 2019: झामुमो-कांग्रेस का अपनी डफली-अपना राग, महागठबंधन में सिर फुटव्‍वल

लोकसभा चुनाव की तरह इस बार के विधानसभा चुनाव में फिर महागठबंधन की राह में कई रोड़े दिख रहे हैं। कांग्रेस ने हेमंत सोरेन के नेता होने पर सवाल उठा दिया है।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Mon, 02 Sep 2019 07:03 AM (IST) Updated:Mon, 02 Sep 2019 11:35 AM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: झामुमो-कांग्रेस का अपनी डफली-अपना राग, महागठबंधन में सिर फुटव्‍वल
Jharkhand Assembly Election 2019: झामुमो-कांग्रेस का अपनी डफली-अपना राग, महागठबंधन में सिर फुटव्‍वल

रांची, [जागरण स्‍पेशल]। शहर बसा नहीं, कि लुटेरे पहले आ गए... अभी झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा भी नहीं हुई है और महागठबंधन के नेता के नाम पर विपक्षी पार्टियों में घमासान मच गया है। भाजपा के विरोधी वोटों के बंटवारे को रोकने की इस कोशिश को तब गहरा झटका लगा, जब कांग्रेस के नए प्रदेश अध्‍यक्ष रामेश्‍वर  उरांव ने बदलाव यात्रा पर निकले झामुमो नेता हेमंत सोरेन के नेता की दावेदारी को एक सिरे से खारिज कर दिया। वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राहुल गांधी के जमाने की एक चिट्ठी का हवाला देते हुए सब कुछ लोकसभा चुनाव में ही तय हो जाने की बात कही है।  

भाजपा ने रघुवर को बनाया सीएम का चेहरा, हर-घर रघुवर अभियान छेड़ा
एक बार फिर से झारखंड की सत्‍ता पर काबिज होने की पुरजाेर कोशिश में जुटी भाजपा ने मुख्‍यमंत्री रघुवर दास फिर से मुख्यमंत्री के रूप में घोषित कर झारखंड विधानसभा का चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। पहले भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह, फिर कार्यकारी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा और फिर भाजपा के चुनाव प्रभारी राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष ओम माथुर ने रघुवर दास को सीएम का चेहरा बनाने और उनके नेतृत्‍व में चुनाव लड़ने के फैसले पर मुहर लगा दी। बूथ लेवल तक कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज और मजबूत संगठन के दम पर भाजपा के नेता इस बार 65 प्‍लस सीटों के लक्ष्‍य पर काम कर रहे हैं। वहीं इस बार के झारखंड विधानसभा चुनाव में घर-घर मोदी की तर्ज पर हर घर रघुवर अभियान भी बीजेपी की ओर से छेड़ा जा रहा है।

विपक्षी महागठबंधन किसे मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट कर चुनाव लड़ेगा यह अभी तय नहीं
झारखंड प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री रामेश्वर उरांव ने झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के अरमानों पर पानी फेर दिया है। उन्‍होंने साफ कहा है कि महागठबंधन का नेता अब तक घोषित नहीं किया गया है। महागठबंधन के स्‍वरूप पर अभी बातचीत बाकी है। सीटों के बंटवारे को लेकर विवाद है। ऐसे में विपक्ष की ओर से मुख्यमंत्री का स्वभाविक दावेदार मान रहे हेमंत सोरेन के लिए यह बड़े झटके के समान है।

डॉ उरांव ने साफ कहा कि महागठबंधन किसे मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट कर चुनाव लड़ेगा यह अभी तय नहीं है। विपक्षी दलों से रायशुमारी के बाद ही इस पर फैसला होगा। कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को महागठबंधन का नेता बनाए जाने के सवाल पर भी गोलमोल जवाब दे कर पीछा छुड़ा रही है। चुनाव से पहले कांग्रेस में टूट की चर्चाओं के बीच भाजपा में शामिल होने जा रहे कुछ विधायकों पर तंज कसते हुए पार्टी ने कहा कि जाने वालों को कौन रोक पाया है।

कांग्रेस के रुख से झामुमो असहज, निकाली राहुल गांधी के जमाने की चिट्ठी
विधानसभा चुनाव को लेकर बदलाव की तैयारियों में जुटा झारखंड मुक्ति मोर्चा महागठबंधन की अगुआई को लेकर भले ही आश्‍वस्‍त दिख रही हो, लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्‍यक्ष के बयान ने हेमंत सोरेन समेत सभी छोटे-बड़े नेताओं को असहज कर दिया है। हेमंत को महागठबंधन में सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट करने पर असहमति के सुर पर झामुमो ने कांग्रेस पार्टी को आलाकमान का आइना दिखाया।

बीते लोकसभा चुनाव में सीटो के बंटवारे के दौरान दिल्‍ली में झारखंड विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चुनाव लड़ने संबंधी लिखित प्रस्ताव को झामुमो ने हथियार बनाया है। कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी के जमाने की चिट्ठी को सार्वजनिक कर कहा कि कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार और झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के भी इस पर हस्ताक्षर हैं। बहरहाल तमाम नेताओं के हस्‍ताक्षर से जारी इस संयुक्त प्रस्ताव को आगे कर जेएएम महागठबंधन का नेतृत्‍व करने की वकालत कर रहा है। कहा गया है कि हेमंत सोरेन विपक्षी दलों के नेताओं के लगातार संपर्क में हैं। महागठबंधन के मसले पर जल्‍द ही सबकुछ तय हो जाएगा।

वामपंथी भी महागठबंधन से बुलावे की आस में
विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में वाम पार्टियों को भी शामिल किया जाएगा, या फिर लोकसभा चुनाव की तरह उन्‍हें किनारे कर दिया जाएगा, इस पर भी जल्‍द फैसला होने की उम्‍मीद है। वामपंथियों के वजूद को पिछली बार भी महागठबंधन के नेताओं ने स्‍वीकारा, लेकिन उन्‍हें तरजीह नहीं दी गई। भाजपा विरोधी वोटों का बिखराव रोकने के सवाल पर इस बार वामपंथी भी महागठबंधन से बुलावे की आस में हैं। उनके नेता कई सीटों पर अपनी दावेदारी जताते हुए चुनावी तैयारियों में पूरी ताकत से जुटे होने का दम भर रहे हैं।

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