Chhattisgarh assembly: नेता प्रतिपक्ष के लिए रमन विरोधी खेमा दिल्ली में सक्रिय

Chhattisgarh assembly : पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और प्रेमप्रकाश पांडेय ने दिल्ली में डाला डेरा।

By Hemant UpadhyayEdited By: Publish:Wed, 19 Dec 2018 08:33 PM (IST) Updated:Thu, 20 Dec 2018 07:47 AM (IST)
Chhattisgarh assembly: नेता प्रतिपक्ष के लिए रमन विरोधी खेमा दिल्ली में सक्रिय
Chhattisgarh assembly: नेता प्रतिपक्ष के लिए रमन विरोधी खेमा दिल्ली में सक्रिय

रायपुर। छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा में गुटबाजी नजर आने लगी है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और उनके विरोधी खेमे के रूप में जाने जाने वाले बृजमोहन अग्रवाल के बीच नेता प्रतिपक्ष को लेकर खींचतान शुरू हो गई है।

डॉ रमन के करीबी नेताओं की मानें तो हार की जिम्मेदारी लेने के बाद अब डॉ रमन कांग्रेस के आरोपों का विधानसभा में जवाब देने के लिए नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी लेने को तैयार हैं। इस बीच, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और प्रेमप्रकाश पांडेय ने दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों के साथ संगठन के आला नेताओं से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं ने संगठन महामंत्री रामलाल को हार के कारणों की जानकारी दी।

भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे 15 में से आठ विधायकों का समर्थन बृजमोहन अग्रवाल के पास है। हार के बाद ये विधायक खुलकर संगठन के नेताओं के खिलाफ आ गये हैं। विधायक चुनने के बाद भी बृजमोहन के आवास पर विधायकों का जमावड़ा लगा था। इसमें बिंद्रानवागढ़ के डमस्र्धर पूजारी, पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर सहित अन्य पहुंचे थे।

प्रदेश में भाजपा की सबसे बड़ी हार मुख्यमंत्री के गृह जिले कवर्धा में मिली है। यहां कांग्रेस के मोहम्मद अकबर ने भाजपा उम्मीदवार अशोक साहू को 55 हजार से ज्यादा वोट से हराया है। वही हाल पंडरिया में भी है। यहां करीब 30 हजार वोट से भाजपा को हार मिली है। आला नेताओं के साथ चर्चा में इस बात का भी जिक्र किया जा रहा है।

पहली बार खुलकर शुरू हुआ संगठन का विरोध

प्रदेश में अब तक संगठन और डॉ रमन सिंह का खुलकर विरोध नहीं होता था। पहली बार दिग्गज नेताओं ने संगठन के खिलाफ आला नेताओं के सामने बोलना शुरू कर दिया है। चर्चा है कि विरोधी खेमे ने प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक को बदलने तक की चर्चा की है। विरोधी खेमे का तर्क है कि कौशिक के कार्यकाल में पार्टी को इतनी करारी हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले उनको हटाकर नए नेता को जिम्मेदारी दी जाए।  

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