अतीत के आईने से: AAP की एंट्री से बिगड़ा कांग्रेस और भाजपा का गणित, होती थी कांटे की टक्कर

2008 में हुए परिसीमन से पहले इस सीट पर भाजपा के ब्रह्म सिंह तंवर और कांग्रेस के बलराम तंवर के बीच सीधी लड़ाई होती रही है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Mon, 30 Dec 2019 03:32 PM (IST) Updated:Mon, 30 Dec 2019 03:32 PM (IST)
अतीत के आईने से: AAP की एंट्री से बिगड़ा कांग्रेस और भाजपा का गणित, होती थी कांटे की टक्कर
अतीत के आईने से: AAP की एंट्री से बिगड़ा कांग्रेस और भाजपा का गणित, होती थी कांटे की टक्कर

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi Assembly Election 2020: दक्षिणी दिल्ली के महरौली विधानसभा क्षेत्र में यूं तो भाजपा व कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर होती रही है। यहां से तीन बार भाजपा तो दो बार कांग्रेस को जीत मिली है, लेकिन इस सीट पर जब मुकाबला त्रिकोणीय हुआ तो कांग्रेस तीसरे नंबर पर ही रही है। पहली बार भाजपा तो दूसरी बार आप ने ये सीट अपने नाम की है। पश्चिमी दिल्ली से मौजूदा सांसद प्रवेश वर्मा और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. योगानंद शास्त्री भी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

वर्ष 2008 में हुए परिसीमन से पहले इस सीट पर भाजपा के ब्रह्म सिंह तंवर और कांग्रेस के बलराम तंवर के बीच सीधी लड़ाई होती रही है। 1993 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में ब्रह्म सिंह तंवर ने बलराम तंवर को 7021 मतों से पराजित कर महरौली का प्रतिनिधित्व किया था। दूसरे चुनाव में भी दोनों एक बार फिर से चुनावी दंगल में उतरे। इस बार बलराम तंवर को 2607 मतों से हार का सामना करना पड़ा।

2003 के चुनाव में एक बार फिर से भाजपा और कांग्रेस ने इन्हीं प्रत्याशियों पर दांव लगाने का फैसला किया और बलराम तंवर ने बाजी पलटते हुए ब्रह्म सिंह तंवर को 11656 मतों से पराजित कर भाजपा को बड़ा झटका दिया।

क्षेत्र का बड़ा हिस्सा छतरपुर में जोड़ा गया

परिसीमन में इस क्षेत्र का बड़ा हिस्सा काटकर छतरपुर विधानसभा क्षेत्र में जोड़ दिया गया और दोनों परंपरागत प्रतिद्वंद्वी भी महरौली के बजाय छतरपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनावी किस्मत आजमाने लगे, इसलिए भाजपा और कांग्रेस परिसीमन के बाद 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में महरौली के चुनावी दंगल में नए उम्मीदवारों के साथ चुनाव मैदान में उतरी। कांग्रेस ने जहां अपने दिग्गज जाट नेता डॉ. योगानंद शास्त्री को यहां से चुनाव मैदान में उतारा वहीं भाजपा ने भी जाट नेता शेर सिंह डागर को टिकट देकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया, लेकिन डॉ. योगानंद ने डागर को एक हजार से ज्यादा मतों से पराजित किया।

वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया। तीनों ही पार्टियों ने जाट नेताओं को यहां से उतारा। भाजपा ने प्रवेश वर्मा को टिकट दिया तो कांग्रेस ने डॉ. योगानंद शास्त्री को फिर से अपना प्रत्याशी बनाया। वहीं, आप ने नरेंद्र सिंह सेजवाल को उम्मीदवार बनाया। इस त्रिकोणीय लड़ाई में प्रवेश वर्मा ने आप उम्मीदवार को पटखनी दी। बाद में प्रवेश वर्मा को लोकसभा चुनाव में पश्चिमी दिल्ली जीत हासिल की।

पिछली बार आप और भाजपा में रही सीधी टक्कर

वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां से पूर्व मेयर सरिता चौधरी को टिकट दिया, जबकि कांग्रेस ने सतबीर सिंह को मैदान में उतारा। वहीं, आप की ओर से नरेश यादव मैदान में थे। हालांकि, मुकाबला इस बार त्रिकोणीय नहीं रहा और भाजपा व आप में सीधी टक्कर हुई। इस लड़ाई में आप के नरेश यादव भाजपा प्रत्याशी पर भारी पड़े। उन्होंने यह मुकाबला करीब 17 हजार मतों से जीत लिया और पहली बार यह सीट आप के खाते में आ गई।

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