CG Election 2018 : छत्तीसगढ़ में वोट की फसल उगा पाएगा हाथी और हल का साथ !

CG Election 2018 : छत्तीसगढ़ में पहली बार किसी राष्ट्रीय दल ने क्षेत्रीय दल से किया गठबंधन।

By Hemant UpadhyayEdited By: Publish:Mon, 10 Dec 2018 05:58 PM (IST) Updated:Mon, 10 Dec 2018 05:58 PM (IST)
CG Election 2018 : छत्तीसगढ़ में वोट की फसल उगा पाएगा हाथी और हल का साथ !
CG Election 2018 : छत्तीसगढ़ में वोट की फसल उगा पाएगा हाथी और हल का साथ !

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पहली बार किसी राष्ट्रीय दल ने किसी क्षेत्रीय दल के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जकांछ) ने गठबंधन करके प्रदेश में तीसरी शक्ति बनने का कोशिश की है। हालांकि, मतदान के स्र्झानों के बाद अब जकांछ के नेताओं को एहसास हो गया है कि उनके गठबंधन की सरकार नहीं बन रही है, लेकिन हाथी और हल चलाता किसान का साथ अपने गठबंधन के लिए कितने वोट की फसल उगा पाता है, इस पर 11 दिसंबर को आने वाले नतीजे पर सभी की नजर रहेगी।

प्रदेश के पिछले तीन चुनावों की बात करें तो बसपा का प्रभाव अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 10 सीटों पर ही देखने को मिला है। बसपा पहले विधानसभा चुनाव में कुल मतदान का 4.45 फीसद वोट पाकर अपनी जमीन दिखाई थी। उसके दो विधायक भी विधानसभा में पहुंचे थे। इसके बाद बसपा का उत्साह बढ़ा और संगठन को मजबूत करने का काम किया। इसका नतीजा यह रहा है कि दूसरे चुनाव 2008 में बसपा का मतदान प्रतिशत छह से ऊपर पहुंच गया। दो फीसद इजाफा हुआ।

इसके फिर से दो विधायक चुने गए, लेकिन इसके बाद बसपा फिर से कमजोर हो गई। इसका कारण यह रहा है कि पार्टी के भीतर गुटबाजी हो गई। पुराने नेता किनारे कर दिए गए। तीसरे चुनाव 2013 में मतदान प्रतिशत तो गिरा ही, बसपा दो सीट से सिमटकर केवल एक ही में रह गई। बसपा सुप्रीमो मायावती को छत्तीसगढ़ में अस्तित्व का खतरा लगने लगा। इधर, नई पार्टी के साथ पहली बार मैदान में उतर रहे अजीत जोगी को भी लगने लगा कि एक और दल के साथ गठबंधन करके जमीन मजबूत कर जाए।

उन्होंने बसपा सुप्रीमो से संपर्क साधा और बात बन गई। इस गठबंधन में सीपीआइ को भी शामिल कर लिया। तीनों दलों के बीच सीटों का बंटवारा हुआ। जकांछ 55, बसपा 33 और सीपीआइ ने 2 सीटों पर चुनाव लड़ा है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो जोगी का प्रभाव भी उन्हीं क्षेत्रों में है, जहां बसपा का भी प्रभाव है, लेकिन ऐसी सीटों की संख्या 10 से 12 ही है। बसपा का वोट कैडर वोट माना जाता है, लेकिन यह भी कम हुआ है। दूसरी तरफ, जकांछ पहली बार मैदान में है, इस कारण गठगंधन कितने वोट समेट पाएगा, यह अभी इन्हीं पार्टियों के नेता अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं।

वोट कठुवा गठबंधन

पहले यह संभावना जताई जा रही थी कि जोगी कांग्रेस का वोट काटेंगे, जबकि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बसपा-जोगी के गठबंधन से केवल अनुसूचित जाति के वोट का विभाजन हुआ होगा। इसमें केवल कांग्रेस ही नहीं, बल्कि भाजपा के वोट भी कट सकते हैं। इस कारण जकांछ, बसपा, सीपीआइ गठबंधन को वोट कठुवा गठबंधन कहा जा रहा है।

जोगी के दावा अब पलटा

जोगी पहले यह दावा करते थे कि उनकी पार्टी वैसा ही करिश्माई प्रदर्शन करेगी, जैसा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने किया था। अब जोगी यह कह रहे हैं कि वे आंकड़ों के मकड़जाल में नहीं फंसेंगे। उनके बयान से स्पष्ट है कि वे अकेले के बूते या बसपा-सीपीआइ गठबंधन के सहारे सरकार नहीं बना पा रहे हैं। अब उनका कहना है कि प्रदेश में किसी भी राजनीतिक दल को सरकार बनाने के लिए उनके गठबंधन की जस्र्रत होगी।

बसपा पहले मजबूत और फिर कमजोर हुई

चुनाव-प्रत्याशी उतारे-जीत-मतदान प्रतिशत

2003-54-02-4.45

2008-90-02-6.11

2013-90-01-4.41

यह है प्रदेश का वर्ग गणित

वर्ग-आबादी

सवर्ण-23 लाख

ओबीसी-1.20 करोड़

एससी-30.60 लाख

एसटी-81.60 लाख

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