Loksabha Election: जाट बनाम गैर जाट और जातिवादी कार्ड खेलना पड़ेगा भारी, होगा बड़ा एक्‍शन

Loksabha Election 2019 के दौरान हरियाणा में जाट बनाम गैर जाट व जातिवादी कार्ड खेलना बहुत भारी पड़ेेगा। ऐसा करने वाले उम्‍मीदवार को बहुत भारी पड़ सकता है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sat, 16 Mar 2019 11:54 AM (IST) Updated:Sat, 16 Mar 2019 11:57 AM (IST)
Loksabha Election: जाट बनाम गैर जाट और जातिवादी कार्ड खेलना पड़ेगा भारी, होगा बड़ा एक्‍शन
Loksabha Election: जाट बनाम गैर जाट और जातिवादी कार्ड खेलना पड़ेगा भारी, होगा बड़ा एक्‍शन

चंडीगढ़, [सुधीर तंवर]। हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा और डेरा सच्चा सौदा प्रकरण को लोकसभा चुनाव में भुनाने की रणनीति पर चल रहे सियासी दलों पर चुनाव आयोग की नजर टेढ़ी हो गई है। आम चुनाव में अगर किसी भी प्रत्याशी ने जाट बनाम गैर जाट या फिर जातिवाद और धर्म का कार्ड खेला तो उसकी उम्मीदवारी खत्म हो सकती है। दोष साबित होने पर छह महीने से दो साल तक के लिए जेल की हवा भी खानी पड़ेगी।

जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा को भुनाने की रणनीति बना रहे नेताओं पर चुनाव आयोग की नजर टेढ़ी

प्रदेश की सियासत में जब-तब जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा का मामला तूल पकड़ता रहा है। लोकसभा चुनाव का शेड्यूल जारी होते ही एक बार फिर से विभिन्न सियासी दलों से जुड़े दिग्गज एक-दूसरे पर हिंसा का ठीकरा फोड़ते हुए अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश में जुट गए हैं। इस पर संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने ऐसे नेताओं पर निगरानी बढ़ा दी है।

जाति या धर्म के आधार पर वोट मांगने पर रद होगी उम्मीदवारी, छह महीने से दो साल तक कैद

कहीं भी जाति, धर्म, नस्ल, समुदाय या भाषा के आधार पर कोई प्रत्याशी या राजनेता मतदाताओं को प्रभावित करता दिखा तो इसे आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा। जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 (3) के तहत किसी उम्मीदवार का दोष साबित होने पर निर्वाचन आयोग चुनाव तक रद कर सकता है। इसके अलावा आयोग संबंधित उम्मीदवार पर भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) के तहत आपराधिक मामला भी दर्ज कराएगा जिसके तहत दो साल तक की सजा का प्रावधान है।

धर्म गुरुओं की मदद पड़ सकती है भारी

अगर कोई उम्मीदवार किसी धर्म गुरु को अपने पक्ष में धर्म, भाषा, जाति इत्यादि के आधार पर वोट मांगने के लिए सहमति देता है तो चुनाव आयोग उस पर एक्शन ले सकता है। उम्मीदवार का दोष साबित होने पर आयोग को चुनाव तक रद करने का अधिकार है। वहीं, आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों को फॉर्म-26 भरते हुए सारी जानकारी इंटरनेट पर डालनी होगी। साथ ही तीन बार अखबार और टीवी पर विज्ञापन जारी कर अपने खिलाफ दर्ज मामलों की जानकारी सार्वजनिक करनी पड़ेगी। नियम तोडऩे वाले दलों पर मान्यता खत्म होने का खतरा रहेगा।

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आचार संहिता टूटती दिखे तो सी-विजिल एप पर डालें वीडियो

अगर कोई उम्मीदवार जाति, धर्म, नस्ल, समुदाय या भाषा के आधार पर वोट मांगता है तो कोई भी व्यक्ति इसका वीडियो बनाकर सी-विजिल एप पर डाल सकता है। शिकायत के 20 मिनट के भीतर चुनाव आयोग की टीम मौके पर पहुंचकर मामले की पड़ताल कर एक्शन लेगी। इसके अलावा जिला निर्वाचन अधिकारियों के पास भी आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत की जा सकती है।

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दावे 36 बिरादरी के, जाट-गैर जाटों पर नजर

हरियाणा में भले ही सभी सियासी दल 36 बिरादरी को साथ लेकर चलने के दावे कर रहे, लेकिन संसदीय चुनाव में असली महासंग्राम जाट और गैर जाट वोटों को लेकर होना है। प्रदेश में करीब 25 फीसद जाट वोटर हैं, जबकि करीब 30 फीसद पंजाबी, ब्राह्मण, वैश्य और राजपूत हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटरों की संख्या भी अच्छी खासी है। भिवानी, रोहतक, सोनीपत व हिसार में जाट वोट बैंक हावी रहता है तो अंबाला व सिरसा में दलितों का पूरा प्रभाव है। इसी तरह फरीदाबाद, सिरसा, कुरुक्षेत्र व करनाल में पंजाबी और गुरुग्राम में अहीर व सिख मतदाताओं का पूरा असर रहता है।

'आचार संहिता तोडऩे वालों पर सख्त एक्शन'

''कोई भी उम्मीदवार या उनका समर्थक जाति और धर्म के आधार पर वोट नहीं मांग सकता। अगर कोई ऐसा करता है तो चुनाव आयोग उस पर सख्त एक्शन लेगा। दोष साबित होने पर न केवल प्रत्याशी का चुनाव रद किया जा सकता है, बल्कि छह महीने से दो साल तक की जेल भी हो सकती है।

                                                                              - डॉ. इंद्रजीत, संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी।

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