Jharkhand Election 2019: बढ़ने लगी झारखंड के मंत्रियों की बेचैनी, कुछ के टिकट कटने की चर्चा
झारखंड में मंत्रियों के पास बताने के लिए कुछ खास नहीं है। कई मंत्री तो ऐसे हैं जो अपने विभाग की योजनाओं के शुभारंभ के अवसर तक पर नदारद रहे हैं।
रांची, राज्य ब्यूरो। महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव परिणामों ने झारखंड में भी सरकार के मंत्रियों की बेचैनी बढ़ा दी है। दोनों ही राज्यों में सत्ताधारी दल की दोबारा सरकार बनना तय है, लेकिन वहां जनता ने बड़े पैमाने पर सरकार के मंत्रियोंं को खारिज कर दिया। हरियाणा जो कि सीटों के लिहाज से झारखंड के आसपास ही ठहरता है, वहां तो आधे से अधिक मंत्री चुनाव हार गए। झारखंड में भी विधानसभा चुनाव के दौरान जनता मंत्रियों के परफार्मेंस का आकलन निश्चित रूप से करेगी।
झारखंड में सरकार के पांच सालों की ढेरों उपलब्धियां हैं, लेकिन उसका श्रेय सरकार के मुखिया को ही मिल रहा है। मंत्रियों के पास बताने के लिए कुछ खास नहीं है। कई मंत्री तो ऐसे हैं, जो अपने विभाग की योजनाओं के शुभारंभ के अवसर तक पर नदारद रहे हैं। सरकार के मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड इस वर्ष उनके विभाग का खर्च भी बता रहा है।
सितंबर तक कुल बजटीय खर्च 29 फीसद के दायरे में रहा है। सरकार के आधे से अधिक मंत्री ऐसे रहे हैं, जिनके विभागों का व्यय 29 फीसद से भी कम रहा है। अब तक मंत्री के कार्यकाल का सुख भोगने वाले मंत्री अब सामान्य विधायक की हैसियत से जनता के बीच सफाई देते फिर रहे हैं। अब चुनाव के बाद ही पता चलेगा कि किसकी साख बचेगी और किसकों जनता रिजेक्ट करेगी।
कुछ मंत्रियों के टिकट कटने की चर्चा
विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा में अभी सुगबुगाहट शुरू नहीं हुई है। लेकिन, कुछ मंत्रियों के टिकट कटने की चर्चा अभी से शुरू हो गई। मंत्रियों के खिलाफ सत्ताधारी दल के अन्य दावेदारों ने फिल्डिंग सजानी शुरू कर दी है। उम्र के साथ-साथ उनकी सक्रियता को आधार बनाया जा रहा है।