पढ़िए विधायक जी सुख की कहानी, जिनकी पत्‍नी बनाती थीं जूतियां

पूर्व विधायक जी सुख ईमानदारी की एक ऐसी मिसाल थे जिनका उदाहरण आज भी दिया जाता है। न सिर्फ खुद राजनीति में गंगा की तरह पवित्र रहे बल्कि बच्चों को भी यही सिखाया।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Sat, 28 Sep 2019 01:21 PM (IST) Updated:Sat, 28 Sep 2019 01:26 PM (IST)
पढ़िए विधायक जी सुख की कहानी, जिनकी पत्‍नी बनाती थीं जूतियां
पढ़िए विधायक जी सुख की कहानी, जिनकी पत्‍नी बनाती थीं जूतियां

रेवाड़ी (कृष्ण कुुमार)। राजनीति के भी अपने-अपने मायने होते हैं। एक समय था जब राजनीति धन कमाने का साधन नहीं बल्कि सेवा का माध्यम थी। राजनीति में ऐसे ही मायने स्थापित करने के लिए याद किया जाता है बावल के पूर्व विधायक जी सुख को। पूर्व विधायक जी सुख ईमानदारी की एक ऐसी मिसाल थे जिनका उदाहरण आज भी दिया जाता है। न सिर्फ खुद राजनीति में गंगा की तरह पवित्र रहे बल्कि बच्चों को भी यही सिखाया कि जो कुछ करें अपनी मेहनत के बल पर ही करें।

मेहनत करके आगे बढ़ रहा है परिवार

जी सुख ने राजनीति को पैसे कमाने का साधन नहीं समझा। वे उस समय विधायक बने थे जब राजनीति व्यापार नहीं थी। रामपुरा निवासी जीसुख 1968 में राव बिरेंद्र सिंह की विशाल हरियाणा पार्टी से बावल विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे। गांव में आज भी उनका पुश्तैनी मकान है तथा उनके इकलौते बेटे नवल किशोर अपनी पत्नी व चार बेटों के साथ इसी मकान में रहते हैं।

मकान देखकर लगा सकते हैं ईमानदारी की राजनीति

विधायक जी सुख ने किस ईमानदारी से राजनीति की इस बात का अहसास गांव रामपुरा स्थित उनके छोटे से मकान को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है। परिवार आज आर्थिक संकट व अन्य परेशानियों से भले ही जूझ रहा है लेकिन पिता जी सुख की बातों को आज भी उनके बेटे, पुत्रवधू ने गांठ बांध रखा है। विधायक बनने के बाद पिता चाहते तो अपने इकलौते बेटे को सरकारी नौकरी में आसानी से लगा सकते थे लेकिन उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग नहीं किया।

पेंशन के सहारे ही चलाया परिवार

पूर्व विधायक जी सुख का चार जुलाई, 2001 को निधन हो गया था। वे जब तक रहे पेंशन के सहारे ही परिवार का पालन पोषण किया। उनके निधन के बाद पत्नी राजवती को पेंशन मिलती थी, जिससे परिवार का गुजर-बसर होता था। 13 मई, 2019 को राजवती का निधन होने से अब पेंशन भी बंद है। जितने ईमानदार जी सुख थे उसनी ही कर्तव्यनिष्ठ उनकी पत्नी राजवती भी थी।

पत्‍नी बनाती थी जरी की जूतियां

पति बेशक विधायक बने लेकिन राजवती ने जरी की जूतियां बनाने का काम नहीं छोड़ा। नवल किशोर बताते है उनके पिता हमेशा कहते थे कि मेहनत करके खाओ, जीवन में कभी बेइमानी की सोचना भी मत। आधुनिकता व टेक्नालोजी के इस दौर में भी पूर्व विधायक के परिवार के किसी भी सदस्य के पास मोबाइल नहीं है।

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