कांग्रेस ने पाटीदारों को आरक्षण के लिए दिए 3 विकल्प, इस फॉर्मूले पर बन सकती है बात

पाटीदार नेता दिनेश बामणिया ने बताया कि कांग्रेस ने उन्हें जो विकल्प दिए हैं उन पर पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति पास की कोर कमेटी चर्चा करेगी।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Publish:Thu, 09 Nov 2017 06:51 PM (IST) Updated:Thu, 09 Nov 2017 06:51 PM (IST)
कांग्रेस ने पाटीदारों को आरक्षण के लिए दिए 3 विकल्प, इस फॉर्मूले पर बन सकती है बात
कांग्रेस ने पाटीदारों को आरक्षण के लिए दिए 3 विकल्प, इस फॉर्मूले पर बन सकती है बात

अहमदाबाद, जेएनएन। कांग्रेस ने पाटीदारों को आरक्षण के लिए तीन विकल्प दिए लेकिन आरक्षण के अंतिम फॉर्मूले पर पाटीदार नेता हार्दिक पटेल व कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ही मुहर लगाएंगे। पाटीदार आरक्षण आंदोलन को लेकर कांग्रेस की ओर से पूर्व केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने पाटीदार नेताओं के साथ बुधवार देर रात तक चर्चा की।

हालांकि दोनों ही पक्षों ने आरक्षण के विकल्पों को गोपनीय बताते हुए उनका खुलासा नहीं किया लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी व चुनाव प्रचार समिति के प्रभारी अर्जुन मोढवाडिया पाटीदारों को ओबीसी-2 के फार्मूले से आरक्षण की वकालत की ताकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछडा वर्ग के 49 प्रतिशत आरक्षण के साथ छेडछाड नहीं हो।

पाटीदार नेता दिनेश बामणिया ने बताया कि कांग्रेस ने उन्हें जो विकल्प दिए हैं उन पर पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति पास की कोर कमेटी चर्चा करेगी। उन्होंने साफ किया कि राजस्थान में अन्य पिछडा वर्ग की तरह पाटीदारों को आरक्षण नहीं चाहिए।

गौरतलब है कि गुजरात सरकार ने आरक्षण से वंचित जातियों को आर्थिक आधार पर 10 फीसद आरक्षण की घोषणा की थी लेकिन हाईकोर्ट ने उस पर रोक लगा दी थी, मामला फिलहाल उच्च्तम न्यायालय में लंबित है। बामणिया ने कहा है कि आरक्षण को लेकर कांग्रेस गंभीर है तथा इस समस्या का समाधान लाने को तैयार है जबकि भाजपा ने कोई रुचि नहीं दिखाई।

इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस नेता व पाटीदारों के बीच तीन घंटे लंबी बातचीत चली। इसमें पूर्व अध्यक्ष सिद्वार्थ पटेल, राष्ट्रीय प्रवक्ता शक्तिसिंह गोहिल आदि नेता भी शामिल हुए। कांग्रेस ने सुझाया कि पाटीदार आरक्षण को संवैधानिक बनाने के लिए ओबीसी आयोग को भी इस मामले में जोड़ा जाएगा इस दौरान जो भी कानूनी पेचीदगियां होंगी दोनों पक्ष उसको मान्य रखेंगे।

जानकार बताते हैं कि आरक्षण के ये तीन फार्मूले हो सकते हैं--

1- कानून के जानकार बताते हैं कि पाटीदर समाज को आर्थिक आधार पर ही आरक्षण मिल सकता है, सालाना 6 से 8 लाख रु तक की आय वाले आरक्षण से वंचित परिवारों को इसमें शामिल किया जा सकता है। चूंकि ओबीसी क्रीमिलेयर की सीमा भी 8 लाख रु सालाना है।

2- ओबीसी आयोग की सहमति से पाटीदारों को ओबीसी पार्ट2 के तहत ओबीसी वर्ग में ही लाभ दिया जाए ताकि राजस्थान व हरियाणा में जाटों को इसी फार्मूले से आरक्षण दिया गया था

3- सत्ता में आने पर विधानसभा में नवीं अनुसूची के तहत विधेयक पारित कर गेंद केनद्र के पाले में डाल दी जाए अथवा शेक्षणिक संस्थाओं व नौकरियों में पाटीदार व अन्य जातियों को बोनस अंक दिए जाकर प्रवेश व नौकरी में वरीयता दी जाए।

मामले पर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा है कि कांग्रेस गुजरात में जातिवादी राजनीति कर रही है, जिसे जनता बर्दाश्त नहीं करेगी। पाटीदारों को वह आरक्षण पर गुमराह कर रही है।

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