EXCLUSIVE: गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी बोले- हम आश्वस्त, बेचैनी कांग्रेस में हैं

गुजरात चुनाव से पहले मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने दैनिक जागरण से खास मुलाकात की। पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश...

By Digpal SinghEdited By: Publish:Sat, 02 Dec 2017 01:00 PM (IST) Updated:Sat, 02 Dec 2017 03:31 PM (IST)
EXCLUSIVE: गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी बोले- हम आश्वस्त, बेचैनी कांग्रेस में हैं
EXCLUSIVE: गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी बोले- हम आश्वस्त, बेचैनी कांग्रेस में हैं

अहमदाबाद, [आशुतोष झा]। गुजरात के हाइप्रोफाइल चुनाव को लेकर पूरे देश में चर्चा गर्म है। लेकिन इससे अलग राजधानी गांधीनगर स्थित सीएम हाउस पहुंचिए तो अंदाजा लगाना भी मुश्किल होगा कि बाहर क्या कुछ हो रहा है। आसपास घूमते मोर, पंछियों की छहछहाहट, अपने र्निदिष्ट स्थान पर पूरी तरह सामान्य मुद्रा में खड़े सुरक्षाकर्मी। कोई भीड़भाड़ नहीं। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी सुबह दो जनसभा कर लौटे हैं और शाम में दो अन्य स्थानों पर जाना है। पूछने पर कहते हैं- चुनाव हम पूरी तैयारी से लड़ रहे हैं लेकिन आश्वस्त हैं। बेचैनी तो कांग्रेस में हैं। नरेंद्र भाई मोदी जैसा चेहरा है, हम जनता के साथ हैं और जनता हमारे साथ है। फिर फिक्र क्यों?

इस चुनावी सरगर्मी के बीच मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने दैनिक जागरण से बातचीत के लिए कुछ वक्त निकाला। पेश है उनसे हुई विस्तृत बातचीत के कुछ अंश, जिसमें हमारे प्रश्नों के मुख्यमंत्री ने बेबाकी से जबाव दिए।

गुजरात में इस बार बहुत हलचल है। कांग्रेस में उत्साह भी ज्यादा दिख रहा है और आपकी सरकार के खिलाफ नाराजगी की भी बात हो रही है। आप कितने आश्वस्त हैं? 

- हलचल तो हर बार होती है, जितनी होती है उससे ज्यादा दिखाई जाती है। लेकिन उसका नतीजा क्या होता है यह आप लोग पहले भी देखते रहे हैं। इस बार भी कोई बदलाव नहीं होगा। जहां तक नाराजगी की बात है तो उसका दो तरह से आकलन किया जाता है- या तो लोग वोट नहीं डालते हैं या फिर सड़क पर आंदोलन करते हैं। इन दोनों में से कुछ नहीं हो रहा है। वोट कितना पड़ेगा यह आप नतीजे के बाद देख लीजिएगा। मैं पूरे विश्वास से कहता हूं कि पिछली बार से भी ज्यादा सीटें आएंगी। दो ढ़ाई साल पहले कुछ लोग आंदोलन करने सड़क पर उतरे थे। वह पूरी तरह बेनकाब हो चुके हैं। लोगों ने देख लिया कि यह सब कुछ केवल राजनीति के लिए हो रहा था। वह समुदाय की भलाई के लिए नहीं था। मतदान होने दीजिए, कांग्रेस के बाकी के दो प्यादे भी जमीन पर नजर आएंगे। वोट विश्वसनीयता के लिए पड़ता है।

लेकिन प्रकृति का भी अपना कानून होता है, बदलाव की चाहत भी होती है। भाजपा ढाई दशक से सत्ता में है। क्या इन सब कारणों से कांग्रेस की राह थोड़ी आसान नहीं हो जाती है?

- जांचे परखे ठोस वर्तमान से कोई लड़खड़ाते हुए भविष्य की ओर जाना चाहेगा क्या? लोगों ने देखा नहीं है क्या कि कांग्रेस काल में गुजरात की स्थिति क्या थी। भाजपा शासन में राज्य का विकास हुआ है और अच्छे शासन के खिलाफ एंटी इंकबैंसी नहीं होती है। मुझसे नहीं जनता से पूछिए कि गुजरात किसके हाथ में सुरक्षित है। गुजरात को कौन संभाल सकता है।

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लेकिन केवल भाजपा को गुजरात की अस्मिता से क्यों जोड़ा जाता है। कांग्रेस में भी तो गुजरात के लोग हैं?

- जी नहीं, गुजराती अस्मिता गुजरात से जुड़ी है किसी पार्टी से नहीं। लेकिन यह अस्मिता इसलिए बनी क्योंकि गुजरात ने हमेशा से सकारात्मक राजनीति की। सड़क छाप राजनीति करेंगे तो अस्मिता को ठेस पहुंचती है जो कि आजकल कांग्रेस कर रही है। आजादी के वक्त भी गांधी और सरदार ने नेतृत्व किया। महागुजरात का आंदोलन हुआ। भ्रष्टाचार के खिलाफ भी सबसे पहले गुजरात के युवाओं ने नव निर्माण आंदोलन किया था और मोदी ने भी विकास की राजनीति गुजरात से की, जो अब पूरे देश में मुद्दा है। हम गुजराती अस्मिता की बात गुजरात के हित में करते हैं और यहां के लोग इसे समझते हैं।

लेकिन अब तो धर्म का भी मुद्दा उछाला जा रहा है?

- कौन उछाल रहा है, यह तो कांग्रेस ही जवाब दे। राहुल सोमनाथ गए और उसके बाद उन्हीं के लोगों की ओर से बातें सामने आईं। अब वह नकार रहे हैं तो फिर हैंडराइिटंग का परीक्षण करवा लें। बात साफ हो जाएगी। सच्चाई तो यह है कि कांग्रेस हताश है। कुछ अराजक तत्व इकट्ठा कर लिए और अब पार्टी के अंदर ही असंतोष है।

गुजरात चुनाव को लोकसभा के लिए सेमीफाइनल की तरह देखा जा रहा है। आप क्या कहेंगे?

- मैं यह कहूंगा कि नतीजे आने दीजिए फिर कांग्रेस और उसके साथी ही कहेंगे कि 2019 भूल जाओ, 2024 की तैयारी करो। मैं दावे के साथ कह रहा हूं कि पिछली बार से ज्यादा सीटें हम जीतेंगे।

यानी जो मोदी लहर में नहीं हुआ वह भी अब होगा?

- इसका तर्क मैं बताऊंगा, लेकिन पहले यह याद रखिए कि अब भी मोदी लहर है। कांग्रेस जीएसटी को मुद्दा बनाकर घूम रही है। उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में तो लोगों ने जीएसटी के प्रति अपना रुख बता दिया। शहरों में चुनाव हुए और लोगों ने कांग्रेस को पूरी तरह खारिज कर दिया। गुजरात चुनाव के केंद्र मे भी मोदी जी हैं। लेकिन ज्यादा सीटें जीतने का एक और कारण है कांग्रेस के वैसे एक दर्जन लोग भी अब हमारे साथ हैं जो 2007 में भी और 2012 में भी वह कांग्रेस से जीते थे। कांग्रेस के मजबूत लोग भी अब भाजपा के साथ हैं। नतीजा आने दीजिए, सबको जवाब मिल जाएगा।

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