माया-जोगी गठजोड़ पर मोदी का 'जय सतनाम', जानिए इसके सियासी असर

मोदी ने एक तीर से कई निशाने साधे। छत्तीसगढ़ी में बात कर छत्तीसगढ़ियों के बीच अपने लिए जगह बनाई। तो जय जोहार-जय सतनाम कहकर अनुसूचित जाति के वोटरों को साधने की भी कोशिश की।

By Arti YadavEdited By: Publish:Sun, 23 Sep 2018 08:16 AM (IST) Updated:Sun, 23 Sep 2018 08:16 AM (IST)
माया-जोगी गठजोड़ पर मोदी का 'जय सतनाम', जानिए इसके सियासी असर
माया-जोगी गठजोड़ पर मोदी का 'जय सतनाम', जानिए इसके सियासी असर

बिलासपुर (नईदुनिया)। छत्तीगसढ़ की राजनीति में मायावती और अजीत जोगी के गठजोड़ के बाद पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जय सतनाम का दांव खेला है। अनुसूचित जाति बाहुल्य लोकसभा जांजगीर-चांपा में मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत जय जोहार, जय सतनाम से की। मोदी के इस संबोधन में राजनीतिक निहितार्थ छुपा हुआ है। आने वाले दिनों में मोदी के सतनाम के प्रति प्रेम का सियासी असर भी दिखाई दे तो अचरज नहीं होनी चाहिए। मोदी ने एक तीर से कई निशाने साधे। छत्तीसगढ़ी में बात कर छत्तीसगढ़ियों के बीच अपने लिए जगह बनाई। तो जय जोहार-जय सतनाम कहकर अनुसूचित जाति के वोटरों को साधने की भी कोशिश की।

दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति की दस में से नौ सीट पर भाजपा को जीत मिली थी। जोगी और मायावती के गठजोड़ के बाद भाजपा का एक बड़ा वर्ग यह मान रहा है कि इन सीटों पर संकट के बादल आ गए हैं। यही नहीं, अनुसूचित जाति के वोटरों के प्रभाव वाली करीब एक दर्जन सामान्य सीट पर भी यह गठजोड़ प्रभावी नजर आ रहा है। ऐसे में भाजपा के रणनीतिकारों ने मोदी के भाषण की शुरुआत जय सतनाम से कराकर बड़ा दांव खेला है। जांजगीर-चांपा जिले के राजनीतिक परिस्थितियों पर गौर करें तो जिले में छह विधानसभा सीट हैं। यहां भाजपा के अलावा कांग्रेस और बसपा का बराबर का जोर दिखाई देता है।

वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए काफी निराशाजनक थे। यहां तीनों ही दलों ने दो-दो सीटें बांट ली थी। दो भाजपा,दो कांग्रेस और इतनी ही सीटें बसपा के खाते में चली गई थी। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बसपा के कब्जे वाली एक सीट को छीन लिया था। तीन सीटें भाजपा,दो कांग्रेस और एक सीट बसपा के हिस्से में रही।

जांजगीर-चांपा जिले को बसपा का गढ़ माना जाता है। इसी जिले के बसपा की शुरुआत हुई थी। बसपा के संस्थापक काशीराम ने जांजगीर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ा था। लिहाजा जांजगीर चांपा जिले में आज भी बसपा का काफी गहरा प्रभाव है। जकांछ के साथ समझौता के बाद जांजगीर चांपा जिले में गठबंधन प्रभावी होगा इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। खिसकते जनाधार को बचाने और अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाताओं को रिझाने के साथ ही जकांछ व बसपा के पाले में जाने से बचाने के लिए किसान सम्मेलन के बहाने पीएम मोदी के प्रवास का कार्यक्रम तय किया गया था।

पीएम ने यह कहा

छत्तीसगढ़ महतारी ला सत-सत नमन,जम्मों संगी जंहुरिया,सियान,जवान,महतारी,बहिनी मन ला जय जोहार अऊ जय सतनाम । सबसे बड़ी और खुशी की बात ये कि आप लोग बड़ी संख्या में यहां आए हैं।

chat bot
आपका साथी