Raghopur Election 2020: तेजस्‍वी यादव के राघोपुर सीट पर टिकी सबकी नजर, पुराने प्रतिद्वंदी से ही होगा मुकाबला

Bihar Election 2020 2010 में सतीश ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को उनके ही गढ़ में हराया था जबकि 2015 में तेजस्वी से मात खा गए थे। भाजपा ने जताया युवाओं पर भरोसा। इस वजह से तेजस्‍वी यादव का मुकाबला सतीश यादव से। लालू भी जीतते रहे यहां से ।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Mon, 12 Oct 2020 08:50 AM (IST) Updated:Mon, 12 Oct 2020 12:55 PM (IST)
Raghopur Election 2020: तेजस्‍वी यादव के राघोपुर सीट पर टिकी सबकी नजर,  पुराने प्रतिद्वंदी से ही होगा मुकाबला
नेता प्रतिपक्ष व पूर्व उप मुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव की तस्‍वीर ।

पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Election 2020: बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए पुराने चेहरों पर भाजपा का भरोसा बरकरार है। पार्टी ने दूसरे चरण के प्रत्याशियों के नाम की घोषणा 11 अक्‍टूबर, रविवार को कर दी। इस दौर में पार्टी ने युवाओं पर सर्वाधिक भरोसा जताया है। इसी वजह से इस बार भी राघोपुर में पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का मुकाबला भाजपा के सतीश यादव से ही होगा। सतीश लगातार तीसरी बार किस्मत आजमा रहे हैं। 2010 में सतीश ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को हराया था, जबकि 2015 में तेजस्वी से मात खा गए थे। इस बार भी सभी की निगाहें तेजस्‍वी यादव की सीट पर लगी रहेगी।

बता दें कि कल 13 अक्‍टूबर को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव राजद के चुनावी अभियान की शुरुआत करेंगे। सबसे पहले तेजस्वी समस्तीपुर जिले के हसनपुर विधानसभा क्षेत्र से अपने बड़े भाई तेजप्रताप यादव के नामांकन कार्यक्रम में भाग लेंगे। नामांकन रोसड़ा में होगा। उसके बाद रैली होगी।

राघोपुर सीट राजद का मजबूत गढ़

वैशाली जिले की राघोपुर विधानसभा सीट (Assembly Constituencey)  राजद (RJD) का मजबूत गढ़ मानी जाती रही है। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav)  और बिहार की पहली महिला मुख्‍यमंत्री राबड़ी देवी (Rabri Devi) जीतते रहे हैं। बाद में उनके पुत्र तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) भी विजयी हुए लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब एनडीए (NDA)  गठबंधन की आंधी के सामने राबड़ी देवी को भी हार का मुंह देखना पड़ा। सिर्फ राघोपुर ही नहीं, वैशाली जिले की सभी सीटों पर महागठबंधन (Grand Alliance )  की हार हुई थी।

यह बड़ी हार थी

  चुनाव परिणामों पर गौर करें तो बीते दो विधानसभा चुनाव में जिस गठबंधन में नीतीश कुमार (Nitish Kumar)  रहे, उस गठबंधन का पलड़ा भारी रहा। 2010 के विधानसभा के चुनाव में नीतीश साथ थे, तब एनडीए की झोली में सभी आठ सीटें गई थीं। राघोपुर से पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को जदयू (JDU) के युवा नेता सतीश कुमार (Satish Kumar)  ने 13,006 मतों के अंतर से पराजित कर दिया था। यह बड़ी हार थी।

तीन सिटिंग विधायकों की छुट्टी

इस चरण में पार्टी ने तीन सिटिंग विधायकों की छुïट्टी कर दी है। चनपटिया के विधायक प्रकाश राय, अमनौर के शत्रुघ्न तिवारी उर्फ चोकर बाबा और सिवान के व्यासदेव प्रसाद को इस बार टिकट नहीं दिया गया है।

विदित हो कि दूसरे चरण में 94 विधानसभा क्षेत्रों में तीन नवंबर को मतदान होना है। राजग में समझौते के तहत उनमें से 46 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार हैं। दूसरे चरण में पार्टी ने सिर्फ दो महिलाओं को टिकट दिया है। उनमें से एक आशा सिन्हा दानापुर से विधायक हैं। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की कुर्सी गंवाने वाली रेणु देवी इस बार भी बेतिया से किस्मत आजमाएंगी। 

उम्रदराज और अनुभवी दिग्गजों पर दांव 

राजधानी पटना के सभी सिटिंग विधायक अपने इलाके में इस बार भी दांव आजमाएंगे। उनमें कुम्हरार के विधायक अरुण कुमार सिन्हा और पटना साहिब के विधायक व राज्य सरकार में मंत्री नंदकिशोर यादव सर्वाधिक उम्रदराज हैं। 73 वर्ष की उम्र वाले छपरा के विधायक डॉ. सीएन गुप्ता पर भी पार्टी ने एक बार फिर से भरोसा जताया है।

चौबे के पुत्र को मिली निराशा 

भागलपुर सीट को पार्टी ने वंशवाद के चंगुल से निकाल लिया है। 2015 में वहां से केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत ने चुनाव लड़ा था। कांग्रेस के अजित शर्मा से वे बुरी तरह हार गए थे। इस बार खांटी कार्यकर्ता और वर्तमान जिलाध्यक्ष रोहित पांडेय को टिकट मिला है। रोहित बाल स्वयंसेवक हैं।

बगावत भी झेलनी पड़ रही :

लालगंज सीट से दावेदार रहे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह के दामाद के बड़े भाई संजय सिंह ने प्रत्याशी नहीं बनाए जाने पर निर्दलीय मैदान में उतरने का एलान कर दिया है। वे पार्टी में वैशाली जिला से दो बार अध्यक्ष भी रह चुके हैं और अभी प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य हैं।

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