बिहार विधानसभा चुनाव 2020 : तब महज 25 सौ रुपये खर्च कर विधायक बन गए थे भागवत बाबू

संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से वर्ष 1967 में भागवत प्रसाद मेहता विधायक बने थे। वे बताते हैं कि उन्होंने मात्र दो हजार पांच सौ (25 सौ) रुपये खर्च कर जीत हासिल कर ली थी। आज विधायक के चुनाव पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Wed, 07 Oct 2020 11:18 PM (IST) Updated:Wed, 07 Oct 2020 11:18 PM (IST)
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 : तब महज 25 सौ रुपये खर्च कर विधायक बन गए थे भागवत बाबू
सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक भागवत प्रसाद मेहता

लखीसराय [सुमन कुमार सुमन]। वर्ष 1967 में सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार भागवत प्रसाद मेहता चुनाव के दौरान मात्र दो हजार पांच सौ (25 सौ) रुपये खर्च कर जीत हासिल कर ली थी। यह सुनने में भले ही अटपटा आश्चर्यजनक प्रतीत होता है परंतु यह सोलह आने सच है। चुनाव खर्च के नाम पर भागवत प्रसाद मेहता ने एक जीप का किराया एवं उसके ईंधन तथा चार चुनाव कार्यालय पर राशि खर्च की। उक्त चुनाव में सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल करने वाले भागवत प्रसाद मेहता अपने समय के चुनावी खर्च को याद कर वर्तमान को कोसने लगते हैं।

उन्होंने बताया कि मात्र 25 सौ रुपये खर्च कर वे चुनाव जीत गए परंतु वर्तमान समय में उम्मीदवार चुनाव में करोड़ों रुपये खर्च करते हैं। उनके समय के नेता जनसेवा एवं क्षेत्र के विकास का संकल्प लेकर चुनाव लड़ते थे परंतु वर्तमान समय के नेता धनोपार्जन के उद्देश्य से चुनाव लड़ते हैं। यही कारण है कि चुनाव में खर्च की कोई सीमा ही नहीं रह गई है। उन्होंने बताया कि उस समय की बात है जब वे झारखंड के चतरा कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर थे। वर्ष 1964 में मुंगेर लोकसभा चुनाव में उन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार मधु लिमये के लिए काम किया। इसी दौरान वे जमुई के श्री कृष्ण ङ्क्षसह के संपर्क में आए। वर्ष 1967 में श्री कृष्ण ङ्क्षसह ने उन्हें पटना बुलाकर बताया कि उन्हें सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया है। यह सुनते ही वे आश्चर्यचकित हो गए। उन्हें कार्यालय से ही पोस्टर एवं पंप लेट आदि मिल गया। नामांकन कराने के बाद चुनाव प्रचार के लिए उन्होंने किराए पर एक जीप ली। इसके अलावा पूरे विधानसभा क्षेत्र में चार चुनाव कार्यालय खोला। उस समय दस रुपये में एक गैलन पेट्रोल मिलता था तथा दस रुपये मन चावल मिलता था। जीप के पेट्रोल पर एवं चुनाव कार्यालय में भोजन आदि मिलाकर कुल 25 सौ रुपये खर्च करके वे चुनाव जीत गए।

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