बेटे को प्रमोट करना ही रहा वीरभद्र का एजेंडा, बोले बीजेपी नेता जयराम ठाकुर

मंडी संसदीय क्षेत्र के प्रभारी व भाजपा कोर ग्रुप के सदस्य रहे जयराम ठाकुर के साथ दैनिक जागरण की बातचीत के खास अंश यहां पढ़ें...

By Digpal SinghEdited By: Publish:Tue, 31 Oct 2017 02:17 PM (IST) Updated:Tue, 31 Oct 2017 02:21 PM (IST)
बेटे को प्रमोट करना ही रहा वीरभद्र का एजेंडा, बोले बीजेपी नेता जयराम ठाकुर
बेटे को प्रमोट करना ही रहा वीरभद्र का एजेंडा, बोले बीजेपी नेता जयराम ठाकुर

डॉ. रचना गुप्ता। हिमाचल में राजनीति को नई दिशा देने व पार्टियों की सत्ता स्थापित करने के लिए मंडी जिला भले ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है परंतु मध्य हिमाचल का यह इलाका कांगड़ा व शिमला की प्राथमिकताओं के बीच झूलता रहा। इस बार मंडी की खासियत यह है कि यहां से भाजपा व कांग्रेस के सात पूर्व मंत्री मैदान में हैं। इस क्षेत्र को भी विकास की दरकार है। भाजपा नरेंद्र मोदी के सहारे जहां आगे बढ़ रही है वहीं क्षेत्र में प्रत्याशी की भी अपनी भूमिका अहम मानी जा रही है।

आम जनमानस के साथ, पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं पूर्व पार्टी अध्यक्ष जयराम ठाकुर का सराजवासियों के साथ सतत पांच वर्ष का संपर्क है। कांडा क्षेत्र में फूलों की खेती करने वालों को घर तक बस मिलेगी और सड़कें बनेंगी। इस वादे के साथ, ‘घोरा ग्रां के माणू’, उम्मीद रखे हुए हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में जम्मू कश्मीर के संगठन प्रभारी एवं युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष रहे जयराम ठाकुर ने पहली बार पार्टी अध्यक्ष रहते भाजपा को बिना प्री-पोल अलांयस के सरकार बनाई। इस बार वह पर्यटन व स्वरोजगार के साथ गांव-गांव विकास की बात कहते हैं।

कांग्रेस में वीरभद्र व बेटे की राजनीति पर आक्रामक रुख है। वहीं राजाओं की मंडी में राजसी परंपराओं से इतर आम जनता से भाजपा को जोड़कर रखना चाहते हैं। मंडी संसदीय क्षेत्र के प्रभारी व भाजपा कोर ग्रुप के सदस्य रहे जयराम ठाकुर के साथ दैनिक जागरण की बातचीत के खास अंश :-


सत्ता के 5 बरस में कांग्रेस को आप कहां खड़ा पाते हैं?

- कांग्रेस 5 वर्षो में फेल साबित हुई है। उसके पास जनता के विकास के लिए समय ही नहीं था। लोगों का ध्यान रखने की भी जरूरत महसूस नहीं हुई। वीरभद्र सिंह की सरकार कुछ रिटायर्ड अफसर चलाते रहे। उनकी प्राथमिकताएं क्या थीं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह पूरे पांच साल सीबीआइ व इडी के दायरे से ही बाहर नहीं निकल सके। भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद उनकी संपत्तियां तक जब्त हो गईं। वह और उनका परिवार जमानत पर है। उनका केवल और केवल एक ही अजेंडा रहा कि वह अपने बेटे विक्रमादित्य को प्रमोट करें। वह केवल उसी व्यक्ति को संरक्षण देते रहे जो उनके बेटे को हिमाचल की राजनीति में स्थापित करवा सके। ऐसे में विकास कहां से होगा? उन्होंने टेलीफोन पर, कंप्यूटर पर ऐसे शिलान्यास कर दिए जिनकी न तो अधिसूचना हुई न ही बजट का आवंटन। वह लोगों को घोषणाएं करके गुमराह करते रहे। जनता को बाद में पता चलेगा कि जो ऐलान वह करते रहे वह वास्तविकता में हैं ही नहीं है।


आप लगातार चार मर्तबा भाजपा से विधायक रहे। इस बार के चुनावों को किस तरह भिन्न मानते हैं?

- इस बार भारतीय जनता पार्टी हिमाचल प्रदेश में एक स्वर्णिम युग के वादे के साथ आ रही है। यूं भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने राज्य को एक नई दिशा दी है। राजमार्गो का काम देखिए, सड़कों का विस्तार और कई योजनाएं ऐसी हैं जो हिमाचल के लंबित विकास को नए पंख लगाएंगी। भाजपा सरकार बनने का लोग इंतजार कर रहे हैं।

भाजपा को खुद पर इतना विश्वास है तो फिर आपके गृह जिला मंडी में सुखराम के बेटे व कांग्रेस के पूर्व मंत्री अनिल शर्मा की जरूरत क्यों पड़ी?

- देखिए, यह पार्टी का सोचा समझा फैसला है। सुखराम अब राजनीति में प्रत्यक्ष तौर पर सक्रिय नहीं हैं।

नई पीढ़ी नई तरह से सोचती और काम करती है। मंडी की सीट में भाजपा एकजुट है। पार्टी सुनिश्चित करेगी कि सुशासन के जरिए जन भावना का सम्मान व विश्वास बनाया जाएगा। कांग्रेस के कई और नेता भी भाजपा में आना चाहते थे परंतु विवादास्पद नेताओं को लेने का फैसला नहीं हुआ। मेजर मनकोटिया, जीएस बाली इत्यादि लोगों पर विचार चल रहा था परंतु अनिल शर्मा किसी भी मामले में विवादास्पद नहीं थे।


मंडी जिला से कभी भी किसी दल ने मुख्यमंत्री नहीं दिया। दस विधानसभा सीटों वाले इस क्षेत्र से क्या भाजपा आपको यह जिम्मेदारी दे सकती है?

- यह विषय मेरा नहीं है। न ही कभी मैंने इस बात को ध्यान में रखते हुए राजनीति की। हां, संगठन द्वारा जब-जब जो जिम्मेदारी मुझे दी गई उसे ठीक तरह से निभा सकूं ऐसा मेरा प्रयास रहता है।

जब आप पार्टी अध्यक्ष थे तब भाजपा पहली मर्तबा अपने बूते प्रदेश में सरकार बना पाई थी। उस वक्त सत्ता में आने का क्या फामरूला आपने दिया?

- पूरी पार्टी एक साथ मिलकर चली थी। लीडरशिप संगठित थी। कोई प्री-पोल अलांयस नहीं था। संगठन ने मजबूती के साथ जमीनी स्तर पर कार्य किया था। कार्यकर्ता आम लोगों के साथ जुड़े थे। तब भी कांग्रेस सरकार के खिलाफ जनता में आक्रोश भरा था। बागियों को चुनावों में रोका भी गया था।


इस बार भी भाजपा के कई बागी उम्मीदवार मैदान में हैं। क्या नुकसान नहीं होगा?

- कांग्रेस की तुलना में भाजपा में असंतोष कम है। जब जब चुनाव आते हैं तो हर व्यक्ति को टिकट देना संभव नहीं होता है। जाहिर तौर पर प्रत्येक व्यक्ति की अपेक्षा भी पूरी नहीं हो सकती। लेकिन पार्टी के स्तर पर हरेक कार्यकर्ता से बात हुई है कि साथ मिलकर चलें। पार्टी हर सभी की भावना का सम्मान करेगी। बागियों से पार्टी को कहीं कोई नुकसान नहीं होने वाला। हां, कांग्रेस में तो हर स्थान पर बागी खड़े हैं। कोई वीरभद्र धड़ा, कोई सुक्खू धड़ा, कोई स्टोक्स धड़ा। वहां इतने धड़े है कि चार-पांच समानांतर कांग्रेस पार्टियां बन चुकी हैं।

- लेखक हिमाचल की राज्य संपादक हैं

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